बड़ोदा उपचुनाव को अपनी मूंछ का सवाल बनाकर कांग्रेस को जितवाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की आदमपुर में ना ही वैसी मेनेजमेंट दिख रही और ना ही मेहनत, दीपेंद्र की सक्रियता भी कम
जन सरोकार ब्यूरो।
आदमपुर। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा यानि हरियाणा कांग्रेस के ‘सर्वेसर्वा’ हुड्डा यानि हरियाणा कांग्रेस में ‘फ्री हैंड’ लीडर, लेकिन आदमपुर उपचुनाव घोषित होने से पहले बड़े-बड़े दावे करने वाले पिता-पुत्र चुनाव घोषित हाेने के बाद से ना ही तो उतने सक्रिय नजर आ रहे हैं और ना ही ऐसी मैनेजमेंट अब तक दिखी है जो आदमपुर को कांग्रेस का गढ़ कहने और उस गढ़ को बचाने के लिए चाहिए। यह बात जग जाहिर है कि आदमपुर का यह उपचुनाव 2024 के विधानसभा आम चुनाव का सेमीफाइनल है, ऐसे में यदि कांग्रेस पार्टी यह चुनाव जीतती है तो निश्चित ही साइलेंट हो चुके कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और नेताओं में एक नया उत्साह आएगा। इस बात में भी कोई दोराय नहीं है कि भूपेेंद्र सिंह हुडा इस चुनाव को नाक का सवाल बना चुके हैं। ऐसे में हुड्डा के लिए यह बड़ा सवाल है कि यदि उन्होंने आदमपुर में जोर नहीं लगाया तो वे 2024 में क्या मुहं दिखाएंगे। लेकिन आदमपुर में अब तक के हुड्डा पिता-पुत्र के प्रचार अभियान को देखा जाए और उसकी तुलना बड़ौदा उपचुनाव से की जाए तो ना ही आदमपुर में बड़ौदा जैसी रणनीति नजर आई है और ना ही उस प्रकार की मेहनत नजर आती जो उन्होंने बड़ौदा में भालू को जितवाने के लिए की थी। ठीक बड़ौदा की तरह इस उपचुनाव में भी ना सिर्फ प्रचार की बल्कि टिकट बांटने से लेकर उम्मीदवार को जितवाने तक की पूरी जिम्मेदारी भूपेंद्र सिंह हुडा पर है, ऐसे में हुडा का आदमपुर में बड़ौदा से कम सक्रिय होना कहीं ना कहीं उनके चुनाव प्रबंधन पर सवाल खड़े करता है। वहीं, दीपेंद्र हुडा जो चुनाव घोषित होने से पहले लगातार आदमपुर में दौरे करते थे और लोगों के बीच में जा रहे थे वे पिछले एक सप्ताह से उतने सक्रिय नजर नहीं आते। कांग्रेस के चुनाव प्रचार में अब तक यदि कोई फ्रंटलाइन में नजर आ रहा है तो कांग्रेस प्रत्याशी जयप्रकाश और पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष उदयभान ही नजर आ रहे हैं। ऐसे में यदि भूपेंद्र सिंह हुड्डा और दीपेंद्र ने समय रहते चुनाव में प्रचार की कमान फ्रंट लाइनर बनकर नहीं संभाली और प्रबंधन नहीं सुधारा तो इसका सीधा असर 6 नवंबर को आने वाले चुनावी रिजल्ट पर दिखाई देगा, जिसे लेकर 2024 के आमचुनाव में उतरना ना सिर्फ भूपेंद्र सिंह हुड्डा बल्कि पूरी कांग्रेस पार्टी के लिए मुश्किल हो जाएगा। चुनाव प्रचार में अभी भी 6 दिन का समय बाकी है तथा वोटिंग में 8 दिन शेष हैं, देखना होगा कि आदमपुर चुनाव को अपनी नाक का सवाल बना चुके भूपेेंद्र सिंह हुड्डा अगले दिनों में किसी प्रकार की रणनीति बनाते हैंं और कैसे आदमपुर काे अपना हाथ पकड़वाने या यूं कहें की खुद आदमपुर का हाथ पकड़ने में कामयाब रहते हैं या नहीं।