जरूरी चीजों की आवक पर रोक न होने के बावजूद रेटों में भारी उछाल
दिल्ली। कोरोना की महामारी का काल चल रहा है। सब लोग अपने घरों में रहने को मजबूर हैं। लोगों का रोजगार तो सिमट रहा है लेकिन महंगाई ने उनके लिए बहुत भारी मुसीबत खड़ी कर दी है। हालांकि जरूरी वस्तुओं की आवक पर कहीं किसी प्रकार की रुकावट नहीं है लेकिन मुनाफाखोरी और कालाबाजारी करने वालों ने मौके का फायदा उठाने में कसर नहीं छोड़ी। इस संक्रमण के समय में घर का बजट बनाने में महिलाओं को भारी परेशानी आ रही है।
महामारी के चलते लगाए जा रहे लॉकडाउन में विवाह व अन्य समारोह भी सीमित हैं। होटल, ढाबे, रेहड़ी, खोमचे बंद हैं। इस कारण दालों की मांग नहीं है। केवल घरों में ही दाल की मांग सिमट गई है। खपत कम होने के बाद भी दालों का भाव बढऩा सीधा मुनाफाखोरी और कालाबाजारी की तरफ इशारा करता है। घर में प्रयोग होने वाली हर चीज रोज के हिसाब से महंगी हो रही है। रसोई के सामान चीनी, दाल, तेल, रिफाइंड आदि के रेट काफी बढ़ गए हैं। एक महीने पहले 130 रुपए लीटर बिकने वाला सरसों का तेल आज 160 रुपए लीटर मिलता है। रिफाइंड पिछले महीने 120 रुपए था पर अब 160 रुपए है। इन चीजों के अलावा कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए फल व सब्जियां भी महंगी हैं।
दाल व तेल के रेट से बजट खराब
महिलाओं का कहना है कि सरकार ने पहले रसोई गैस के दाम आसमान पर पहुंचा दिए। अब तेल और दाल ने आम आदमी का तेल निकाल दिया है। रोजगार की स्थिति खराब है। ऐसे में घरों के खर्च बढऩा लोगों के लिए काफी दुष्कर साबित हो रहा है। चाय पत्ती, दाल, चीनी जैसी चीजें भी महंगाई की शिकार हैं।