जन सरोकार ब्यूरो
चंडीगढ़, 12 मार्च। हरियाणा के निवर्तमान सीएम मनोहर लाल को बदल कर नायाब सैनी को सीएम बनाने के पीछे ऐसे बहुत सी वजहें हैं जो बताती हैं कि इस फैसले से बीजेपी को फायदा ही होगा। हरियाणा में जाटों और किसानों की नाराजगी कुछ हद तक कम होगी, निश्चित तौर पर यह बीजेपी मान कर चल रही है।
हरियाणा में जाट वोटर परंपरागत तौर से आईएनएलडी और कांग्रेस के वोटर रहे। बीजेपी ने 2014 में गैर जाट ओबीसी की राजनीति शुरू की। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को सात लोकसभा सीट मिली और पार्टी को 34.7 फीसदी वोट मिले थे। उस साल हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 33.2 फीसदी वोटों के साथ 90 में से 47 विधानसभा सीटें जीत ली और पहली बार सरकार बनाई। आईएनएलडी को 24.1 प्रतिशत और कांग्रेस को 20 प्रतिशत वोट मिले।
पहली बार हरियाणा में गैर जाट पंजाबी मनोहर लाल खट्टर को सीएम की कुर्सी सौंप दी। बीजेपी के इस फैसले से जाट नाराज हुए। हरियाणा में जाट बिरादरी की आबादी 30 फीसदी है। इसके अलावा जट सिख, सैनी, बिश्नोई और त्यागी वोटरों की तादाद काफी है। बीजेपी की पॉलिसी का असर यह रहा कि 2019 में पीएम मोदी के चेहरे और गैर जाट वोटों के कारण 58.02 फीसदी वोट मिले। नायब सिंह सैनी के सीएम बनने के बाद यह वोट बैंक पक्का हो गया है।