दिल्ली, 26 अगस्त (जन सरोकार ब्यूरो): कांग्रेस के सीनियर नेता गुलाम नबी आजाद ने शुक्रवार को कांग्रेस को अलविदा कह दिया। पार्टी के सभी पदों और प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। अपना इस्तीफा आजाद ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजा है। तीन पेज के इस्तीफे में साफ लिखा है कि राहुल गांधी की एंट्री साल 2013 में कांग्रेस में होती है और आपनेे उनको पार्टी का उपाध्यक्ष बनाया, तब उन्होंने पार्टी के सलाहकार तंत्र को पूरी तरह से तबाह कर दिया। आजाद ने यह भी आरोप लगाया कि राहुल की एंट्री के सभी सीनियर और अनुभवी नेताओं को साइडलाइन कर दिया गया और गैरअनुभवी सनकी लोगों का नया समूह खड़ा हो गया और यही पार्टी को चलाने लगा।
गौरतलब है कि गुलाम नबी आजाद काफी समय से पार्टी हाईकमान से नाराज चल रहे हैं। आजाद कांग्रेस से हटकर उस गु्रप -23 का भी नेतृत्व करते हैं, जिसे कांग्रेस हाईकमान निशान पर लेती रही है। इसी महीने 16 अगस्त को कांग्रेस ने आजाद को जम्मू-कश्मीर प्रदेश कैंपेन कमेटी का अध्यक्ष बनाया था, लेकिन आजाद ने अध्यक्ष बनाए जाने के 2 घंटे बाद ही पद से इस्तीफा दे दिया था। आजाद ने कहा था कि ये मेरा डिमोशन है।
पहले भी हाईकमान से हो चुकी है खटपट
यह पहली बार नहीं है, जब गुलाम नबी आजाद 10 जनपथ यानी सोनिय गांधी के गुड लिस्ट से बाहर हैं। 2008 में जम्मू-कश्मीर मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद भी उनका कांग्रेस हाईकमान से खटपट हुई थी। हालांकि, 2009 में आध्र प्रदेश कांग्रेस में विवाद के बाद हाईकमान ने आजाद को समस्या सुलझाने की जिम्मेदारी दी। इसके बाद फिर वे गुड लिस्ट में शामिल हुए और केंद्र में मंत्री बने। सूत्रों के मुताबिक, इस बार कांग्रेस हाईकमान से उनका समझौता नहीं हो पाया, इस वजह से उन्होंने इस्तीफा ही दे दिया।
1973 में आए सक्रिय राजनीति में
गुलाम नबी आजाद ने पहली बार साल 1973 में सक्रिय राजनीति में कदम रखा था. गुलाम नबी आजाद साल 1973 से साल 1975 तक ब्लेसा की कांग्रेस कमेटी के ब्लॉक सचिव रहे। साल 1975 में गुलाम नबी आजाद जम्मू एवं कश्मीर के युवा कांग्रेस के अध्यक्ष बने. इसके बाद साल 1977 में वह डोडा जिले के कांग्रेस अध्यक्ष बने और फिर अपनी काबिलियत के दम पर गुलाम नबी अखिल भारतीय युवा कांग्रेस के महासचिव बनाए गए. इसके बाद साल 1980 में गुलाम नबी आजाद महाराष्ट्र के वाशिम लोकसभा क्षेत्र से चुनकर पहली बार लोकसभा पहुंचे. साल 1982 में इंदिरा गांधी की सरकार में गुलाम नबी आजाद को विधि, न्याय और कंपनी मामलों का उप मंत्री बनाया गया. इसके बाद साल 1985 में वह दौबारा लोकसभा सांसद बने. गुलाम नबी खाद्य और नागरिक आपूर्ति के राज्य मंत्री बने.
केंद्र में रहे मंत्री, जम्मू के सीएम भी रहे
गुलाम नबी आजाद साल 1990 से साल 1996 तक राज्यसभा सांसद बने रहे. गुलाम नबी आजाद ने नरसिम्हा राव की सरकार में संसदीय कार्य मंत्री और नागरिक उड्डयन मंत्री की जिम्मेदारी संभाली. साल 2002 में गुलाम नबी आजाद के नेतृत्व में कांग्रेस जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी. 2 नवंबर 2005 को गुलाम नबी आजाद ने जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. साल 2008 में सहयोगी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी द्वारा समर्थन वापस लेने के कारण ग़ुलाम नबी आज़ाद ने इस्तीफ़ा दे दिया.
कांग्रेस से आजाद हुए गुलाम, दिया इस्तीफा, बोले राहुल ने कांग्रेस को किया तबाह
RELATED ARTICLES