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किसान हित में कृषि सुधारों की नींव रखने का श्रेय दीनबंधु सर छोटू राम को : वेंकैया नायडू

दीनबंधु सर छोटू राम के जीवन, कार्यों व सिद्धांतों पर आधारित ‘सर छोटू राम: राइटिंग्स एंड स्पीचेज’ के पांच खंडों का हुआ विमोचन

चंडीगढ़, 19 सितंबर। भारत के उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साथ रविवार को दीनबंधु सर छोटू राम के जीवन, कार्यों व सिद्धांतों पर आधारित ‘सर छोटू राम: राइटिंग्स एंड स्पीचेज’ के पांच खंडों का विमोचन किया। हरियाणा इतिहास एवं संस्कृति अकादमी द्वारा प्रकाशित पांच खण्डों में दीनबंधु सर छोटू राम के राजनीतिक कृतित्व व व्यक्तित्व को संकलित करने का प्रयास किया गया है। गुरूग्राम के सेक्टर-44 स्थित अपैरल हाउस में आयोजित विमोचन कार्यक्रम में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा, पूर्व केंद्रीय मंत्री चौ. बीरेंद्र सिंह व हरियाणा इतिहास एवं संस्कृति अकादमी के निदेशक एवं इतिहासकार प्रो.राघवेंद्र तंवर की गरिमामयी उपस्थिति रही।
उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने विमोचन अवसर पर दीनबंधु सर छोटूराम के त्याग व समर्पण की सराहना करते हुए उन्हें नमन किया। उन्होंने कहा कि दीनबंधु छोटूराम के जीवन वृतांत को समर्पित इस संग्रह का विमोचन करते हुए मुझे अत्यंत हर्ष व संतोष की अनुभूति हो रही है क्योंकि दीनबंधु छोटूराम के व्यक्तित्व से जन मानस को परिचित कराने का आज वे माध्यम बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्वाधीनता आंदोलन के अनेक ऐसे नायक थे जिन्होंने अपने क्षेत्र में या समुदाय में काम किया लेकिन उनके द्वारा किए गए कार्यों का महत्व क्षेत्र या समुदाय तक सीमित नहीं था बल्कि देशव्यापी था। उन्होंने कहा कि दीनबंधु सर छोटू राम जैसे महापुरुष हर क्षेत्र, हर वर्ग में हुए हैं जिन्होंने शोषण और अन्याय के खिलाफ लोगों को जागरूक किया है और उन्हें संगठित किया है। उन्होंने इस संकलन को प्रकाशित करने के लिए हरियाणा अकादमी ऑफ हिस्ट्री एंड कल्चर की सराहना की और कहा कि यह संकलन देश की महान विभूति से जनता को परिचित करवाने का सशक्त माध्यम बन रहा है। इन पांच खंडों में उस समय की राजनीतिक और आर्थिक परिस्थितियों पर सर छोटू राम जी जैसे प्रबुद्ध राजनेता के विचारों को एकत्र किया गया है जिससे आने वाली पीढिय़ां, स्वाधीनता आंदोलन में विभिन्न क्षेत्रों और वर्गों के संघर्ष से भी परिचित हो सकेंगी।
एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि स्वाधीनता से पूर्व संयुक्त पंजाब की राजनीति में चौधरी छोटू राम और उनकी यूनियनिस्ट पार्टी के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है, जिन्होंने धर्म के आधार पर देश के बंटवारे का विरोध किया। उन्होंने बताया कि सरदार वल्लभ भाई पटेल ने भी चौधरी छोटूराम की कार्यशैली की प्रशंसा की थी। संवैधानिक सुधारों के बाद से सर छोटूराम लगातार किसानों व मजदूरों से जुड़े मुद्दे उठाते रहे। पंजाब में यूनियनिस्ट पार्टी की सरकार में विकास मंत्री के रूप में सर छोटू राम ने किसानों को साहूकारों, आढ़तियों के शोषण से मुक्त करवाने के लिए कानून बनाए। उन्होंने कृषि श्रमिकों के हित में जिन कानूनों को लागू किया उनके आधार पर भविष्य के कृषि सुधारों की नींव रखी गई। उन्होंने ब्याज और कर्ज के कुचक्र से किसानों को मुक्ति दिलाई, उनकी भूमि को वापस दिलवाया। साथ ही किसानों के गिरवी रखे घरों, पशुओं को साहूकारों के कब्जे से भी बचाने में दीनबंधु छोटू राम का योगदान अतुलनीय रहा है। किसान अपनी उपज का सही दाम पा सकें, इसके लिए स्थानीय स्तर पर मंडियां स्थापित करवाने में भी उनकी सक्रिय भागीदारी रही है।
उपराष्ट्रपति श्री नायडू ने कहा कि कृषि और पशुपालन में आधुनिक वैज्ञानिक प्रणाली विकसित करने के लिए शोध संस्थान स्थापित करने में भी दीनबंधु सर छोटू राम ने सार्थक कदम उठाए। उन्होंने बताया कि सतलुज नदी पर भाखड़ा बांध की कल्पना सबसे पहले सर छोटू राम ने ही की थी और उसके निर्माण के लिए अंग्रेज सरकार तथा बिलासपुर के शासक से समझौता भी किया था। ऐसे में ये कार्य वही व्यक्ति कर सकता है जिसने किसानों और कृषि की समस्याओं को स्वयं अनुभव किया हो। उन्होंने कहा कि सर छोटूराम स्वयं एक किसान परिवार से थे। वे प्रखर लेखक, किसान मसीहा, शिक्षाविद व एक आदर्श राजनेता थे। उन्होंने कहा कि किसान हित में सरकार प्रभावी कदम उठा रही है क्योंकि भारत में कृषि सिर्फ व्यवसाय नहीं है, यह भारतीय संस्कृति का आधार है। नायडू ने कहा कि उनका जीवन भी कृषि से जुडा रहा है और आज भी अलग-अलग हिस्सों में जाकर किसानों का हाल चाल जानते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार व किसानों के बीच निरंतर संवाद होते रहना चाहिए। किसान हित को कभी भी राजनीति से नहीं जोडना चाहिए और किसान की हालत सुधारने के लिए देश को ‘वन फूड जॉन’ में बदलना होगा। किसान के शोषण को बंद करने के लिए ऑपन मार्केट की व्यवस्था होनी चाहिए। देश का किसान कहीं भी जाकर अपनी फसल की बिक्री कर सकता है। यह देश के हित में भी है और किसान के हित में भी।

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