-पंचायत चुनाव और आदमपुर उपचुनाव है आप के लिए बड़ी चुनौती
हिसार, 1 सितंबर (जन सरोकार ब्यूरो): आदमपुर विधानसभा सीट में प्रस्तावित उपचुनाव के मद्देनजर आम आदमी पार्टी ने सात सितंबर को आदमपुर कस्बे में रैली का ऐलान कर दिया है। इस रैली में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल शिरकत करेंगे। आदमपुर सीट पर 2 फरवरी 2023 तक उपचुनाव करवाया जाना है। आम आदमी पार्टी हरियाणा में राजनीतिक जमीन संवारने को लेकर जोर-आजमाइश कर रही है और इस कड़ी में पार्टी ने पंचायती चुनाव और आदमपुर के उपचुनाव में पूरे दमखम के साथ उतरने की तैयार की है। यही वजह है कि आप ने पहले ही स्पष्ट कर दिया कि वे पंचायती चुनाव सिंबल पर लड़ेंगे। इधर, अब एकाएक आदमपुर में रैली रखकर दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने संकेत दे दिया है कि आदमपुर उपचुनाव में उनकी पार्टी भी पूरे जोर-शोर से उतरेगी। आदमुपर सीट पर भाजपा की ओर से कुलदीप बिश्रोई या उनके बेटे भव्य उम्मीदवार हो सकते हैं, जबकि कांग्रेस से प्रो. संपत्त सिंह, जयप्रकाश जेपी प्रमुख दावेदार हैं। ऐसे में आप की दस्तक के बाद यहां पर मुकाबला रोचक हो सकता है। वैसे आदमपुर में 1968 के बाद से भजनलाल परिवार कोई चुनाव हारा नहीं है। केजरीवाल मूल रूप से हिसार के रहने वाले हैं और वे अक्सर इस बात का राजनीतिक तौर पर श्रेय लेने से पीछे नहीं हटते हैं। आदमपुर विधानसभा सीट हिसार लोकसभा क्षेत्र का ही हिस्सा है। आदमपुर में साल 2019 में भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ चुकी सोनाली फौगाट की मौत हो चुकी है। सोनाली पिछले करीब तीन साल से आदमपुर की राजनीति में सक्रिय थीं। ऐसे में आदमपुर उपचुनाव में आने वाले समय में सोनाली के परिवार का क्या रुख रहता है, यह भी मायने रखता है। वैसे केजरीवाल की सात सितंबर की रैली में आम आदमी पार्टी के हरियाणा इकाई के नेता कितनी भीड़ जुटा पाते हैं? यह देखना भी दिलचस्प होगा। इस समय राज्यसभा के सदस्य सुशील गुप्ता हरियाणा इकाई के प्रभारी हैं। पूर्व सांसद अशोक तंवर भी अब आम आदमी पार्टी के साथ हैं।
हरियाणा में कामयाब नहीं हुए केजरीवाल
दिल्ली में लगातार तीन बार सरकार बनाने वाले अरविंद केजरीवाल अपने गृह राज्य हरियाणा में अपनी सियासी जमीन संवारने में कामयाब नहीं हुए हैं। दिल्ली में 2013, 2105 और 2020 में लगातार तीन चुनाव जीतकर हैट्रिक लगाने वाले अरविंद केजरीवाल हरियाणा में भी 2014 और 2019 का संसदीय चुनाव एवं 2019 में विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमा चुके हैं, लेकिन उन्हे यहां पर बड़ी हार का ही सामना करना पड़ा। 2014 के लोकसभा चुनाव में आप हरियाणा की सभी दस सीटों पर जमानत भी नहीं बचा सकी, जबकि 2019 के संसदीय चुनाव में जननायक जनता पार्टी के साथ गठबंधन पर चुनावी समर में उतरी आप को बड़ी हार का सामना करना पड़ा था। आप हरियाणा में 2014 और 2019 के संसदीय चुनाव व अक्तूबर 2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में करारी हार का सामना कर चुकी है।
हरियाणा में संसदीय और विधानसभा चुनाव में जमानत हुई जब्त
मई 2014 के लोकसभा चुनाव में हरियणा की सभी 10 सीटों पर अपने उम्मीदवार मैदान में उतारे। न केवल सभी दस सीटों पर आप के उम्मीदवार हारे, बल्कि उनकी जमानत भी जब्त हो गई। आप के बड़े नेता व गुरूग्राम से संसदीय चुनाव लड़ चुके योगेंद्र यादव केजरीवाल के साथ मतभेदों के चलते पार्टी से किनारा कर गए। इसके बाद आप ने जनवरी 2019 में हरियाणा के जींद उपचुनाव में जननायक जनता पार्टी का साथ दिया और 2019 के संसदीय चुनाव में आप ने जजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा, पर अपेक्षित कामयाबी नहीं मिली। अक्तूबर 2019 में हुए हरियाणा विधानसभा चुनाव में आप ने हरियाणा की 70 सीटों पर अपने उम्मीदवार मैदान में उतारे और सभी की जमानत जब्त हो गई और पार्टी को नोटा से भी कम महज 0.48 प्रतिशत मत ही मिले।