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Saturday, November 23, 2024
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हरियाणा में अवैध खनन की कड़वी सच्‍चाई, लंबे समय से है माफिया का सत्ता व अफसरशाही से गठजोड़

चंडीगढ़ : हरियाणा में अवैध खनन एक कड़वी सच्‍चाई की तरह है। राज्‍य में सत्ता, अफसरशाही और खनन माफिया का गठजोड़ काफी लंबे समय से चल रहा है। प्रदेश में किसी भी राजनीतिक दल की सरकार हो, खनन माफिया के साथ यह गठजोड़ हमेशा मजबूत ही हुआ है। कोई मुख्यमंत्री यदि खनन माफिया और अफसरशाही के गठजोड़ को तोड़ना भी चाहे तो उसकी अपनी सरकार के मंत्री, सांसद और विधायक यह गठजोड़ टूटने नहीं देते। रही-सही कसर अफसरशाही पूरी कर देती है।

हरियाणा के नुंह के पचगांव में डीएसपी सुरेंद्र मांझु को खनन माफिया के गुर्गों की ओर से डंपर से कूचले जाने की घटना के बाद कानून व्यवस्था पर सवालिया निशान लगा है। वहीं एक बार फिर से यह जाहिर हो गया है कि हरियाणा में खनन माफिया एक ऐसा गिरोह बन चुका है, जो लगातार ऐसी घटनाओं को अंजाम दे रहा है। कथित सियासी संरक्षण के चलते खनन का कारोबार एक ऐसा धंधा बन गया है, जो लगातार लोगों की जान ले रहा है। कुछ माह पहले हरियाणा के भिवानी के डाडम में पहाड़ खिसकने की घटना के बाद प्रदेश में चल रहे अवैध खनन का कारोबार चर्चा में आया था। हरियाणा के भिवानी जिले के डाडम में पहाड़ से चट्टान गिरने से हुए हादसे में पांच लोगों की जान चली गई थी। खैर खनिज के लिहाज से हरियाणा की पहाडिय़ां जहां हरियाणा के सरकारी खजाने का मुंह भरती हैं, वहीं लम्बे समय से अवैध खनन का गेम भी जारी है। हुकमरानों की शहपरस्ती में आज हरियाणा के खनन वाले इलाकों में खनन माफिया इतना हावी हो गया है कि उन पर किसी भी सरकार में एक्शन नहीं होता है। वैसे सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार ही देखें तो हरियाण में हर रोज अवैध खनन के 8 मामले सामने आ रहे हैं। इकॉनोमिक सर्वे ऑफ हरियाणा की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2011-12 से लेकर नवम्बर 2020 तक हरियाणा में अवैध खनन के कुल 24,632 केस सामने आए। इन मामलों के संदर्भ में 1468 एफआईआर दर्ज करते हुए 5467 करोड़ रुपए का जुर्माना वसूला गया। साल-दर-साल बात करें तो 2011-12 में अवैध खनन के 1588 मामले सामने आए। इनमें 117 एफआईआर दर्ज करते हुए 263 करोड़ रुपए का जुर्माना वसूला गया। इसी तरह से साल 2012-13 में 2564, 2013-14 में 4518, 2014-15 में 5333, 2015-16 में 3912, 2016-17 में 1963, 2017-18 में 1748, 2018-19 में 2009 मामले अवैध खनन के सामने आए। यह तो महज सरकारी आंकड़ा है। इससे हटकर अवैध खनन का कारोबार करोड़ों नहीं अरबों से भी आगे हैं। 2018 में महालेखाकार यानी कैग की रिपोर्ट के अनुसार ही प्रदेश में पांच हजार करोड़ रुपए का खनन घोटाला सामने आया था। उस समय कांग्रेस ने इस घोटाले को लेकर सरकार पर जोरदार हमला बोला था। हालांकि दूसरे राज्यों की तुलना में हरियाणा में खनन का सीमित क्षेत्र है। रेता, बजरी, पत्थर, चाइना क्ले, सलेट, लाइमस्टोन जैसे खनज यहां है। यमुनानगर में सबसे अधिक 33 खाने हैं। भिवानी जिला में 2, सोनीपत में 15 और पंचकूला में 18 खाने हैं। कुल 119 खनन साइट्स हैं, जिनमें करीब 70 आवंटित हैं।

किसी भी दल की सरकार हो, खनन माफिया के साथ उसका गठजोड़ हमेशा मजबूत हुआ

यह भी कड़वी सच्‍चाई है कि कई मंत्रियों, सांसदों और विधायकों के राज्य के खनन माफिया के साथ व्यापारिक रिश्ते रहे हैं। पूरे पांच साल कमाकर देने वाले खनन माफिया के पैसे से ही सांसद और विधायक अगले चुनाव की तैयारी करते हैं। खनन के हिसाब से हरियाणा चार जोन में बंटा हुआ है। उत्तर हरियाणा के यमुनानगर क्षेत्र में सबसे अधिक खनन होता है। खनन माफिया ने यहां यमुना नदी का सीना पूरी तरह से छलनी कर डाला है। यमुनानगर में न केवल हरियाणा बल्कि पंजाब और उत्तर प्रदेश का खनन माफिया भी यमुना से रात के अंधेरे में खनन करता है। सोनीपत क्षेत्र में नेता और अधिकारी खनन माफिया की जेब में हैं। भिवानी के डाडम में 300 फीट तक पहाड़ को काट डाला गया, लेकिन आज तक खनन माफिया के राजनीतिक संबंधों को उजागर करने की हिम्मत किसी सरकार ने नहीं जुटाई है। ऐसा किया गया तो राजनीतिक नुकसान संभव है।

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