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Sunday, November 24, 2024
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पेट्रोल-डीजल के दामों में बढ़ोतरी व महंगाई के खिलाफ 8 मिनट हॉर्न बजाकर सरकार को जगाएंगे किसान

संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक, सब्जी मण्डी से लघु सचिवालय तक कतार बनाकर दर्ज करवाएंगे विरोध

फतेहाबाद। संयुक्त किसान मोर्चा तहसील फतेहाबाद की मीटिंग पटवार भवन में सम्पन्न हुई। इस मीटिंग में निर्णय लिया गया कि 8 जुलाई गुरुवार को पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस के दामों में बेतहाशा वृद्धि और कमरतोड़ महंगाई के विरोध में फतेहाबाद में प्रदर्शन किया जाएगा। इस दिन किसान, मजदूर व अन्य वर्गों के लोग सब्जी मंडी से लेकर डीसी ऑफिस के सामने तक सड़क के किनारे कतार बनाकर विरोध दर्ज करवाएंगे। समाज के तमाम तबकों के लोग सुबह 10 बजे से लेकर 12 बजे तक अपनी बैलगाड़ी, साइकिल, ट्रैक्टर, मोटरसाइकिल, गाडिय़ों और दूसरे वाहनों को सड़क के किनारे खड़ा करेंगे और ठीक 12 बजे 8 मिनट के लिए अपने-अपने वाहनों के हार्न बजाकर अपना रोष जताएंगे।
आज की बैठक की अध्यक्षता करमजीत सालमखेड़ा ने की व संचालन योगेंदर भूथन ने किया। उन्होंने बताया कि मोदी सरकार के पिछले 7 साल में पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस के दाम दोगुने से भी ज्यादा हो गए हैं। पेट्रोल और डीजल 100 का आंकड़ा पार कर गए हैं जबकि रसोई गैस के दाम 1000 प्रति सिलेंडर के बेहद करीब हैं, और यह सब तब है जबकि देश करोना जैसी महामारी से जूझ रहा है। लाखों मौतें इस महामारी में स्वास्थ्य ढांचे के फेल होने के कारण कारण हो चुकी हैं और गरीबी और महंगाई अपने शिखर पर है। ऐसे में केंद्र सरकार को चाहिए था कि वह लोगों को जरूरत की सभी चीजें बहुत सस्ते दामों पर राशन की दुकानों पर उपलब्ध करवाने की व्यवस्था करती, परंतु इसके उल्ट सरसों का तेल के भाव पिछले कुछ समय में ही 80 से बढ़कर 180-200 तक पहुंच गए हैं और दालों के दाम आसमान छू रहे हैं। यही वह कारण हैं जिनको लेकर किसान दिल्ली के बॉर्डर से लेकर हर शहर, कस्बे और गांव तक तीनों काले कानूनों को रद्द करवाने की मांग को लेकर लगातार प्रदर्शन और धरना कर रहे हैं। अगर यह तीनों काले कानून लागू होते हैं तो देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से कुछेक कॉरपोरेट्स और पूंजी पतियों के हाथ में चली जाएगी जिससे मध्यमवर्ग और गरीब जनता के लिए दो जून की रोटी के भी लाले पड़ जाएंगे। यह आंदोलन समाज के सभी मेहनतकश तबकों का, किसानों, मजदूरों, दुकानदारों, कर्मचारियों, छोटे व्यापारियों और नौजवानों और महिलाओं सबका है। वास्तव में यह आर्थिक आजादी की लड़ाई है। इसका नेतृत्व किसान कर रहा है। इस मीटिंग में संदीप काजला, बंसी सिहाग, रामकुमार बहबलपुरिया, सुरेश गढ़वाल, बेगराज, रामेश्वर भोडिया, गुरनाम, कृष्ण भोडिया, इकबाल अजीतसर, सुशील गोदारा, मोहनलाल नारंग, पवन, संदीप आदि मौजूद रहे।

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