कांग्रेस प्रत्याशी जेपी और हुड्डा पिता-पुत्र के गांवों में हो रहे जोशीले स्वागत से रोमांचक हुआ आदमपुर कर रण, कुलदीप बिश्नोई की खराब मैनेजमेंट को कैश कर रही कांग्रेस में दिखने लगा है जबरदस्त जोश

जन सरोकार ब्यूरो।
आदमपुर।
3 नवंबर को होने वाले आदमपुर उपचुनाव के लिए काउंटडाऊन शुरू हो चुका है तथा चुनाव प्रचार थमने में 24 घंटे से भी कम समय बचा है। जैसे-जैसे चुनाव आगे बढ़ रहा है, वैसे-वैसे कांग्रेस या यूं कहें की हुड्डा कैंप में हौंसला दिखना शुरू हो गया है। तीन दिन पहले तक मुकाबले में कमजोर दिख रही कांग्रेस में भूपेंद्र सिंह हुड्डा और दीपेंद्र हुड्डा के ताबड़तोड़ प्रचार ने जान फूंक दी है। यही कारण है कि सिर्फ आदमपुर ही नहीं बल्कि पूरे हरियाणा में अब इस मुकाबले को कांटे का मुकाबला माना जा रहा है। यहां बता दें कि पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा पिछले तीन दिन से लगातार आदमपुर में ही डटे हुए हैं तथा रोजाना ताबड़तोड़ प्रचार कर जयप्रकाश के लिए वोटों की अपील कर रहे हैं। वहीं, दीपेंद्र हुड्डा ने जाट बाहुल्य गांवों को टारगेट किया हुआ है और यूथ के बीच में जा कर अपना विजन बता और कुलदीप तथा भाजपा की नीतियों को आदमपुर के खिलाफ बताकर मतदाताओं को अपनी और आकर्षित करने में लगे हुए हैं। राजनीति के जानकार बताते हैं कि कांग्रेस पार्टी ने पिछले तीन दिन में बड़े ही योजनाबद्ध तरीके से और आदमपुर को विभिन्न जोन में बांटकर प्रचार किया है, जिसका उन्हें फायदा मिल रहा है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा और दीपेंद्र हुड्डा ने आदमपुर में भी बड़ौदा उपचुनाव वाली रणनीति बनाई हुई है। यहां भी कांग्रेस पार्टी चुनाव प्रचार के अंतिम दिन कोई रैली ना करके सीधे मतदाताओं से ही संपर्क करेगी ताकि पार्टी की ताकत का अंदाजा दूसरी पार्टियों को ना लग सके। आदमपुर में कांग्रेस पार्टी के लगातार बढ़ते ग्राफ का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि ना सिर्फ भूपेंद्र हुड्डा और दीपेंद्र बल्कि जेपी और उदयभान की सभाओं में भी जहां भीड़ जुटने लगी है वहीं कांग्रेस नेताओं का गांवों में स्वागत भी जोशीला हो रहा है। हुड्डा पिता-पुत्र की मेहनत के साथ-साथ कांग्रेस पार्टी को यहां कुलदीप बिश्नोई के खराब चुनाव प्रबंधन का भी सीधे तौर पर फायदा मिल रहा है और खास बात तो यह है कि पार्टी कुलदीप के खराब चुनाव प्रबंधन को कैश करने में कोई कमी नहीं छोड़ रही है। उपचुनाव के मतदान में सिर्फ 2 दिन का समय बाकी है, अब सिर्फ कांग्रेस ही नहीं बाकी पार्टियां और खासकर सरकार भी अपनी पूरी ताकत चुनाव जीतने के लिए झोंकेगी। अब देखना होगा कि कुलदीप बिश्नोई के “चलताऊ” चुनाव प्रबंधन के चलते उन्हें वोटों के रूप में जो नुकसान हुआ है उसकाे खुद कुलदीप बिश्नोई, भाजपा संगठन और सरकार कितना कवर कर पाती है।