ब्लैक फंगस पर आरएसएस हरियाणा द्वारा करवाए गए वेबीनार में हजारों लोग हुए शामिल
फतेहाबाद। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की हरियाणा इकाई ने एक सार्थक पहल करते हुए काली फफूंदी (ब्लैक फंगस) पर ऑनलाइन वेबीनार का आयोजन किया। इस वेबीनार में गुरूग्राम विश्वविद्यालय के कुलपति एवं वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. मार्कंडेय आहूजा मुख्य वक्ता के तौर पर शामिल हुए। वेबीनार में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्रीय संघचालक सीताराम ब्यास, प्रान्त संघ चालक पवन जिंदल, प्रांत कार्यवाह सुभाष आहूजा तथा संघ के अनेक पदाधिकारियों सहित जूम एप पर लगभग 400 लोगों के साथ-साथ सोशल मीडिया के प्लेटफॉम्र्स पर हजारों लोगों ने स्कोर लाइव देखा।
डॉ. मार्कंडेय आहूजा ने वेबीनार के दौरान कहा कि ब्लैक फंगस कोई नई बीमारी नहीं है। यह काफी समय पहले से चलती आ रही है और मरीज द्वारा अगर सावधानी बरती जाए तो इसका उपचार और हल असंभव नहीं है। डॉ. आहूजा ने कहा कि कोविड-19 के कारण ब्लैक फंगस का फैलाव ज्यादा देखने को मिल रहा है। ब्लैक फंगस बड़ी तेजी से फैलता है। आंख-कान व नाक पर बहुत जल्दी अटैक करता है। उन्होंने कहा कि डायबिटीज के मरीज पर ब्लैक फंगस बहुत तेज अपनी रफ्तार दिखाता है। कोविड-19 के कारण जिन मरीजों की शारीरिक क्षमता कमजोर हो जाती है, उस पर ब्लैक फंगस अपना असर दिखा सकता है।
डॉक्टर आहूजा ने कहा कि ब्लैक फंगस नाम का यह वायरस खून की गति को जाम कर देता है, जिस कारण कई बार मरीज अंधे हो जाते हैं या फिर उनकादिमाग काम करना बंद कर देता है। बहुत से केसों में मरीज की जान तक चली जाती है। ब्लैक फंगस के प्रारंभिक लक्षणों पर बात करते हुए डॉ. आहूजा नेकहा कि इस बीमारी का निदान हो सकता है। शुरुआती दौर में ही मरीज को तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए ताकि इसका इलाज प्राथमिक दौर में हीहो सके। कोविड-19 के दौरान या ठीक होने के बाद अगर कोई ऐसा लक्षण महसूस हो, जो शरीर में अलग तरह का आभास दे रहा हो तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें। उन्होंने कहा किइलाज से भागना नहीं, बल्कि मजबूत इरादों के साथ इसका सामना करना है।
वेबीनार के दौरान लोगों द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए डॉ. मार्कंडेय आहूजा नेकहा कि यदि हम शुरुआती दौर में ही इस बीमारी को पकड़ लेते हैं और इसका इलाज शुरू कर देते हैं तो निश्चित तौर पर ब्लैक फंगस से बच सकते हैं। जब किसी शूगर के रोगी को कोविड होता है, तो उसे एक स्टेरॉयड दिया जाता है जो शरीर की इम्यूनिटी को भी कमजोर करता है और शूगर के लेवल को बढ़ाता है। सामान्य कोरोना मरीजों को यह संक्रमण नहीं होता। उन्होंने कहा कि यह मधुमेह, कैंसर या अंग प्रत्यारोपण वाले लोगों को प्रभावित करता है। बीमारी से जुड़े सामान्य लक्षण सिरदर्द, चेहरे का दर्द, नाक में दर्द, नजर का नुकसान या आंखों में दर्द, गाल या आंखों की सूजन हो जाने से पता चलते हैं। डॉ. आहूजा ने बताया कि कोविड के इलाज के बाद मधुमेह की स्थिति में ब्लड शुगर के स्तर पर लगातार नजर रखें और इसे बढऩे न दें।
हरियाणा में ब्लैक फंगस को अधिसूचित रोग घोषित किया गया है। अब इन मामलों का पता चलने पर डॉक्टरों को संबंधित जिले के सीएमओ को रिपोर्ट करनी होगी। राज्य के किसी भी सरकारी और निजी अस्पताल में ब्लैक फंगस के मामले मिलने पर उसकी सूचना स्थानीय जिले के सीएमओ को देना जरूरी है ताकि बीमारी की रोकथाम के लिए उचित कदम उठाए जा सकें।