आदमपुर उपचुनाव और पंचायत चुनाव में बाबा के समर्थकों के वोट बटोरने की तैयारी
जन सरोकार ब्यूरो
फतेहाबाद, 11 अक्टूबर। जैसे ही चुनाव नजदीक होते हैं बलात्कार के जुर्म में सुनारिया जेल में बंद डेराचीफ पैरोल पर जेल से बाहर होता है। आदमपुर उपचुनाव नजदीक है और डेरा सच्चा सौदा चीफ बाबा राम रहीम एक बार फिर जेल से पैरोल पर बाहर आएगा। डेरा मुखी के परिवार ने हरियाणा सरकार को बाबा को पैरोल देने की अर्जी दी है। हरियाणा के जेल मंत्री रणजीत सिंह ने मामले में कमिश्नर से रिपोर्ट मांगी है। पैरोल को आदमपुर उपचुनाव और पंचायत चुनाव से जोड़ कर देखा जा रहा है।
डेरा मुखी राम रहीम इस समय साध्वी यौन शोषण, पत्रकार छत्रपति और रणजीत सिंह हत्याकांड में हरियाणा के रोहतक जिले की सुनारिया जेल में सजा काट रहा है। वहीं इस बार पैरोल पर आने के बाद डेरा प्रमुख सिरसा या राजस्थान के डेरे में रूकेगा। इसके लिए डेरा मैनेजमेंट तैयारियां कर रही है। नियम अनुसार डेरामुखी को एक साल में करीब 90 दिन की जेल से छुट्टी मिल सकती है। इसमें 21 दिन की फरलो और 70 दिन की पैरोल शामिल है। अब बाबा दिसंबर से पहले लगभग 40 दिन की पैरोल और ले सकता है।
बता दें कि साल 2021 में 3 बार और 2022 में 2 बार राम रहीम जेल से बाहर आ चुका है। फरवरी 2022 में डेरामुखी ने 21 दिन की फरलो ली थी। इसके बाद जून में एक महीने की पैरोल पर जेल से बाहर आया था।
आदमपुर में होने वाले उपचुनाव के लिए नामांकन शुरु हो चुके हैं तथा पंचायत चुनाव के लिए भी घोषणा हो चुकी है। पहले चरण में 9 जिलों में पंचायत चुनाव कराए जाने हैं। राम रहीम के बाहर आने को इससे जोड़कर देखा जा रहा है। राम रहीम की पैरोल के दौरान ही डेरे की पॉलिटिकल विंग समर्थन की रणनीति बनाएगी, जिसके बारे में आगे श्रद्धालुओं को सूचित किया जाएगा।
पंजाब में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान भी डेराचीफ जेल से बाहर आया था। उस वक्त डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह को 21 दिन की फरलो दी गई थी। यह फरलो इसलिए भी महत्वपूर्ण थी, क्योंकि डेरा सच्चा सौदा का मालवा की 35 से ज्यादा सीटों पर सीधा प्रभाव है। इसको लेकर विपक्षी दलों ने भाजपा पर निशाने भी साधे थे।
डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह के परिवार पहचान पत्र में हुए बदलाव की जांच शुरू हो गई है। डेरा अनुयायियों की ओर से सीएम को भेजी शिकायत के बाद जांच के आदेश हुए हैं। अब स्थानीय अधिकारियों ने इस संबंध में न केवल शिकायतकर्ताओं को अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया है, बल्कि फैमिली आईडी से संबंधितों को भी 7 दिन का नोटिस भेजकर आदेश दिए गए हैं कि परिवार पहचान पत्र में किस आधार पर बदलाव किया गया, वे कागजात लेकर पेश हों। अब अधिकारी फैमिली आईडी में होने वाले बदलाव के नियम खंगालने में भी जुट गया हैं। हालांकि आधिकारिक रूप से कोई भी प्रशासनिक अधिकारी इस संबंध में कुछ भी बताने से बच रहे हैं।
डेरामुखी गुरमीत सिंह ने जून में मिली पैरोल अवधि के दौरान अपनी फैमिली आईडी में बदलाव करवाया। इसमें उन्होंने परिवार के किसी भी सदस्य को शामिल नहीं किया है, बल्कि मुंह बोली बेटी हनीप्रीत को शामिल किया है। अपने पिता का नाम, स्थान भी दर्ज करवाया है। फैमिली आईडी की प्रति सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। इसके बाद विवाद खड़ा हो गया है।