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रूठने-मनाने के “खेल” में चल रही विधायक की “कलाकारी”!

स्थानीय निकाय चुनाव में नामांकन वापिस लेने की आखिरी तारीख 7 जून है और तब तक खासकर वार्डों में पार्षद का चुनाव लड़ने वाले लोग एक-दूसरे का नामांकन वापिस करवाने की हर जुगत में जुटे हैं

जन सरोकार ब्यूरो
फतेहाबाद, 5 जून। स्थानीय निकाय चुनाव में जुटे और डटे लोग हर वह तरीका आजमाने में जुटे हुए हैं। जिससे उनकी जीत की राह आसान हो सके। नामांकन वापस लेने की तारीख 7 जून है और तब तक सभी उम्मीदवार इस तिकड़म में जुटे हैं कि उनके सामने चुनाव लड़ रहे लोग नामांकन वापस ले लें। इस पूरे खेल में फतेहाबाद के विधायक चौधरी दूड़ाराम का रोल जबरदस्त तरीके से सामने आ रहा है। विधायक के अनाज मंडी स्थित प्रतिष्ठान पर सुबह शाम भीड़ जुटी है और इस भीड़ में वह लोग शामिल हैं जिन्हें विधायक से उम्मीद है कि वह उन्हें जिताने की राह को आसान बना देंगे। अनेक वार्डों में रूठने मनाने का यह “खेल” बहुत तेजी से और गंभीरता से खेला जा रहा है। अपनी नाराजगी- उलाहनों और जीत के अपने दावों के बीच हरेक उम्मीदवार एक दूसरे पर हावी होने का हर मुमकिन रास्ता खोज रहा है। विधायक के प्रतिष्ठान पर पहुंचे लोगों में से बहुत ज्यादा का कहना यह होता है कि उनके सामने जो व्यक्ति चुनाव लड़ रहा है वह मात्र उसे नुकसान पहुंचाने के लिए यानी तीसरे पक्ष को लाभ पहुंचाने के लिए मैदान में है। विधायक के दरबार में उन लोगों की भी भीड़ है जिन्हें अपने सिर पर विधायक का हाथ चाहिए। यानी कि विधायक पर उन्हें यह भरोसा तो जरूर है कि विधायक के साथ आने के बाद वह जीत के काफी करीब होंगे। हालांकि यह तो वक्त ही बताएगा कि विधायक के साथ आने या न आने से किसको कितना फर्क पड़ता है। वार्ड नंबर में 6 रमेश गिलहोत्रा का जनसंपर्क खूब चल रहा है और अपने पक्ष में वह अनेक लोगों को चुनावी मैदान से हटा चुके हैं। इसी तरह वार्ड नंबर 12 से विधायक की रुचि जिस उम्मीदवार की तरफ है वह भी विधायक के प्रतिष्ठान पर हाजिरी लगा रहे हैं। वार्ड नंबर 21 की बात करें तो यह उन वार्डों में शामिल वार्ड है जहां चुनावी रंगत खूब देखने को मिलेगी। स्थानीय निकाय चुनाव में जिस तरह से विधायक की सक्रियता बढ़ी है और वह खुलकर मैदान में हैं, उससे जाहिर है कि इस चुनाव में उनकी प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है।
राजनीति के जानकार मानते हैं कि विधायक इस मौके पर किसी भी रूप में कमजोर नहीं दिखना चाहते हैं। क्योंकि, अगर इन चुनाव में वह अपनी पसंद के लोगों को जिताने में नाकामयाब रहे तो उन्हें इस बात की मालूमात है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में वह कितनी मुश्किल में फंस सकते हैं। इस बात में कोई दो राय नहीं की चुनावी खेल को खेलने वाले ज्यादातर लोगों में विधायक दुड़ाराम एक ऐसे खिलाड़ी के रूप में हमेशा जाने गए हैं, जिन्हें हर “दांव पेंच” का पता है। वह अलग बात है कि कभी-कभी उनका हर दांव ठीक नहीं बैठता। फतेहाबाद नगर परिषद चेयरमैन को लेकर इस बार जो नजारा देखने को मिलेगा, वह शायद विधानसभा चुनाव में भी देखने को ना मिला हो। क्योंकि, पूरे भाजपा संगठन को दरकिनार करके विधायक अपनी पसंद के व्यक्ति को चेयरमैन बनाने में में जुट गए हैं। इस स्थिति में भले ही खुलकर कोई भी भाजपाई बात ना कर पा रहा हो किंतु यह बात किसी से छिपी हुई नहीं की विधायक के उम्मीदवार को हराने में सब अपना अपना रोल बखूबी निभाएंगे। क्योंकि, भाजपाइयों को इस बात का बहुत अच्छे से पता है की दुड़ाराम किसी पार्टी की राजनीति नहीं करते, वह खुद की राजनीति करते हैं। ऐसी स्थिति में दुड़ाराम का मजबूत होना उन भाजपाइयों के लिए बहुत तकलीफदेह रहेगा जिनकी नजर विधानसभा चुनाव पर है। देखना दिलचस्प रहेगा कि स्थानीय निकाय चुनाव में किस-किस वार्ड से कौन कितना हावी रहेगा और चेयरमैन के चुनाव में वोटिंग के दिन तक क्या-क्या फेरबदल देखने को मिलेगा।

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