आदमपुर उपचुनाव में लगातार टफ हो रहे मुकाबले में प्रचार के लिए मात्र 72 घंटे का वक्त बचा है, रुठों को मनाना, भितरघात से बचना और बिश्नोई बाहुल्य गांवों में टूटते वोटों को रोकना कुलदीप बिश्नोई के लिए बड़ी चुनौती
जन सरोकार ब्यूरो।
आदमपुर।
आदमपुर उपचुनाव में अब इम्तिहान की घड़ी नजदीक आ गई है, क्योंकि काफी टफ माने जा रहे इस मुकाबले में चुनाव प्रचार के लिए मात्र 72 घंटे का ही समय बचा है। इन्हीं 72 घंटों में कुलदीप बिश्नोई के पास खोने को इतना कुछ है जिसका उन्हें अंदाजा ही नहीं है। कुलदीप ही नहीं संभवत भजनलाल परिवार को शायद ही कभी पिछले 54 साल के राजनीतिक जीवन में कोई चुनाव जीतने के लिए इतनी मेहनत करनी पड़ी हो या यूं कहें कि इतने साम-दाम-दंड-भेद अपनाने पड़े होंगे, जितना इस उपचुनाव में करना पड़ रहा है। यही कारण है कि कुलदीप बिश्नोई इस चुनाव में शुरू से ही भारतीय जनता पार्टी की चुनावी मैनेजमेंट के सहारे चल रहे हैं।
उपचुनाव की वोटिंग से पहले बची 5 रातों में यदि किसी नेता के पास आदमपुर में कुछ खोने के लिए है तो वो है सिर्फ और सिर्फ कुलदीप बिश्नोई ही हैं। ऐसे में, इस उपचुनाव के अगले 5 दिनों में कुलदीप बिश्नोई के सामने जो चुनौतियां खड़ी हैं उनके चलते कुलदीप की सांसें फूलनी शुरू हो गई हैं। इस उपचुनाव के बाकी बचे दिनों में कुलदीप बिश्नोई के सामने आने वाली जो चुनौतियां हैं, उनकी अगर बात करें तो सबसे पहली चुनौती है अपने रूठे लोगों को मनाना, विधानसभा में बहुत लोग ऐसे हैं जो कभी भजनलाल परिवार के साथ थे लेकिन कुलदीप की कार्यप्रणाली और कथित गलत फैसलों से वे नाराज चल रहे हैं। खास बात है कि ऐसे लोगों की नाराजगी खुलेआम है, इन लोगों को मनाने के लिए पूरा भजनलाल परिवार लगा हुआ है।
वहीं, अगर बात करें दूसरी चुनौती की तो वह है भितरघात। भजनलाल परिवार के एकतरफा माने जाने वाले गांवों में बहुत लोग कुलदीप बिश्नोई से नाराज हैं। यह नाराजगी ऐसी है इसलिए वह लोग चुप हैं, ऐसे लोग किसे वोट देंगे इसका किसी को नहीं पता। लेकिन, यह तय है कि ये कुलदीप बिश्नोई के बेटे भव्य को वोट नहीं देने का मन बना चुके हैं। यह भितरघात कितनी है तथा इसका चुनावी नतीजों पर कितना गहरा असर पड़ने वाला है, इसका अंदाजा किसी को नहीं है। कुलदीप बिश्नोई के सामने तीसरी और सबसे बड़ी चुनौती है दूसरी पार्टियों द्वारा उनके “अपने” वोटों में लगाई जा रही सेंध को रोकना। जैसे-जैसे चुनाव प्रचार तेज हो रहा है दूसरी पार्टियों के बड़े नेता कुलदीप के वोटों में लगातार सेंधमारी कर रहे हैं।
इन सबके बीच अब कुलदीप बिश्नोई को यह समझ नहीं आ रहा है कि वे अपने वोटों को टूटने से रोकें या दूसरी पार्टियों के वोटों को अपनी तरफ करने के लिए मेहनत करें। अब देखना होगा कि कयामत की अगली 5 रातों को कुलदीप बिश्नोई कैसे मैनेज करेंगे और आदमपुर की जनता उनकी अपने बेटे के लिए की जा रही मेहनत को कितना फल देगी।