दिल्ली की चुप्पी अभी भी बरकरार है, मीडिया के कैमरों के सामने लोग वही बोल रहे हैं जो माइक वाला सुनना चाहता है!

जन सरोकार ब्यूरो/आरके सेठी
नई दिल्ली, 29 जनवरी। दिल्ली में वोटिंग में 6 दिन बचे हैं। दिल्ली की चुप्पी अभी भी बरकरार है। मीडिया के कैमरों के सामने लोग वही बोल रहे हैं जो माइक वाला सुनना चाहता है। जनसभाओं और रैलियों में ज्यादातर वही लोग हैं, जो हर रैली में पहुंचने को बेताब रहते हैं। दिल्ली चुनाव के घमासान के बीच हालात अभी भी वैसे ही दिख रहे हैं, जैसे आज से एक हफ्ता पहले थे। यानी, बीजेपी कहे कुछ भी लेकिन वह आज की तारीख में भी आप से अभी तक ‘दूर’ है। वहीं, कांग्रेस का ‘कमाल’ जारी है और वह चुनाव से ‘गायब’ की भूमिका में दिख रही है।
सट्टा बाजार में भी आम आदमी पार्टी और बीजेपी की सीटों को लेकर चल रहे भाव पिछले दिनों की तुलना में ज्यादा बदलाव नहीं दिखा रहे हैं। बताया गया है कि फलौदी सट्टा बाजार के अनुसार आम आदमी पार्टी को 36 से 38 सीटें मिलने का अनुमान बताया जा रहा है तो वहीं बीजेपी को 31 से 33 सीटों के ही बीच माना जा रहा है। इसके अलावा सट्टा बाजार में आम आदमी पार्टी के मुखिया एवं पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की नई दिल्ली सीट और मुख्यमंत्री आतिशी की कालकाजी सीट पर भी ‘खेल’ हो रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि 2020 के चुनाव में 17 सीटों पर करीबी मुकाबला देखा गया था। जिनमें से 13 सीटों पर आम आदमी पार्टी और चार सीटों पर बीजेपी जीती थी। माना जा रहा है कि इन सीटों पर इस बार भी जबरदस्त टक्कर रह सकती है।
दिल्ली की 12 आरक्षित सीटों पर भी सभी पार्टियों ने जोर लगा रखा है। पिछली बार ये सभी 12 सीटें आम आदमी पार्टी ने जीती थी। लेकिन इस बार बीजेपी ने यहां सेंध लगाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रखी है। देखना दिलचस्प रहेगा कि दलित वोटर का रूझान किस पार्टी की ओर रहेगा।
दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सिर्फ प्रेस कांफ्रेंस तक ही सिमटी दिख रही है। राहुल गांधी की रैलियां लगातार कैंसिल होने के बाद आज शुरू हुई हैं। कांग्रेस ने आज ही अपना मैनिफेस्टो भी जारी किया है, जिसमें वादों की झड़ी लगाई गई है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि दिल्ली में कांग्रेस दरअसल चुनाव ‘लड़’ नहीं रही है, सिर्फ चुनाव में ‘खड़ी’ है।