यमुना में जहर मसले पर केजरीवाल पर कानूनी शिकंजा कसे जाने की संभावनाओं के बीच ‘आप’ के विधायकों ने इस्तीफों की झड़ी लगा दी, सभी वही जिन्हें टिकट नहीं मिली

जन सरोकार ब्यूरो/आरके सेठी
नई दिल्ली, 31 जनवरी। दिल्ली चुनाव में अब ‘असली खेल’ शुरु हो गया है। एक ओर जहां यमुना में जहर मिलाने वाले बयान पर आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल पर कानूनी शिकंजा कसे जाने की संभावनाएं बन रही हैं तो वहीं दूसरी ओर, आज उनकी पार्टी के एक के बाद एक सात विधायकों ने इस्तीफे दे दिए। यह सातों विधायक वही हैं, जिन्हें आम आदमी पार्टी ने इस बार चुनाव में टिकट देने के काबिल नहीं माना था। लेकिन, यह तय है कि वोटिंग से महज पांच दिन पहले आम आदमी पार्टी को लगा यह झटका छोटा नहीं है और बीजेपी ने ऐसे दो-चार ‘झटके’ और दे दिए तो केजरीवाल का संभलना मुश्किल हो सकता है। हालांकि, पार्टी छोड़ भागने वाले विधायकों का अगला कदम क्या होगा, यह देखना भी जरूरी रहेगा। क्योंकि, इस्तीफों की दिन और इस्तीफों में लिखी गई वजहों को देख-पढ़ कर साफ महसूस हो रहा है कि यह सब ‘चुनावी खेल’ का हिस्सा है। अब इस ‘खेल’ का अगला पार्ट बीजेपी में ज्वाइनिंग के रूप में सामने आता है या इस्तीफों की तादाद बढऩे के तौर पर, इस पर दिल्ली के लोगों की निगाहें टिकी हैं।
हरियाणा सरकार पर यमुना में जहर मिला देने का आरोप लगाने वाले अरविंद केजरीवाल यह तो जान चुके हैं कि इस बयान से उन्हें फायदा कम और नुक्सान ज्यादा हुआ है। चूंकि, चुनाव आयोग अब सख्त मूड में दिख रहा है तो माना जा रहा है कि कल या परसों तक केजरीवाल के खिलाफ कड़ा एक्शन लिया जा सकता है। वैसे, आज केजरीवाल ने चुनाव आयोग का अपना दूसरा जवाब भी दे दिया है। अब देखना यह होगा कि अरविंद केजरीवाल के बयान से आयोग कितना संतुष्ट होता है। क्योंकि, माना जा रहा है कि अगर चुनाव आयोग को केजरीवाल के जवाब से संतुष्टि नहीं हुई तो उन पर कानूनी शिकंजा कसे जाने के आसार बन सकते हैं। जानकार बताते हैं कि केजरीवाल को चुनाव प्रचार से भी रोका जा सकता है और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की भी अनुशंसा की जा सकती है। चुनाव आयोग को रुख जो भी रहे किंतु दिल्ली की राजनीति के जानकारों का कहना है कि इस बात का अहसास केजरीवाल को भी है कि वह कानूनी शिकंजे में कसे जा सकते हैं, इसलिए उन्होंने अभी से ही खुद के प्रति सहानुभूति कार्ड चल दिया है। यानी, अगर उनके खिलाफ एक्शन हुआ तो वह वोटर के मन में अपने प्रति सहानुभूति जगा सकें। राजनीति विश्लेषकों का कहना है कि बीजेपी ‘ऑफेंसिव मोड’ में है तो कुछ भी हो सकता है। मगर, इसका नुक्सान केजरीवाल को कम और बीजेपी को ज्यादा होने के चांस हैं।
अब अगर, आम आदमी पार्टी के सात विधायकों के द्वारा आज दिए गए इस्तीफों की बात की जाए तो सभी के सभी विधायकों ने अपने इस्तीफों में लगभग एक जैसी बातें लिखी हैं। पार्टी छोडऩे वालों में पालम की विधायक भावना गौड़, महरौली से नरेश यादव, जनकपुरी के विधायक राजेश ऋषि, कस्तूरबा नगर से मदन लाल, त्रिलोकपुरी के रोहित महरौलिया, बिजवासन के विधायक भूपेंद्र सिंह जून और आदर्श नगर के विधायक पवन शर्मा शामिल हैं। आज सबसे पहले आम आदमी पार्टी से इस्तीफा देने वाले महरौली से विधायक नरेश यादव ने इस्तीफा देते हुए केजरीवाल को लिखे पत्र में कहा है कि ‘आम आदमी पार्टी का उदय भ्रष्टाचार के खिलाफ हुआ था लेकिन अब मैं बहुत दुखी हूं कि भ्रष्टाचार आम आदमी पार्टी बिल्कुल भी कम नहीं कर पाई बल्कि पार्टी ही भ्रष्टाचार के दलदल में लिप्त हो चुकी है। मैंने आम आदमी पार्टी ईमानदारी की राजनीति के लिए ही ज्वाइन की थी। आज कहीं भी ईमानदारी नजर नहीं आ रही है। मैंने महरौली विधानसभा में पिछले 10 सालों से लगातार 100 फीसदी ईमानदारी से काम किया है। मैंने महरौली के बहुत से लोगों से चर्चा की, सभी ने यही कहा कि आम आदमी पार्टी अब पूरी तरह से भ्रष्टाचार में लिप्त हो चुकी है। आपको इस पार्टी को छोड़ देना चाहिए क्योंकि इन्होंने लोगों के साथ धोखा किया है। इसलिए आम आदमी पार्टी की भ्रष्ट राजनीति को देखते हुए मैं पार्टी को छोडऩा चाहता हूं और इस पार्टी से मैं सभी पदों से अपना इस्तीफा देता हूं।’
बरहाल, दिल्ली के चुनावी दंगल में आज उस ‘खेल’ की शुरूआत दिलचस्प रही, जिसका इंतजार और जिस पर नजर सबकी थी।