हाल में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक फैसला सुनाते हुए कहा कि पत्नी की उपस्थिति में बहन अनुंकपा की नियुक्ति की हकदार नहीं है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति नीरज तिवारी की पीठ प्रतिवादियों को एक महीने के भीतर याचिकाकर्ता की अनुकंपा नियुक्ति के लिए अभ्यावेदन तय करने का निर्देश देने के लिए दायर याचिका पर विचार कर रही थी। इस मामले में याचिकाकत्र्ता के महिला के पिता सफाई कर्मचारी के पद पर कार्यरत थे और सरकारी सेवा के दौरान उनका निधन हो गया। पिता के निधन के बाद उसकी बेटी को भाई को रावधानों के तहत अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति दी गई है। इसी दौरान सडक़ दुर्घटना में याचिकाकर्ता के भाई की भी मौत हो गई। उसकी मौत के बाद उनकी मां ने अनुकंपा के आधार पर याचिकाकर्ता की नियुक्ति के लिए सहमति दी है। याचिकाकर्ता ने प्रतिवादी संख्या 2 के समक्ष एक अभ्यावेदन दायर किया है। एक नियुक्ति के लिए, जो निर्णय के लिए लंबित है। क्या याचिकाकर्ता द्वारा याचिकाकर्ता की अनुकंपा नियुक्ति के लिए अभ्यावेदन तय करने के लिए प्रतिवादियों को निर्देश देने के लिए दायर याचिका को स्वीकार किया जा सकता है? इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि पीठ ने कहा कि इस तथ्य का कोई विवाद नहीं है कि मृतक-कर्मचारी विवाहित था और उसकी पत्नी जीवित है और अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति का दावा भी कर रही है। इसलिए, नियमों के तहत, वही केवल नियुक्ति के लिए हकदार है और याचिकाकर्ता-बहन को कोई राहत नहीं दी जा सकती है, जो कि नियम, 1974 संशोधित नियम 2021 में दिए गए पदानुक्रम के क्रम में क्रम संख्या 4 पर है इसलिए, याचिका में कोई बल नहीं है और खारिज किए जाने योग्य है। उपरोक्त को देखते हुए हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।
पत्नी के होते हुए बहन अनुकंपा की नियुक्ति की हकदार नहीं: हाईकोर्ट
By jan sarokar
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