चंडीगढ़: हरियाणा में वीआइपी कल्चर खत्म करने के लिए प्रदेश सरकार ने भले ही वाहनों से लाल-नीली और बहुरंगी बत्तियां हटा दी हैं, लेकिन माननीयों में स्टेटस सिंबल के रूप में पुलिस जवानों को अपने साथ रखने का मोह अब भी नहीं छूट रहा। वह भी सरकारी खर्चे पर। मुख्यमंत्री-उपमुख्यमंत्री और मंत्रियों के साथ ही सांसद-विधायकों के लिए प्रोटोकाल के नाते सुरक्षा जरूरी है, जबकि बड़ी संख्या में रिटायर्ड अफसरों और नेताओं ने धमकी के आधार पर सुरक्षा ली हुई है।
पुलिस में 50 हजार से अधिक पद खाली, फिर भी 1515 पुलिस कर्मचारी लगाए 464 माननीयों की सेवा में
हरियाणा पुलिस में अफसर-कर्मचारियों के 50 हजार से अधिक पद खाली हैं, लेकिन इसके बावजूद 464 माननीयों की सुरक्षा में 1515 पुलिस कर्मचारी लगे हुए हैं। इनमें से 365 नेताओं ने धमकियों की दुहाई देते हुए सरकार से सुरक्षा ली हुई है, जबकि 15 सांसदों और 90 विधायकों को प्रोटोकाल के अनुसार सुरक्षा गार्ड उपलब्ध कराए गए हैं।
बड़ी संख्या में रिटायर्ड अफसरों और नेताओं ने धमकी के आधार पर ली हुई है सुरक्षा, सरकार उठाती खर्च
ऐलनाबाद से इनेलो विधायक अभय सिंह चौटाला और एनआइटी फरीदाबाद के कांग्रेस विधायक नीरज शर्मा ने अतारांकित सवाल लगाते हुए सरकार से पूछा था कि कितने सांसद-विधायकों, पूर्व सांसदों और पूर्व विधायकों तथा अन्य विभिन्न श्रेणियों से संबंधित नेताओं को सरकारी खर्च पर सुरक्षा प्रदान की गई है। किस आधार पर इन माननीयों की सुरक्षा पर होने वाला खर्च सरकार द्वारा वहन किया जाता है। कितने लोगों को धमकी के आधार पर सुरक्षा प्रदान की गई है।