घग्गर नदी का जलस्तर अब 23 हजार क्यूसेक तक पहुंच गया है। इसके चलते अब सिरसा में नदी के साथ लगते किसानों और ग्रामीणों की चिंता भी बढ़नी शुरू हो गई है। घग्गर के बांधों को मजबूत करने और निगरानी के लिए लगातार टीमें गश्त पर लगी है। घग्गर नदी से निकलने वाले मोगों पर भी विभाग की ओर से 150-150 मिट्टी के बैग भरकर रखे हुए हैं। इसके अलावा ओटू हेड से 14 हजार क्यूसेक पानी राजस्थान की तरफ छोड़ा जा रहा है। इसके अलावा आठ नहरों में 2215 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है।
बीते दो दिनों से लगातार घग्गर का जलस्तर बढ़ता जा रहा है। पानी नदी के बांधों तक पहुंच चुका है। नदी में अब 23 हजार क्यूसेक पानी बह रहा है। सिंचाई विभाग की ओर से घग्गर के अलग-अलग स्थानों पर 24 टीमें लगातार निरीक्षण कर रही है। विभाग की ओर से पहले ही घग्गर के सभी बांधों को मजबूर कर दिया गया था।
अब भी घग्गर नदी से निकलने वाले मोगों पर विभाग की ओर से मिट्टी के बैग भरवाकर रखवाए गए हैं, ताकि जरूरत पड़ने पर बैगों को टूटने वाले स्थान पर रखा जा सके। सोमवार तक घग्गर का जलस्तर कम होने की उम्मीद है। गुहलाचिंका में अब 12 हजार क्यूसेक पानी ही रह गया है। इसके चलते घग्गर का जलस्तर भी काफी गिरने की उम्मीद है ।
पहले भी कई बार कहर बरपा चुकी है घग्गर नदी
इससे पहले नदी में साल 1976, 1981, 1984,1988, 1993, 1994, 1995, 1996, 1997, 2000, 2004, 2010 और 2015 में बाढ़ आ चुकी है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 1993, 1995, 2004 और 2010 में आई बाढ़ से पंजाब और हरियाणा की जनता को सबसे अधिक नुकसान झेलना पड़ा। हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में घग्गर नदी का कुल 50000 वर्ग किलोमीटर केचमेंट एरिया है। हिमाचल के सिरमौर जिला में करीब 1490 मीटर ऊंची शिवालिक पहाडिय़ों से घग्गर नदी का उद्गम होता है। पाकिस्तान तक इस नदी की कुल लंबाई 646 किलोमीटर है। नदी का 70 फ़ीसदी से अधिक क्षेत्र पंजाब और हरियाणा में है। मानसून में तेज बारिश इस नदी को उफान पर ला देती है। पहाड़ों की बरसात के अलावा चंडीगढ़, पटियाला, पंचकूला सहित कई इलाकों का बरसाती पानी मौसमी नदी घग्गर में गिरता है। हिमाचल के सिरमौर में मानसून में लगभग 1100, चंडीगढ़ में 840, पंचकूला में 900 जबकि पटियाला में 550 मिलीमीटर होने वाली बरसात इस नदी को पानी से लबालब कर देती है।
ग्रामीण बोले: घग्गर के बांध जांचने के लिए नहीं पहुंच रहे प्रशासनिक अधिकारी
पनिहारी गांव के ग्रामीणों का कहना है कि जलस्तर लगातार बढ़ रहा है, लेकिन घग्गर का निरीक्षण करने और बांधों की जांच करने के लिए कोई भी अधिकारी व कर्मचारी मौके पर पहुंच रहा। ग्रामीण ही खुद के स्तर पर जांच कर पहरा दे रहे है। हालांकि घग्गर नदी के बड़े बांध तक ही विभाग की ओर से मरम्मत करवाई जाती है, जबकि घग्गर के छोटे बांध की देखरेख किसानों को करनी पड़ती है।
क्योंकि किसान छोटे बांध के साथ लगती जमीन में फसलों की बिजाई करती है। अगर वह बांध टूट जाता है तो किसानों को अपने स्तर पर ही उसे बांधना पड़ता है। हालांकि सिंचाई विभाग के एसई आत्मा राम भांभू, घग्गर ब्रांच एक्सईएन अदीप हुडा सहित अन्य अधिकारी भी स्थिति जांचने के लिए ओटू हेड पहुंचे।
घग्गर में आई जलकुंभी निकालने के लिए मंगवाई अतिरिक्त मशीनें
पंजाब से बहकर आई जलकुंभी को निकालने के लिए विभाग की ओर से अब अतिरिक्त जेसीबी को भी काम पर लगाया गया है। अलग-अलग स्थानों पर करीब 25 जेसीबी की लगाकर जलकुंभी निकाली जा रही है, ताकि जलकुंभी के कारण किसी भी क्षेत्र में बांध न टूट सके।