-अधिकांश विधायक पहुंचे, पूर्व मुख्यमंत्री भपूेंद्र हुड्डा के समर्थकों का लगा जमावड़ा
-शिविर में कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष उदयभान, कार्यकारी जितेंद्र भारद्वाज, पूर्व अध्यक्ष धर्मपाल मलिक, अशोक अरोड़ा ने की शिरकत
-कुमारी सैलजा, सुर्जेवाला, किरण चौधरी, श्रुति चौधरी नदारद
चंडीगढ़, 1 अगस्त (जनसरोकार ब्यूरो): पंचकूला में कांग्रेस का चिंतन शिविर आज शुरू हो गया है। इस शिविर में पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी भूपेंद्र हुड्डा, कांग्रेस के अध्यक्ष उदयभान, राज्यसभा के सदस्य दीपेंद्र हुड्डा, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष धर्मपाल मलिक, अशोक अरोड़ा सहित कांग्रेस के करीब सभी विधायकों ने शिरकत की। शिविर में कांग्रेस के प्रभारी विवेक बंसल, तोशाम की विधायक किरण चौधरी नजर नहीं आए। बंसल को इस शिविर का न्यौता नहीं दिया गया था। इस एकदिवसीय शिविर में कई मसलों पर होगी विस्तार से चर्चा। कृषि, बेरोजगारी, युवा, महंगाई, दलितों, पिछड़ों व महिलाओं पर अत्याचार, बढ़ते अपराध और प्रदेश की जर्जर आर्थिक स्थिति समेत कई मुद्दों पर प्रस्ताव रखे जाने हैं।
9 आमंत्रित सदस्यों को दिया था न्यौता
गौरतलब है कि पंचकूला में कांग्रेस के चिंतन शिविर में कांग्रेस के प्रभारी विवेेक बंसल को न्यौता नहीं दिया गया था, जबकि कांग्रेस के विशेष 9 आमंत्रित सदस्यों को न्यौता दिय गया था। राज्यसभा चुनाव में अजय माकन की हार के बाद विवादों में घिरे प्रदेश प्रभारी विवेक बंसल और बागी विधायक कुलदीप बिश्नोई को नहीं बुलाया गया है। प्रदेशाध्यक्ष उदयभान ने बताया कि शिविर में 9 से 15 अगस्त तक प्रत्येक जिले में 75 किलोमीटर लंबी पदयात्रा की रूपरेखा तय की गई।
अधिकांश सीनियर नेता नहीं पहुंचे
कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष उदयभान की ओर से चिंतन शिविर के लिए कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष, प्रवक्ता, हरियाणा से अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारी, एआईसीसी सचिव, महासचिव, सीडब्ल्यूसी सदस्य को भी बुलाया गया था। रणदीप सुरजेवाला राष्ट्रीय महासचिव हैं और कुमारी सैलजा सीडब्ल्यूसी की सदस्य हैं। इसके अलावा, पिछले लोकसभा व विधानसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशी और अग्रणी संगठनों, विभागों व प्रकोष्ठों के राज्य प्रमुख को भी निमंत्रण दिया गया। हालांकि इस शिविर में सुर्जेवाला, सैलजा नदारद नजर आए। अधिकांश विधायकों ने की शिरकत।
पौने आठ वर्ष से सत्ता से बाहर से है कांग्रेस
गौरतलब है कि पिछले करीब पौने आठ वर्ष से कांग्रेस सत्ता से बाहर है। कांग्रेस लगातार गुटबाजी के चलते भी खामियाजा भुगत रही है। गुटबाजी और नेताओं की खींचतान का ही असर रहा है कि कांग्रेस ने पिछले पौने आठ वर्ष में 2 संसदीय और 2 विधानसभा चुनाव बिना संगठन के लड़े हैं। कांग्रेस हाईकमान ने समय-समय पर प्रदेश कांग्रेस में बदलाव कर गुटबाजी खत्म करने की दिशा में कदम बढ़ाए, पर जब-जब बदलाव हुआ गुटबाजी बढ़ती चली गई। सितंबर 2019 में कांग्रेस ने प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पद से डा. अशोक तंवर को हटा दिया और कुमारी सैलजा को प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया। तंवर कांग्रेस से किनारा कर गए। इसके बाद कुमारी सैलजा और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा के बीच छत्तीस का आंकड़ा देखने को मिला।
