-सैलजा, सुर्जेवाला के बाद विवेक बंसल और किरण चौधरी ने हुड्डा कैंप से बना ली है दूरी
चंडीगढ़, 1 अगस्त (जनसरोकार एक्सक्लूसिव): पंचकूला में सोमवार को कांग्रेस का चिंतन शिविर एक तरह से कांग्रेस हाईकमान के लिए बड़ी चिंता का सबब बन गया है। इस शिविर में कांग्रेस प्रभारी विवेक बंसल नहीं पहुंचे। उन्हें शिविर का न्यौता नहीं दिया गया था। तोशाम की विधायक किरण चौधरी भी नहीं पहुंची। इसके अलावा कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सिंह सुर्जेवाला, कांग्रेस की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा, हरियाणा प्रदेश कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष श्रुति चौधरी भी चिंतन शिविर में नहीं आईं। निश्चित रूप से कांग्रेस हाईकमान के लिए यह चिंता का विषय है। हरियाणा में इसी साल कुछ समय बाद पंचायती राज के चुनाव के अलावा फरीदाबाद, गुरुग्राम और मानेसर नगर निगम के चुनाव हैं। इसके अलावा मई 2024 में संसदीय जबकि अक्तूूूूूूूूूूूूूूूूूूूबर 2024 में विधानसभा के चुुुुुुुुुुुुुुुुनाव होने हैं। कांग्रेस हाईकमान लगातार कांग्रेेेेेेेेेेेेेेेस के नेताओं को एकजुट करने के प्रयास कर रही है। पर कांग्रेस हाईकमान के ये प्रयास सिरे चढ़ते नजर नहीं आ रहे हैं, बल्कि कांग्रेस में नेताओं की आपसी खींचतान लगातार बढ़ती जा रही है। पहले सैलजा और हुड्डा में 36 का आंकड़ा रहा, अब तो कांग्रेस के प्रभारी विवेक बंसल, विधायक किरण चौधरी सरीखे बड़े नेताओं के साथ भी कांग्रेस के नए संगठन और हुड्डा कैंप की खटास साफ नजर आ रही है।
माकन के आरोपों के बाद किरण ने हुड्डा कैंप से बनाई दूरी
शिविर में तोशाम की विधायक किरण चौधरी भी नहीं पहुंची। किरण चौधरी की बेटी एवं पूर्व सांसद श्रुति चौधरी भी नदारद नजर आई। श्रुति चौधरी हरियाणा प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष हैं। कुछ दिन पहले अजय माकन ने राज्यसभा चुनाव को लेकर किरण चौधरी पर बड़ा हमला बोला था। माकन ने दावा किया था कि कांग्रेस के तीस में से एक विधायक का वोट रद्द हुआ और वो वोट किरण चौधरी का था। इसके साथ ही माकन ने कांग्रेस के प्रभारी विवेक बंसल पर भी सवालिया निशान लगाए थे। माकन के इन आरोपों के बाद किरण चौधरी ने भी उन पर पलटवार किया था। ऐसा माना जा रहा है कि माकन के इन आरोपों के बाद से ही किरण चौधरी ने हुड्डा कैंप से दूरी बनाई हुई है। यही वजह है कि कांग्रेस के चिंतन शिविर में किरण चौधरी नहीं पहुंची।
इन नेताओं ने बनाई शिविर से दूरी
कांग्रेस के शिविर में किरण चौधरी के अलावा कांग्रेस के प्रभारी विवेक बंसल, कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सिंह सुर्जेवाला, कांग्रेस की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा जैसे सीनियर नेता नहीं पहुंचे। गौरतलब है कि 2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 31 सीटों पर जीत मिली थी। इनमें से आदमपुर के विधायक कुलदीप बिश्रोई को पार्टी ने 11 जून को संगठन के सभी पदों से निष्कासित कर दिया था। तीस विधायकों में से करीब 25 से अधिक विधायक हुड्डा समॢथत माने जाते हैं, जबकि चार विधायक सैलजा गुट में आते हैं। तोशाम की विधायक किरण चौधरी किसी गुट से नहीं हैं।
