टिकट नहीं मिलने पर कांग्रेस छोड़कर इनेलो में शामिल होकर चुनाव लड़ रहे किसान नेता कुरड़ाराम नंबरदार की परफॉर्मेंस भी इस चुनाव के नतीजे पर खूब असर डालने वाली है।
जन सरोकार ब्यूरो।
आदमपुर।
आदमपुर उपचुनाव में कौन पार्टी कितनी ताकत से चुनाव में उतरी है तथा किसने प्रचार को लेकर कैसी तैयारी की हुई है, यह बुधवार से साफ दिखाई देने लगेगा। क्योंकि, बुधवार से चुनाव लड़ रही सभी पार्टियों के स्टार प्रचारक आदमपुर की जनता के बीच होंगे। इस बीच बात आती है कि आदमपुर के इस चुनाव में मुकाबला वन टू वन होगा या तिकोना। जो भी हो, लेकिन कांग्रेस छोड़कर इनेलो में शामिल होकर चुनाव लड़ रहे किसान नेता कुरड़ाराम की भूमिका इस उपचुनाव में महत्वपूर्ण होने वाली है।
यहां यह बात भी ध्यान में रखनी होगी कि इनेलो और कुरड़ाराम दोनों एक दूसरे के सहारे से काफी उम्मीदें लगाए हुए हैं। इनेलो जहां लंबे समय तक कांग्रेस में रहे और किसानों के लिए संघर्ष करने वाले कुरड़ाराम के सहारे फिर से खड़ा होने के प्रयास में है, वहीं कुरडाराम इनेलो के सहारे अच्छा प्रदर्शन कर उन्हें टिकट नहीं देने वाले कांग्रेस आलाकमान काे अपनी ताकत दिखाना चाह रहे हैं। बहरहाल कुरड़ाराम के अच्छे और खराब दोनों प्रकार के प्रदर्शन से कांग्रेस और भाजपा दोनों पर असर पड़ने वाला है। अगर कुरड़ाराम “ढीले” पड़े तो जाहिर सी बात है कि यह कुलदीप बिश्नोई और भाजपा के लिए खतरे की घंटी होगी। और यदि कुरड़ाराम ने प्रदर्शन अच्छा रहा तो निश्चित ही यह भाजपा और कुलदीप दोनों को राहत देने वाला होगा।
आइए समझते हैं कुरड़ाराम कैसे प्रभावित करेंगे आदमपुर के चुनावी नतीजे।
उपचुनाव में तेजी से प्रचार करने में लगी कांग्रेस और इनेलो दोनों पार्टियों की स्ट्रेंथ है आदमपुर का जाट वोट। दोनों ही पार्टियों इस वोट बैंक को साधकर भव्य बिश्नोई और भाजपा को मात देना चाहती है। अब बात करते हैं यदि कुरड़ाराम “ढीले” पड़े तो वह कुलदीप बिश्नोई के लिए खतरे की घंटी कैसे है। कुरड़ाराम का ढीला पड़ना यानि इनेलो का कमजोर प्रदर्शन यदि इस उपचुनाव में रहता है तो स्पष्ट होगा हो कि जाट वोट उन्हें नहीं मिल रहा, ऐसे में जाट वोट सीधे तौर पर कांग्रेस में जाएगा और कांग्रेस का मजबूत होना कुलदीप बिश्नोई के लिए खतरे की घंटी होगा। वहीं इसका दूसरा पहलू यह है कि कुरड़ाराम यदि अच्छे वोट हासिल करते हैं तो स्वाभाविक है कि उन्हें जाट समुदाय का वोट मिलेगा। ऐसा होने से जाट वोट कांग्रेस और इनेलो में डिवाइड होगा और उस परिस्थिति में कुलदीप बिश्नोई को इसका फायदा मिलेगा।
गांव-गांव जा रहे ओमप्रकाश और अभय चौटाला
इनेलो पार्टी बीते 25 सितंबर की फतेहाबाद रैली के बाद काफी हौंसले में है। दूसरी बात यह कि उन्हें उपचुनाव में प्रत्याशी भी तैयार मिल गया। अब चुनाव प्रचार के दौरान भी इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला और उनके बेटे अभय सिंह चौटाला दोनों गांव-गांव जाकर कुरड़ाराम के लिए प्रचार करने में लगे हुए हैं। अब देखना है कि आदमपुर की जनता राजनीति के इस गणित को किसी प्रकार से समझती है और किसे मजबूत और किसे कमजोर करने का निर्णय लेती है।