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पांच दशक से इस लाल के भजन गा रहा है आदमपुर

-1968 के बाद भजनलाल परिवार के सदस्यों को मिली है जीत

साल 1998 में कुलदीप ने आदमपुर उपचुनाव जीतकर सक्रिय सियासत में की थी एंट्री

फतेहाबाद, 18 जुलाई। हरियाणा में इन दिनों आदमपुर विधानसभा सीट चर्चा का विषय बनी हुई है। आदमपुर से वर्तमान में कुलदीप बिश्रोई विधायक हैं। 10 जून को हुए राज्यसभा सीट के मतदान में कुलदीप ने कांग्रेस की बजाय आजाद प्रत्याशी कार्तिकेय शर्मा के पक्ष में मतदान किया था। उसके अगले दिन 11 जून को कांग्रेस हाईकमान ने कुलदीप को कांग्रेस के सभी पदों से निष्कासित कर दिया। इसके बाद कुलदीप बिश्रोई भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्ढा से मुलाकात कर चुके हैं। ऐसे में इन दिनों चर्चाओं का बाजार गर्म है कि कुलदीप जल्द ही भाजपा में जा सकते हैं। ऐसे में उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द हो सकती है और आदमपुर में उपचुनाव हो सकता है। वैसे आदमपुर विधानसभा सीट की बात करें तो यहां पर पिछले पांच दशक से अधिक समय से भजनलाल परिवार का दबदबा रहा है। आदमपुर विधानसभा सीट से 1967 से लेकर 2019 तक 13 सामान्य जबकि 3 उपचुनाव हुए। आदमपुर विधानसभा सीट के 52 बरस के सियासी सफर में 16 चुनाव में 15 बार भजनलाल परिवार को जीत मिली। यह अपने आप में एक अनूठा रिकॉर्ड है। साल 1967 के विधानसभा चुनाव में एच. ङ्क्षसह आदमपुर से पहली बार विधायक निर्वाचित हुए। कांग्रेस की टिकट पर उन्होंने आजाद उ मीदवार आर ङ्क्षसह को महज 251 वोटों के अंतर से पराजित किया। जीत के सबसे कम अंतर का यह रिकॉर्ड आदमपुर सीट पर आज भी बरकरार है। रोचक पहलू है कि पिछले पांच दशकों से यहां पर लगातार पंद्रह चुनाव जीतकर इतिहास रच चुका है। 1968 से लेकर 2019 तक कुल 12 सामान्य और 3 उपचुाव हुए। एक ही परिवार से 15 विधायक एक सीट से बने। यही नहीं आदपमुर से भजनलाल खुद 9 बार विधायक रहे। 1 बार उनकी पत्नी जसमा देवी विधायक चुनी गईं। 4 बार कुलदीप बिश्रोई विधायक बने। एक बार रेणुका बिश्रोई भी विधायक निर्वाचित हुईं। यह अपने आप में एक रिकॉर्ड है कि एक सीट पर पहले पिता और मां विधायक बने। उसके बाद बेटा और उनकी पुत्रवधु भी विधायक चुने गए। आदमपुर यूं ही भजनलाल परिवार से इतना लगाव नहीं करता है। इसके कई कारण है। चौधरी भजनलाल 1979 से लेकर 1982, 1982 से लेकर 1986 और 1991 से लेकर 1996 तक तीन बार मु यमंत्री रहे। मु यमंत्री रहते हुए भजनलाल ने पूरे हरियाणा का कायाकल्प किया। उन्हीं के शासनकाल में हिसार संसदीय क्षेत्र और आदमपुर विधानसभा क्षेत्र का अभूतपूर्व विकास हुआ। सडक़ों का जाल बिछा। नहरों का निर्माण कराया गया। गांव-गांव में चौपालें बनवाईं गईं। स्कूल खोले गए। बड़े शैक्षणिक संस्थान स्थापित हुए। आज भी यह सिलसिला जारी है। यह भी एक रोचक पहलू है कि आदमपुर सीट से ही भजनलाल के तीन सदस्यों ने अपने-अपने सियासी सफर का आगाज किया। साल 1968 में पहली बार चौधरी भजनलाल विधायक बने। इसके बाद वे 1972, 1977, 1982, 1991, 1996, 2000, 2005 और 2008 के उपचुनाव में विधायक