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Sunday, November 24, 2024
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टोहाना : जेजेपी के रमेश गोयल की परेशानी बढ़ा रहे हैं नरेश बंसल!

टोहाना नगर परिषद चेयरमैन चुनाव में पिछले दिनों चीजें इतनी तेजी से बदली हैं कि वोटर भी कन्फ्यूज हो गया है!!!

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आरके सेठी

टोहाना। टोना नगर परिषद चेयरमैन चुनाव अपने शुरुआती दौर से निकलकर दूसरे चरण में प्रवेश कर गया है। पहले चरण में टोहाना नगर परिषद चेयरमैन सीट पर किस चेहरे को खड़ा किया जाए, इस पर मंत्री देवेंद्र बबली, सुभाष बराला और निशान सिंह में ठनी रही। आखिरकार, बीजेपी-जेजेपी के उम्मीदवार के तौर पर अपनी पसंद के व्यक्ति को खड़ा कर सरदार निशान सिंह ने बाजी मारी। उन्होंने अपने खास सिपहसलार रमेश गोयल को जेजीपी के सिंबल पर चेयरमैन सीट पर खड़ा कर दिया यह तो वह स्थिति हुई जो सबकी नजर के सामने है, इसके साथ-साथ और इसके बाद जो कुछ हुआ है, वह आम वोटर को मालूम नहीं है और जो नहीं मालूम है वह यह है कि रमेश गोयल भले ही बीजेपी और जेजेपी के संयुक्त उम्मीदवार के तौर पर चुनावी रण में हैं लेकिन उनके साथ उनके “कुछ अपने” भी ऐन मौके पर “गद्दारी” करेंगे, इस बात में कोई दो राय नहीं है। वजह साफ है, रमेश गोयल को जेजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सरदार निशान सिंह का खास आदमी माना जाता है। जब तक बीजेपी और जेजेपी का गठबंधन स्थानीय निकाय चुनाव में नहीं हुआ था, तब तक सरदार निशान सिंह रमेश गोयल के नाम पर अड़े थे और मंत्री देवेंद्र बबली अपने विश्वासपात्र मोंटू अरोड़ा की पैरवी में जुटे थे। मंत्री देवेंद्र बबली यह चाहते थे कि उनके समर्थक मोंटू अरोड़ा चेयरमैन चुनाव लड़े और उनके लिए बबली जी-जान भी लगा देते। लेकिन हालात बदले और टोहाना सीट बीजेपी के खाते में आ गई।


इस स्थिति में भारतीय जनता पार्टी की ओर से जिन नरेश बंसल पर दांव खेलने की तैयारी की जा रही थी, उनके अरमानों पर पानी फिर गया और जातिगत व राजनीतिक समीकरणों में उलझते हुए आखिरकार देवेंद्र बबली को भी पार्टी की हां में हां मिलानी पड़ी और सरदार निशान सिंह के उम्मीदवार के नाम पर सहमति जताते हुए मोंटू अरोड़ा को रमेश गोयल के पक्ष में चुनावी मैदान से हटा दिया गया। अब समझने वाली बात यह है कि जब बीजेपी और जेजेपी के सांझे उम्मीदवार के तौर पर रमेश गोयल का नाम रह गया तो उनके सामने नरेश बंसल और अनिल गोयल मिंटू भी अब ताल ठोक रहे हैं। नरेश बंसल के बारे में यह माना गया था कि वह बीजेपी के टिकट पर चुनावी मैदान में होंगे लेकिन फिलहाल वह निर्दलीय के तौर पर चुनावी रण में डटे हैं। अनिल गोयल को पूर्व मंत्री सरदार परमवीर सिंह का खास आदमी माना जाता है। परमवीर सिंह ने अनिल गोयल को खुला समर्थन भी दे दिया है। नरेश बंसल को टोहाना के ज्यादातर बीजेपी कार्यकर्ता पसंद करते हैं और निश्चित तौर पर चुनावी “खेल” में उनकी यह “पसंद” रमेश गोयल का खेल बिगाड़ सकती है।


आने वाले देखना दिलचस्प रहेगा कि नरेश बंसल रमेश गोयल को कितना घेर पाते हैं या उन उनकी रणनीतियां खुद उन्हीं को मात दे देंगी। टोहाना का आम वोटर उपरोक्त तमाम हालात में इतना कंफ्यूज हो चला है कि उसे समझ ही नहीं आ रहा कि आखिर नगर परिषद चेयरमैन सीट पर उनके लिए कौन सा चेहरा मुफीद रहेगा। आने वाले दिनों में स्तिथियां घंटों के हिसाब से स्पष्ट होती जाएंगी और यह भी पता लगने लगेगा की “मोहरा” कौन है और “जिताऊ” खिलाड़ी कौन है।

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