9 आमंत्रित सदस्यों को दिया था न्यौता
गौरतलब है कि पंचकूला में कांग्रेस के चिंतन शिविर में कांग्रेस के प्रभारी विवेेक बंसल को न्यौता नहीं दिया गया था, जबकि कांग्रेस के विशेष 9 आमंत्रित सदस्यों को न्यौता दिय गया था। राज्यसभा चुनाव में अजय माकन की हार के बाद विवादों में घिरे प्रदेश प्रभारी विवेक बंसल और बागी विधायक कुलदीप बिश्नोई को नहीं बुलाया गया है। प्रदेशाध्यक्ष उदयभान ने बताया कि शिविर में 9 से 15 अगस्त तक प्रत्येक जिले में 75 किलोमीटर लंबी पदयात्रा की रूपरेखा तय की गई।
पौने आठ वर्ष से सत्ता से बाहर से है कांग्रेस
गौरतलब है कि पिछले करीब पौने आठ वर्ष से कांग्रेस सत्ता से बाहर है। कांग्रेस लगातार गुटबाजी के चलते भी खामियाजा भुगत रही है। गुटबाजी और नेताओं की खींचतान का ही असर रहा है कि कांग्रेस ने पिछले पौने आठ वर्ष में 2 संसदीय और 2 विधानसभा चुनाव बिना संगठन के लड़े हैं। कांग्रेस हाईकमान ने समय-समय पर प्रदेश कांग्रेस में बदलाव कर गुटबाजी खत्म करने की दिशा में कदम बढ़ाए, पर जब-जब बदलाव हुआ गुटबाजी बढ़ती चली गई। सितंबर 2019 में कांग्रेस ने प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पद से डा. अशोक तंवर को हटा दिया और कुमारी सैलजा को प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया। तंवर कांग्रेस से किनारा कर गए। इसके बाद कुमारी सैलजा और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बीच छत्तीस का आंकड़ा देखने को मिला।
अप्रैल में बदलाव के बाद बागी हुए थे कुलदीप
अभी अप्रैल माह में कांग्रेस हाईकमान ने कुमारी सैलजा को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटाते हुए होडल के पूर्व विधायक उदयभान को प्रदेश कांग्रेस का प्रमुख बनाया और साथ ही चार कार्यकारी अध्यक्ष बनाए। इस बदलाव के बाद तो कांग्रेस में घमासान मचा हुआ है। इस बदलाव के बाद सबसे पहले खुलकर बागी तेवर दिखाए कुलदीप बिश्रोई ने। बिश्रोई ने कांग्रेस पर एक के बाद एक आरोप लगाए। 10 जून को खुलकर कुलदीप ने राज्यसभा चुनाव में बगावत कर दी।
कांग्रेस गुटबाजी का पहले भी भुगत चुकी है खामियाजा
कांग्रेस में नेताओं की खींचतान और गुटबाजी नई बात नहीं है। कांग्रेस पहले भी इसका खामियाजा भुगत चुकी है। साल 2005 से लेकर 2014 तक कांग्रेस करीब साढ़े 9 वर्ष तक सत्ता में रही। 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को महज एक सीट पर जीत मिली और अक्तूबर 2014 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 15 सीटों पर सिमट गई। उस समय गुटबाजी के चलते कांग्रेस का ऐसा हश्र हुआ था। इसी तरह से 2019 के संसदीय चुनाव में कांग्रेस का खाता नहीं खुला था। अभी पिछले साल के अंत में हुए ऐलनाबाद के उपचुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार पवन बैनीवाल की जमानत जब्त हो गई। उस समय भी कांग्रेस की गुटबाजी सामने आई थी।
राज्यसभा चुनाव के बाद मचा घमासान
