-कुलदीप के भाजपा में आने के बाद बदली राजनीतिक तस्वीर
-एक दूसरे के सामने चुनाव लडऩे वाले बीरेंद्र सिंह, कुलदीप, अजय चौटाला अब भाजपा के साथ
हिसार, 20 अगस्त (जन सरोकार ब्यूरो) : आदमपुर विधानसभा में प्रस्तावित उपचुनाव को लेकर हरियाणा में राजनीतिक गतिविधियां लगातार जारी हैं। इस सीट से इस्तीफा देने के बाद खुद कुलदीप बिश्रोई आदमपुर में जनसंपर्क अभियान चला रहे हैं। कुलदीप के साथ शुक्रवार को हिसार मे हरियाणा के बिजली और जेल मंत्री रणजीत सिंह भी नजर आए। कांग्रेस विधायक दल के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा, राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र हुड्डा, प्रो. संपत सिंह और जयप्रकाश जेपी भी आदमपुर में दस्तक देकर राजनीतिक गर्मी ला चुके हैं। खास बात यह है कि आदमपुर और हिसार लोकसभा सीट के समीकरण अब 2019 की तुलना में पूरी तरह से बदले हुए हैं। कभी एक-दूसरे के सामने चुनाव लड़ चुके बीरेंद्र सिंह, अजय चौटाला और कुलदीप अब भाजपा के साथ हैं। बृजेंद्र और कुलदीप भाजपा में हैं तो अजय चौटाला की जजपा गठबंधन सरकार का हिस्सा है। खुद कुलदीप ने भी शुक्रवार को एक बड़ा बयान देते हुए कह दिया था कि अब मैं, दुष्यंत और बृजेंद्र साथ आ गए हैं, पॉवर ट्रिपल हो गई। इससे हुड्डा को घबराहट हो रही है और उनके पसीने छूट रहे हैं। क्या वास्तव में ही हिसार सीट पर राजनीतिक समीकरण बदल रहे हैं? क्या आने आदमपुर उपचुनाव के बहाने एक-दूसरे धूर राजनीतिक विरोधी चौधरी बीरेंद्र सिंह, अजय चौटाला और कुलदीप बिश्रोई एक साथ आएंगे? इन सब सवालों के जवाबों को समझना जरूरी है।
दरअसल हिसार संसदीय सीट पर साल 2019 के मई में हुए संसदीय चुनाव में भाजपा ने पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह के बेटे और आईएएस अधिकारी रह चुके बृजेंद्र सिंह को टिकट दिया। बृजेंद्र सिंह ने इस चुनाव में बड़े अंतर से जननायक जनता पार्टी के दुष्यंत चौटाला को पराजित किया। कांग्रेस के भव्य बिश्रोई तीसरे स्थान पर रहे। चौधरी बीरेंद्र सिंह, अजय चौटाला और कुलदीप बिश्रोई के परिवार राजनीतिक रूप से एक दूसरे के धूर विरोधी रहे हैं। 1991 से 1995 तक चौधरी बीरेंद्र सिंह प्रदेश कांग्रेस के प्रमुख रहे। 1991 के चुनाव में कांग्रेस को बहुमत मिला और सरकार बनी। तब बीरेंद्र सिंह मुख्यमंत्री बनते-बनते रह गए। बेबाक तेवरों के लिए मशहूर बीरेंद्र का भजनलाल के साथ छत्तीस का आंकड़ा रहा। वहीं चौटाला परिवार के साथ भी उन्होंने कई चुनाव लड़े। बीरेंद्र सिंह ने साल 1984 में हिसार सीट से ओमप्रकाश चौटाला को संसदीय चुनाव में हराया। उचाना से बीरेंद्र चौटाला से चुनाव हारे तो एक चुनाव जीता भी। 2014 में बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेमलता ने इनैलो के दुष्यंत चौटाला को पराजित किया तो 2019 के विधानसभा चुनाव में जजपा से चुनाव लड़ते हुए दुष्यंत ने प्रेमलत्ता को हराया। यही कहानी कुलदीप बिश्रोई और देवीलाल परिवार के बीच रही है। अतीत के गणित में बीरेंद्र, अजय और कुलदीप तीनों हिसार में आमने-सामने थे। अलग-अलग दलों से चुनावी मैदान में थे। बीरेंद्र ङ्क्षसह पहले से ही भाजपा में हैं। कुलदीप अभी भाजपा में आए हैं तो अजय चौटाला सरकार का हिस्सा हैं। ऐसे में अगर आदमपुर चुनाव के बहाने ये तीनों बड़े नेता अगर एक साथ आते हैं, तो निश्चित रूप से विरोधियों के लिए यह खतरे की घंटी है। वहीं अब आदमपुर विधानसभा सीट की बात करें तो आदमपुर में साल 2019 के विधानसभा चुनाव में कुलदीप ने करीब 63 हजार वोट लेते हुए भाजपा की सोनाली फौगाट को करीब 29 हजार वोटों के अंतर से पराजित किया। जजपा के रमेश कुमार करीब 15 हजार वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे। कुलदीप भाजपा में आ गए हैँ। दूसरे स्थान पर रही सोनाली पहले से भाजपा में हैं। तीसरे स्थान पर ही जजपा सरकार का हिस्सा हैं। ऐसे में आदमपुर की परीक्षा में पास होने के लिए अपने विरोधियों के साथ कदमताल कर रहे कुलदीप का यह दावा कितना सही है कि अब पॉवर ट्रिपल हो गई है। सियासी विश्लेषकों का कहना है कि आदमपुर का उपचुनाव फरवरी 2023 से पहले होना तय माना जा रहा है। ऐसे में गठबंधन सरकार का हिस्सा जजपा के नेता इस उपचुनाव में कुलदीप का साथ देंगे, यह उनकी एक तरह से मजबूरी भी है। अक्सर अपनी बेबाकी के लिए मशहूर बीरेंद्र सिंह को भी इस उपचुनाव में कुलदीप के साथ आना पड़ेगा, ऐसा राजनीतिक गलियारों में कयास लगाए जा रहे हैं। हालांकि हिसार संसदीय क्षेत्र में इन तीनों नेताओं का अपना जनाधार और प्रभाव है। हिसार में ये तीनों नेता ही कतई अपना दावा भी नहीं छोड़ेंगे। भविष्य में इस दावे के ऊपर भी एक पार्टी के साथ रहते हुए तीनों नेताओं में वर्चस्व की जंग भी देखने को मिल सकती है।