महम वही इलाका है जहां से देवीलाल को लगातार तीन बार 1982, 1985 और 1987 में विधानसभा में भेजा। फिर एक ऐसा वक्त भी आया जब साल 1990 में महम कांड हुआ। कांड ऐसा था कि देवीलाल को उपप्रधानमंत्री तो चौटाला को मुख्यमंत्री की कुर्सी छोडऩी पड़ी। तीस बरसों से महम कांड चौटाला परिवार के लिए बुरे सपने की तरह रहा है।
1989 में चौधरी देवीलाल केंद्र की सता में आ गए और वे उपप्रधानमंत्री बन गए। 20 फरवरी 1989 को देवीलाल ने ओमप्रकाश चौटाला को जनता दल की हरियाणा इकाई का अध्यक्ष बनाया। देवीलाल ने उपप्रधानमंत्री बनने के बाद महम सीट से त्यागपत्र दे दिया अपने बड़े बेटे चौटाला को हरियाणा का मुख्यमंत्री बना दिया गया। चौटाला 1987 के विधानसभा चुनाव में विधायक निर्वाचित नहीं हुए थे। ऐसे में 6 माह की अवधि में चौटाला का विधायक चुना जाना जरूरी था। चौटाला के महम से ताल ठोंकने से पहले ही आनंद सिंह दांगी भी सक्रिय हो गए। साल 1982, 1985 और 1987 में देवीलाल के चुनाव प्रचार की अहम जिम्मेदारी दांगी ने ही संभाली थी। आनंद सिंह दांगी ने भी महम उपचुनाव में ताल ठोकने के लिए एसएस बोर्ड से त्यागपत्र दे दिया। तनाव और हिंसा के बीच 27 फरवरी 1990 को महम में मतदान हुआ। 8 मतदान केंद्रों पर मतदान 28 फरवरी को हुआ। उस दिन महम में हिंसा का तांडव हुआ। गांव बैंसी के स्कूल में गोलीबारी हुई, बूथ कैप्चरिंग हुई और 20 लोग मारे गए। आज भी यह प्रचलित है कि उस दौरान ओमप्रकाश चौटाला के 27 वर्षीय बेटे अभय सिंह चौटाला एक सिपाही के कपड़े पहनकर सुरक्षित बाहर निकल पाए थे। उग्र भीड़ ने उस सिपाही जिसका नाम हरबंस सिंह था तो उसको मार डाला। इस ङ्क्षहसा के बाद देवीलाल और चौटाला पर चारों ओर से दबाव था। खैर चुनाव आयोग की ओर से 7 मार्च 1990 को महम उपचुनाव को रद्द कर दिया गया। महम की ङ्क्षहसा का ही परिणाम रहा कि 16 मार्च 1990 को उपप्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने की पेशकश कर दी। उधर, दांगी लगातार सक्रिय हो रहे थे। 18 मार्च 1990 को दांगी ने दिल्ली में एक रैली की। चौटाला महम से उपचुनाव लडऩे की जिद्द पकड़े हुए थे। इसके साथ ही उन्होंने दड़बा कलां सीट से विद्या बैनीवाल का त्यागपत्र करवा लिया। 26 मई 1990 को महम और दड़बा कलां विधानसभा में उपचुनाव होना था। पर उससे पहले ही 16 मई को महम से आजाद विधायक अमीर ङ्क्षसह की हत्या हो गई। कई केस दांगी पर दर्ज हुए। देवीलाल पर अब राष्ट्रीय स्तर पर दबाव लगातार बढ़ रहा था। चौटाला दड़बा कलां से विधायक बन गए पर महम कांड उनका पीछा नहीं छोड़ रहा था। फरवरी 1992 में सीबीआई की ओर से अमीर सिंह मर्डर और महम कांड की जांच शुरू की गई। महम का उपचुनाव दो बार हुआ, लेकिन दोनों बार ही नतीजे नहीं आए। साल 1991 के आम चुनाव में जाकर नतीजे आए जब आनंद ङ्क्षसह दांगी यहां से विधायक बने। महम कांड का सियासी असर इतना हुआ कि देवीलाल को उपप्रधानमंत्री तो चौटाला को मुख्यमंत्री की कुर्सी गंवानी पड़ी। महम कांड में अभय सिंह चौटाला का भी नाम सामने आया और केस अदालत में भी चला। 2021 जनवरी माह के अंत में रोहतक की अतिरिक्त जिला सत्र न्यायाधीश रितु वाईके बहल की कोर्ट ने फैसला सुना दिया। अदालत ने इस मामले में केस को दोबारा शुरू करने की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी। इससे इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला समेत 7 लोगों को बड़ी राहत मिली थी।