कांग्रेस के इस समय 31 विधायक हैं। आदमपुर के विधायक कुलदीप बिश्रेाई ने खुलकर कांगे्रस की बगावत करते हुए 10 जून को हुए चुनाव में आजाद प्रत्याशी कार्तिकेय शर्मा के पक्ष में मतदान किया था। वहीं कांग्रेस के शेष तीस विधायकों में से एक वोट रद्द हो गया था। ऐसे में मामूली अंतर से कांग्रेस उम्मीदवार माकन चुनाव हार गए। इस हार के बाद कांग्रेस के बड़े नेताओं की काफी फजीहत भी हुई। कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी विवेक बंसल हाईकमान को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी, वही कांग्रेस में ही एक विशेष धड़े की ओर से यह भी मांग की जा रही है कि पूरे मामले से पर्दा उठना चाहिए साथ ही एक जांच कमेटी बने इस बात की जांच की जाए की आखिर कार्तिकेय शर्मा को कांग्रेस के ही एक बड़े नेता ने उम्मीदवार बनाने में अपनी अहम भूमिका निभाई ।
ऐसे बाजी हार गए थे माकन
गौरतलब है कि हरियाणा में राज्यसभा की 2 सीटों को लेकर 10 जून को मतदान हुआ था 2 सीटों को लेकर हुए चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की ओर से पूर्व मंत्री कृष्ण लाल पंवार उम्मीदवार थे भाजपा के पास पर्याप्त वोटों से भी अधिक संख्या थी ऐसे में कृष्ण लाल पवार राज्यसभा के सांसद चुन लिए गए । वहीं कांग्रेस ने राज्यसभा चुनाव के लिए अजय माकन को अपना उम्मीदवार बनाया तो जननायक जनता पार्टी भाजपा ने पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा के बेटे कार्तिकेय शर्मा को चुनावी मैदान में उतारा। 6 आजाद विधायकों के अलावा इनेलो के विधायक अभय सिंह चौटाला और हरियाणा लोकहित पार्टी के विधायक गोपाल कांडा ने कार्तिकेय शर्मा के पक्ष में मतदान किया कांग्रेस के आदमपुर से विधायक कुलदीप बिश्नोई भी खुलकर कार्तिकेय शर्मा के साथ खड़े नजर आए । महम से आजाद विधायक बलराज कुंडू ने वोट नहीं किया था। चुनावी गणित ऐसा बिगड़ा की कांग्रेस के एक विधायक की ओर से क्रॉस वोटिंग कर दी गई और एक वोट के अंतर से अजय माकन जैसे सीनियर नेता राज्यसभा के चुनाव में हार गए।
विधायकों ने लगाई प्रस्तावों की झड़ी
शिविर में कांग्रेस के मौजूदा विधायकों ने एक के बाद एक प्रस्ताव पेश किए। बेरोजगारी, कानून व्यवस्था, आॢथक मामलों, अल्पसंख्यक मामलों, सामाजिक न्याय, दलित, पिछड़ा वर्ग और महिलाओं के मुद्दों, कृषि, बेरोजगारी से जुड़े प्रस्ताव पेश किए गए। कांग्रेस के विधायक एवं पूर्व स्पीकर रघुबीर ङ्क्षसह कादियान, विधायक राव दान ङ्क्षसह, विधायक गीता भूक्कल, जयवीर वाल्मीकि, जगबीर मलिक, मामन खान, शीशपाल केहरवाला सहित अन्य विधायकों ने प्रस्ताव पेश किए। इस शिविर में कांग्रेस ङ्क्षचतन और मंथन करने की बजाय प्रस्तावों के जरिए सरकार पर हमला बोलती हुई नजर आई। शिविर में विधानसभा के पूर्व स्पीकर रघुवीर सिंह कादियान ने कृषि मामलों पर प्रस्ताव पेश किया। कादियान ने कहा कि हरियाणा का किसान और आम जनता बदलाव चाहती है। आज किसान पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल को याद कर रहे हैं, क्योंकि हुड्डा सरकार में हुआ था किसानों की खुशहाली का कार्य। कादियान ने कहा कि हुड्डा के कार्यकाल में किसान की जमीन कुर्की पर लगाई थी रोक। किसानों के कर्ज, ब्याज और 1600 करोड़ रुपए के बिजली बिल किए थे माफ। साथ ही हुड्डा राज में धान के