अप्रैल में बदलाव के बाद बागी हुए थे कुलदीप
अभी अप्रैल माह में कांग्रेस हाईकमान ने कुमारी सैलजा को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटाते हुए होडल के पूर्व विधायक उदयभान को प्रदेश कांग्रेस का प्रमुख बनाया और साथ ही चार कार्यकारी अध्यक्ष बनाए। इस बदलाव के बाद तो कांग्रेस में घमासान मचा हुआ है। इस बदलाव के बाद सबसे पहले खुलकर बागी तेवर दिखाए कुलदीप बिश्रोई ने। बिश्रोई ने कांग्रेस पर एक के बाद एक आरोप लगाए। 10 जून को खुलकर कुलदीप ने राज्यसभा चुनाव में बगावत कर दी।
कांग्रेस गुटबाजी का पहले भी भुगत चुकी है खामियाजा
कांग्रेस में नेताओं की खींचतान और गुटबाजी नई बात नहीं है। कांग्रेस पहले भी इसका खामियाजा भुगत चुकी है। साल 2005 से लेकर 2014 तक कांग्रेस करीब साढ़े 9 वर्ष तक सत्ता में रही। 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को महज एक सीट पर जीत मिली और अक्तूबर 2014 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 15 सीटों पर सिमट गई। उस समय गुटबाजी के चलते कांग्रेस का ऐसा हश्र हुआ था। इसी तरह से 2019 के संसदीय चुनाव में कांग्रेस का खाता नहीं खुला था। अभी पिछले साल के अंत में हुए ऐलनाबाद के उपचुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार पवन बैनीवाल की जमानत जब्त हो गई। उस समय भी कांग्रेस की गुटबाजी सामने आई थी।
राज्यसभा चुनाव के बाद मचा घमासान
कांग्रेस के इस समय 31 विधायक हैं। आदमपुर के विधायक कुलदीप बिश्रेाई ने खुलकर कांगे्रस की बगावत करते हुए 10 जून को हुए चुनाव में आजाद प्रत्याशी कार्तिकेय शर्मा के पक्ष में मतदान किया था। वहीं कांग्रेस के शेष तीस विधायकों में से एक वोट रद्द हो गया था। ऐसे में मामूली अंतर से कांग्रेस उम्मीदवार माकन चुनाव हार गए। इस हार के बाद कांग्रेस के बड़े नेताओं की काफी फजीहत भी हुई। कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी विवेक बंसल हाईकमान को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी, वही कांग्रेस में ही एक विशेष धड़े की ओर से यह भी मांग की जा रही है कि पूरे मामले से पर्दा उठना चाहिए साथ ही एक जांच कमेटी बने इस बात की जांच की जाए की आखिर कार्तिकेय शर्मा को कांग्रेस के ही एक बड़े नेता ने उम्मीदवार बनाने में अपनी अहम भूमिका निभाई ।
ऐसे बाजी हार गए थे माकन
गौरतलब है कि हरियाणा में राज्यसभा की 2 सीटों को लेकर 10 जून को मतदान हुआ था 2 सीटों को लेकर हुए चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की ओर से पूर्व मंत्री कृष्ण लाल पंवार उम्मीदवार थे भाजपा के पास पर्याप्त वोटों से भी अधिक संख्या थी ऐसे में कृष्ण लाल पवार राज्यसभा के सांसद चुन लिए गए । वहीं कांग्रेस ने राज्यसभा चुनाव के लिए अजय माकन को अपना उम्मीदवार बनाया तो जननायक जनता पार्टी भाजपा ने पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा के बेटे कार्तिकेय शर्मा को चुनावी मैदान में उतारा। 6 आजाद विधायकों के अलावा इनेलो के विधायक अभय सिंह चौटाला और हरियाणा लोकहित पार्टी के विधायक गोपाल कांडा ने कार्तिकेय शर्मा के पक्ष में मतदान किया कांग्रेस के आदमपुर से विधायक कुलदीप बिश्नोई भी खुलकर कार्तिकेय शर्मा के साथ खड़े नजर आए । महम से आजाद विधायक बलराज कुंडू ने वोट नहीं किया था। चुनावी गणित ऐसा बिगड़ा की कांग्रेस के एक विधायक की ओर से क्रॉस वोटिंग कर दी गई और एक वोट के अंतर से अजय माकन जैसे सीनियर नेता राज्यसभा के चुनाव में हार गए।