-कांग्रेस के हरियाणा मामलों के प्रभारी विवेक बंसल से की शिकायत
चंडीगढ़, 1 सितंबर (जन सरोकार ब्यूरो): कांग्रेस विधायक दल के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ अब प्रदेश कांगे्रस की पूर्व अध्यक्ष और पूर्व सांसद कुमारी सैलजा ने मोर्चा खोल दिया है। हुड्डा की ओर से कांग्रेस से तीन दिन पहले किनारा करने वाले गुलाम नबी आजाद के साथ तीस अगस्त को दिल्ली में की गई मुलाकात को लेकर कुमारी सैलजा ने कांग्रेस हाईकमान को पत्र लिखते हुए शिकायत की है। सैलजा ने कांगे्रस के हरियाणा मामलों के प्रभारी विवेक बंसल को एक पत्र लिखते हुए शिकायत की है। सूत्रों के अनुसार सैलजा ने अपने पत्र में हुड्डा की इस मुलाकात को अनुशासनहीनता बताते हुए हुड्डा पर एक्शन लेने की मांग की है। गौरतलब है कि कांग्रेस नेतृत्व पर सवाल उठाते हुए गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, हुड्डा, पृथ्वीराज चव्हाण ने कांग्रेस के सामांतर जी-23 बनाया था। इस समूह में कांग्रेस के 23 बड़े नेता जुड़े रहे हैं। पिछले साल जी-23 ने जम्मू में एक रैली भी की थी। उस रैली में हुड्डा भी पहुंचे थे। गुलाम नबी आजाद तीन दिन पहले कांग्रेस से किनारा कर गए थे और उन्होंने राहुल गांधी पर गंभीर आरोप भी लगाए। अब एकाएक हुड्डा आजाद से ऐसे मौके पर मुलाकात करने दिल्ली में पहुंचे। हुड्डा के अलावा कांग्रेस नेता आनंद शर्मा और पृथ्वीराज चव्हाण ने भी आजाद से मुलाकात की थी। अब इस मुलाकात के बाद हरियाणा की राजनीति में हलचल तेज है और कुमारी सैलजा ने हुड्डा पर पहली बार खुलकर हमला बोला है।
पहले भी सैलजा ने लिखी थी चिट्ठी
हरियाणा कांग्रेस में चल रही गुटबाजी का असर पिछले साल 30 अक्तूबर को हुए ऐलनाबाद उपचुनाव में भी नजर आया। इस उपचुनाव में कांग्रेस ने पवन बैनीवाल को अपना प्रत्याशी बनाया। पवन बैनीवाल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी सैलजा की पसंद थे। ऐसे में इस उपचुनाव में कांग्रेस के कई बड़े नेताओं ने प्रचार में औपचारिकता का निर्वहन किया। इसी का नतीजा रहा कि कांग्रेस ऐलनाबाद में अपनी जमानत नहीं बचा सकी। गुटबाजी का ही असर रहा कि पार्टी के खिलाफ काम करने के आरोप लगाते हुए कुमारी सैलजा ने तो पूर्व विधायक और ऐलनाबाद से टिकट के दावेदार भरत सिंह बैनीवाल को पत्र लिखकर जवाब तलबी भी की थी।
लगातार जारी है खींचतान
कांग्रेस में आपसी खींचतान लगातार जारी है। हालांकि 2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने एकजुटता दिखाई थी और उस समय कांग्रेस को 31 सीटों पर जीत मिली थी। सियासी पर्यवेक्षकों का मानना है कि चूंकि उस समय चुनाव के ठीक पहले ही कांग्रेस के संगठन में बदलाव हुआ था, ऐसे में गुटबाजी का असर नहीं हुआ। अब तो पिछले करीब एक साल ं से गुटबाजी चरम पर चल रही है। गुटबाजी का ही परिणाम था कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद सिंह हुड्डा के समर्थक माने जाने वाले करीब 24 विधायकों इस साल के शुरूआत में कांग्रेस महासचिव के.सी. वेणुगोपाल से मुलाकात की थी। ये सभी प्रदेश कांग्रेस में नेतृत्व बदलाव को लेकर दबाव बना रहे थे। कांग्रेस के प्रभारी विवेक बंसल ने एक चि_ी भी सभी विधायकों को लिखी थी। हुड्डा लगातार दबाव बनाते रहे।
हुड्डा का दबाव आया काम, सैलजा को पद से हटाया
गौरतलब है कि हुड्डा की दबाव की रणनीति के आगे कांग्रेस हाईकमान को उनकी शर्तें माननी पड़ी। अप्रैल में कांग्रेस हाईकमान ने संगठन में बदलाव किया। कांग्रेस की प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा की जगह होडल के पूर्व विधायक उदयभान को कांग्रेस का प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया और चार कार्यकारी अध्यक्ष बनाए गए। उदयभान हुड्डा के भरोसेमंद माने जाते हैं। कांग्रेस में हुए बदलाव के बाद कुलदीप ने बागी तेवर दिखाए। 10 जून को राज्यसभा चुनाव में कुलदीप ने कांग्रेस की बजाय आजाद प्रत्याशी कार्तिकेय शर्मा के पक्ष में वोट किया। इसके बाद कांग्रेस ने कुलदीप को सभी पदों से निष्कासित कर दिया और बाद में कुलदीप भाजपा में चले गए।
आठ साल से सत्ता से बाहर है कांग्रेस
वैसे भी कांग्रेस पिछले आठ वर्ष से हरियाणा से सत्ता से बाहर है। लगातार चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन भी ठीक नहीं रहा है। 2014 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 15 जबकि 2019 के चुनाव में 31 सीटों पर जीत मिली। 2019 के संसदीय चुनाव में पार्टी का खाता नहीं खुला। यहां तक भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी सोनीपत से चुनाव हार गए। ऐसे में इस छोटे से राज्य में फिर से वापसी को लेकर कांग्रेस हाईकमान गंभीर नजर आती है। ऐसा माना जा रहा है कि अब कांग्रेस हाईकमान जहां पार्टी की गुटबाजी और खींचतान को दूर करने को लेकर प्रयास कर रही है।