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बधाई देने गए संपत्त को रातों-रात देवीलाल ने बनाया था राजनीतिक सचिव

-छह बार विधायक रहे संपत्त सिंह, 1977 से 2009 तक रहे लोकदल-इनैलो में

-2019 में आए थे भाजपा में, आदमपुर से हो सकते हैं कांग्रेस के उम्मीदवार

फतेहाबाद, 5 अगस्त (जन सरोकार ब्यूरो): हरियाणा के हिसार जिले की आदमपुर विधानसभा सीट पर कुलदीप बिश्रोई के इस्तीफे के बाद उपचुनाव होना है। चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार इस सीट पर 2 फरवरी तक यानी छह माह की अवधि में उपचुनाव होना है। भाजपा की ओर से कुलदीप बिश्रोई के बेटे भव्य बिश्रोई का उपचुनाव लडऩा तय माना जा रहा है। कांग्रेस की ओर से इस सीट पर पूर्व मंत्री और छह बार विधायक रहे संपत्त सिंह को चुनावी मैदान में उतार सकता है। चौधरी देवीलाल की राजनीतिक नर्सरी की पौध संपत्त सिंह को ताऊ देवीलाल के राजनीतिक सचिव रहने के अलावा 1990 से 1991 में विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और ओमप्रकाश चौटाला की सरकार में साल 2000 में 2004 से लेकर वित्त मंत्री भी रहे। 1977 से लेकर 1979 तक वे चौधरी देवीलाल के राजनीतिक सचिव रहे। दरअसल संपत्त सिंह को चौधरी देवीलाल सियासत में लेकर आए। साल 1974 में रोड़ी का उपचुनाव जीतने के बाद देवीलाल इमरजैंसी में 19 महीने जेल में रहे। इसके बाद 1977 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में देवीलाल के पक्ष में एकतरफा लहर थी। देवीलाल ने भट्टू से चुनाव लड़ा। उसी समय संपत्त सिंह देवीलाल के संपर्क में आए। देवीलाल संपत्त सिंह से काफी प्रभावित हुए। उस समय संपत्त ङ्क्षसह एक कालेज में प्राध्यापक थे। देवीलाल के पक्ष में संपत्त सिंह ने चुनावी प्रबंधन का काम संभाला। देवीलाल 21 जून 1977 को मुख्यमंत्री बने। बधाई देने संपत्त सिंह देवीलाल के पास चंडीगढ़ पहुंचे। देवीलाल को बधाई देने के बाद संपत्त सिंह ने घर जाने की इजाजत मांगी।
संपत्त सिंह को थमा दी थी राजनीतिक सचिव की चिट्ठी

संपत्त सिंह के इजाजत मांगने पर देवीलाल ने संपत्त सिंह को रुकने के लिए कहा। संपत्त सिंह के सामने ही आला अफसरों को उसी समय आदेश दिए कि संपत्त सिंह आज से उनके राजनीतिक सचिव होंगे, आप चिट्ठी तैयार करें। देवीलाल ने संपत्त को राजनीतिक सचिव बना दिया और उसके बाद संपत्त सिंह 1977 से लेकर 2009 तक देवीलाल और ओमप्रकाश चौटाला के साथ ही रहे। छह चुनाव जीते, कई चुनाव हारे भी 1980 में भट्टू हलका से चुनाव लड़ा और करीब 9 हजार वोटों से हार गए। 1982 में उन्हें लोकदल का टिकट नहीं मिला। देवीलाल ने इस चुनाव में संपत्त सिंह को आजाद उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़वाया और वे आजाद उम्मीदवार के रूप में ही विधायक बन गए। इसके बाद 1987, 1991, 1996, 2000 और 2009 में विधायक रहे। साल 2009 में हिसार लोकसभा सीट से इनैलो की टिकट पर चुनाव लड़ा। चुनाव में चौधरी भजनलाल से हार गए। 2009 में ही इनैलो के शीर्ष नेतृत्व पर सवाल उठाते हुए संपत्त सिंह ने संसदीय चुनाव के नतीजों के बाद इनैलो को छोड़ दिया और कांगे्रस में आ गए। संपत्त सिंह ने 2009 के विधानसभा चुनाव में नलवा सीट से हजकां की जसमां देवी को पराजित किया। 2019 में कांग्रेस ने नहीं दी टिकट, किया था किनारा 2014 में वे नलवा से इनैलो के रणबीर गंगवा से हार गए, जबकि 2019 में उन्हें कांग्रेस ने टिकट ही नहीं दिया। संपत्त सिंह साल 2019 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए थे। संपत्त सिंह हरियाणा के अनुभवी राजनेता हैं। इनैलो में उन्हें थिंक टैंक के नाम से जाना जाता था। यही वजह है कि इनैलो की सरकार में ओमप्रकाश चौटाला के बाद संपत्त सिंह ही सबसे वरिष्ठ मंत्री रहे। भाजपा में फिलहाल वे हाशिए पर ही रहे। जब संपत्त सिंह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए तो राजनीतिक पर्यवेक्षकों के यह कयास थे कि भाजपा इस नेता को कोई बड़ी जिम्मेदारी देगी। पर ऐसा नहीं हुआ और उन्हें कोई पद नहीं दिया गया। जून 2021 जब भाजपा की कार्यकारिणी के सदस्य बनने की बात आई तो संपत्त सिंह ने साफ इंकार कर दिया। उन्होंने एक चिट्ठी के जरिए अपनी खामोशी तोड़ी थी।
वेणुगोपाल से कर चुके हैं मुलाकात
गौरतलब है कि प्रोफेसर सम्पत सिंह ने 4 अगस्त को राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा के साथ कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव के.सी. वेणुगोपाल से मुलकात की। इस मुलाकात के बाद यह चर्चा है कि संपत्त सिंह जल्द ही कांग्रेस पार्टी में शामिल हो सकते हैं। ऐसे भी कयास लग रहे है कि कांग्रेस द्वारा उन्हें या संभवत: उनके पुत्र गौरव सिंह को आदमपुर उपचुनाव में पार्टी प्रत्याशी के तौर पर उतरा जा सकता है।
चुनाव लडऩे का लंबा अनुभव
बहरहाल, पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने वर्तमान में 73 वर्षीय सम्पत सिंह के राजनीतिक जीवन पर बताया कि उन्होंने आज तक 6 विधानसभा चुनाव जीते जबकि कुल 7 बार हार का सामना करना पड़ा। वर्ष 1972 से 1977 तक हिसार के दयानंद कॉलेज में पोलिटिकल साइंस के लेक्चरर रह चुके सम्पत वर्ष 1977 से 1979 तक प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री देवी लाल के राजनीतिक सचिव रहे थे। हेमंत कुमार के अनुसार संपत्त सिंह पहले देवी लाल और उसके पश्चात ओम प्रकाश चौटाला, बनारसी दास गुप्ता और मास्टर हुक्म सिंह की लोकदल सरकार के दौरान सम्पत गृह विभाग सहित विभिन्न विभाग के कैबिनेट मंत्री रहे थे।

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