नई दिल्ली। कोविड-19 की दूसरी लहर से जूझ रहे भारत में इसके उपचार के लिए कोविशील्ड व कोवाक्सिन वैक्सीन प्रयोग में लाई जा रही हैं और इनके माध्यम से वैक्सीनेशन हो रही है। इतने बड़े देश की आबादी को टीके लगाए जाने हैं इसलिए इनकी कमी महसूस हो रही है और विदेश यात्रा पर जाने वालों को भी दिक्कत महसूस हो रही है। सप्लाई और ट्रांसपोर्टेशन की वजह से किल्लत भी महसूस हो रही है और इसीलिए देश के कई इलाकों से बड़ी खेप की मांग हो रही है। इन दो वैक्सीन के अतिरिक्त रूस द्वारा विकसित स्पूतनिक-वी एकमात्र वह टीका है जिसे भारत सरकार ने अपने यहां प्रयोग की मंजूरी दी है। बेशक अभी इसका उत्पादन अन्य दो वैक्सीन जितना नहीं हो रहा। ऐसी स्थिति में कोविशील्ड और कोवाक्सिन पर ही ज्यादातर देशवासी विश्वास कर रहे हैं।
कोविशील्ड वैक्सीन का परीक्षण भारत और इंग्लैंड में एक साथ किया गया इसलिए शुरू से ही लोगों का भरोसा इस पर अधिक था जबकि कोवाक्सिन की कई तरह की जांच पड़ताल हुई। इसे लेकर राजनीति भी हुई जबकि कोवाक्सिन की कोरोना वायरस से लडऩे की ताकत अधिक है। कोवाक्सिन का भारत में टीकाकरण काफी तेजी से हो रहा है लेकिन दूसरे देशों ने इस पर कम भरोसा किया है। इसे उन देशों में कम स्वीकार किया गया जिनमें भारतीय लोग लगातार यात्राएं करते हैं।
मेड इन इंडिया कोविशील्ड को विदेशों में मान्यता
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