रेट 5 हजार तक पहुंच गए थे। वहीं विधायक मामन खान ने अल्पसंख्यक मामलों पर चर्चा करते हुए कहा कि मौजूदा सरकार में कोई सुरक्षित नहीं है। यहां तक कि यहां तक कि विधायको तक को लगातार धमकियां मिल रही हैं। खान ने कहा कि एक विधायक ने मजबूरी में इस्तीफे की पेशकश करनी पड़ी। भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार ने हरियाणा से अपराध को खत्म करने का काम किया था और बदमाशों को संदेश दे दिया गया था कि या तो अपराधी अपराध छोड़ दें या हरियाणा छोड़ दें। जर्जर कानून व्यवस्था को लेकर विधायक जगबीर मलिक ने प्रस्ताव रखते हुए कहा कि सबसे जरूरी है कानून व्यवस्था क्योंकि जान है तो जहान है। मलिक ने कहा कि आज प्रदेश में ना आम आदमी सुरक्षित है और ना ही विधायक सुरक्षित हैं। जिस तरह से नूंह में डीएसपी का मर्डर हुआ, उससे स्पष्ट है कि लोगों की सुरक्षा सरकार के एजेंडे में नहीं हैं। मलिक ने कहा कि हरियाणा में रोज 3 से 4 हत्या होती हैं, रोज 11 अपहरण, 5 रेप होते हैं। मलिक ने कहा कि हुड्डा सरकार में अपराधी हरियाणा छोडक़र चले गए थे। अपराधी इतने खौफजदा थे कि वो जेल से जमानत तक नहीं करवाते थे। हुड्डा सरकार में कानून व्यवस्था बेहतर होने की वजह से जमकर निवेश हुआ था। वहीं कालांवाली के विधायक शीशपाल केहरवाला ने कहा कि आज हरियाणा में 30 प्रतिशत से ज्यादा बेरोजगारी दर है, जो देश की बेरोजगारी से 4 गुणा ज्यादा है। भर्ती घोटालों के नाम पर युवाओं के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है, भर्तियां निकाल दी जाती हैं, लेकिन उनको लटकाया जाता है। केहरवाला ने कहा कि बेरोजगारी से हताश हुआ नशे की गिरफ्त में फंस रहे हैं। हुड्डा सरकार में बनाई गई खेल नीति को मौजूदा सरकार बर्बाद कर दिया और खिलाड़ी लगातार अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। केहरवाला ने कहा कि ‘मैं प्रस्ताव करता हूं कि हमारी सरकार बनने पर कृषि आधारित रोजगार पैदा किए जाएंगे और 3 लाख 32 हजार खाली पड़े पद भरे जाएंगे।’
विधायक राव दान सिंह ने पेश किया आर्थिक मामलों पर प्रस्ताव
कांग्रेस के चिंतन शिविर में महेंद्रगढ़ के विधायक राव दान सिंह ने आर्थिक मामलों पर प्रस्ताव पेश किया। रोहतक के विधायक भारत भूषण बतरा ने आर्थिक प्रस्ताव का अनुमोदन किया। राव दान सिंह ने कहा कि प्रदेश का आर्थिक ढांचा लगातार डगमगाता जा रहा है, निवेश लगातार घट रहा है। वहीं, विधायक गीता भुक्कल ने सामाजिक न्याय, दलित, पिछड़ा वर्ग और महिलाओं के मुद्दों पर प्रस्ताव पेश किया। भूक्कल ने कहा कि तमाम वर्ग आज अनदेखी का शिकार हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि हुड्डा सरकार के दौरान शुरू की गई तमाम कल्याणकारी योजनाओं को मौजूदा सरकार ने या तो बंद किया या उनका नाम बदलकर उन्हें निष्क्रिय कर दिया गया है। कांग्रेस सरकार बनने पर उन तमाम कल्याणकारी योजनाओं को फिर से शुरू किया जाएगा। भूक्कल ने कहा कि 100-100 गज के प्लॉट, बिजली, पानी के मुफ्त कनेक्शन देने, मकान बनाने के लिए राशि देने जैसी योजनाओं को फिर से शुरू किया जाएगा। साथ ही भूक्कल ने कहा कि कांग्रेस जातिगत जनगणना की मांग करती है।