निर्वाचित हुए। साल 1987 में लोकदल की लहर के बीच चौधरी भजनलाल की पत्नी जसमा देवी  पहली बार आदमपुर से विधायक बनने में सफल हुईं। साल 1998 में हुए उपचुनाव के जरिए कुलदीप बिश्रोई भी पहली बार विधानसभा में पहुंचने में कामयाब रहे। इसके बाद कुलदीप , 2009, 2014 और 2019 में भी आदमपुर सीट से विधायक चुने गए। इसी तरह से साल 2011 में हुए उपचुनाव के जरिए रेणुका बिश्रोई ने सियासत में एंट्री की और वे भी पहली बार विधायक चुनी गईं। चुनाव-दर-चुनाव नजर डालें तो 1967 के पहले चुनाव में कांग्रेस के एच. ङ्क्षसह ने 16955 वोट हासिल करते हुए 251 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की। आदमपुर के पहले चार चुनावों में आजाद उ मीदवार ही मुकाबले में रहे। 1968 के विधानसीाा चुनाव में चौधरी भजनलाल ने 23723 वोट हासिल करते हुए आजाद उ मीदवार बलराज ङ्क्षसह को 10044 वोटों के अंतर से पराजित किया। 1972 के विधानसभा चुनाव में चौधरी देवीलाल ने भजनलाल के सामने आजाद उ मीदवार के रूप में ताल ठोकी। कांग्रेस से उ मीदवार भजनलाल ने 28928 वोट लेते हुए चौधरी देवीलाल को 10961 मतों के अंतर से पराजित कर दिया। 1977 का चुनाव जीतकर भजनलाल ने इस सीट पर जीत की हैट्रिक लगाई। 1977 के चुनाव में भजनलाल को 33,193 वोट मिले। उन्होंने आजाद उ मीदवार मोहर ङ्क्षसह को 20803 वोटों के अंतर से हराया। इसी प्रकार से 1982 में चौधरी भजनलाल ने 42,227 वोट लेते हुए लोकदल के नरेंद्र सांगवान को 24712 मतों के अंतर से हराया। 1987 में लोकदल की लहर के बीच चौधरी भजनलाल की पत्नी जसमा देवी ने सक्रिय सियासत में कदम रखा। जसमा देवी ने करीब 41152 वोट लेते हुए धर्मपाल ङ्क्षसह को 9272 मतों के अंतर से हरया जबकि साल 1991 के चुनाव में भजनला ने जनता पार्टी के हरि ङ्क्षसह को 31,596 मतों के अंतर से पराजित किया और वे पांचवीं बार विधानसभा में पहुंचे। 1996 के विधानसभा चुनाव में भजनलाल ने हरियाणा विकास पार्टी के सुरेंद्र ङ्क्षसह को करीब 20007 वोटों के अंतर से हरा दिया। इसी प्रकार से साल 2000 के चुनाव में चौधरी भजनलाल ने 63174 वोट लेते हुए भाजपा के प्रो. गणेशीलाल को 46,057 मतों के अंतर से पराजित किया। साल 2005 में भजनलाल ने रिकाूर्ड 71081 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की और वे 8वीं बार विधायक बने। साल 2009 में कुलदीप बिश्रोई ने हजकां की टिकट पर चुनाव लड़ा और कांग्रेस के जयप्रकाश को 6015 वोटों के अंतर से पराजित किया। 2014 में कुलदीप बिश्रोई ने हजकां की टिकट पर चुनाव लड़ते हुए इनैलो के कुलदीप ङ्क्षसह बैनीवाल को 17 हजार 249 मतों से पराजित किया। इसी प्रकार से 2019 मे हुए विधानसभा चुनाव में कुलदीप बिश्रोई ने 63693 वोट लेते हुए भाजपा की सोनाली फौगाट को 29 हजार 471 मतों के अंतर से पराजित किया। आदपमुर में तीन उपचुनाव भी हुए। साल 1998 के उपचुनाव में कुलदीप बिश्रोई पहली बार विधायक बने। इसी तरह से साल 2008 में हुए उपचुनाव में चौधरी भजनलाल को जीत मिली तो साल 2011 के उपचुनाव में रेणुका बिश्रोई पहली बार विधानसभा में पहुंची।

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