लोकतांत्रिक देश और सिद्धांतों वाली पार्टी में आकर भी विरासत की बात करने से पीछे नहीं हट रहे कुलदीप बिश्नोई, आदमपुर की जनता और खासकर युवा पीढ़ी के गले नहीं उतरती “विरासत” का वोटर होने की बात!
जन सरोकार ब्यूरो।
आदमपुर।
लोकतंत्र की यह गौरवमयी बात है कि इसमें जनता नेता का चुनाव करती है और फिर वो नेता जनता का विकास करते हैं और उनकी आवाज को उठाकर उन्हें न्याय दिलाने का काम करते हैं। लोकतंत्र में जनता किसी भी नेता को अपने और अपने क्षेत्र के विकास के लिए वोट देती है, लेकिन बड़े दुर्भाग्य की बात है कि नेता उसी जनता को अपना “गुलाम” और खुद को “सियासत की विरासत” के हवाले से खुद को “प्रिंस” समझने लग जाते हैं। आदमपुर विधानसभा के साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा है। यहां से भजनलाल परिवार की तीसरी पीढ़ी चुनाव लड़ रही है और खास बात है कि इस तीसरी पीढ़ी को जितवाने के लिए पहली दोनों पीढिय़ां भी जी-जान से लगी हुई हैं। चौधरी भजनलाल के पोते को जितवाने के लिए जहां उनकी बुजुर्ग पत्नी जसमा देवी को भी चुनावी रण में उतार दिया गया है, वहीं कुलदीप बिश्नोई और रेणुका ने भी पुत्रमोह में दिन-रात एक की हुई है कि कैसे करके उनका बेटा विधायक बन जाए। इसके लिए कुलदीप बिश्नोई बार-बार यह कह भी रहे हैं कि चौधरी भजनलाल के काम और मेरी कुर्बानी का आर्शीर्वाद भव्य बिश्नोई को दें, यह भजनलाल की “विरासत” को संभालेगा। लेकिन यदि धरातल पर कुलदीप बिश्नोई की इन बातों और भजनलाल परिवार की तीसरी पीढ़ी को चुनाव जितवाने की बात का पता करें तो आदमपुर की जनता और उसमें भी खासकर युवा पीढ़ी को इस बात से बहुत गुस्सा आता है कि कोई उन्हें अपना इस कदर “गुलाम” समझता है कि आदमपुर को गढ़ मानकर यहां विरासत चलाई जा रही है। राजनीति के जानकारों का कहना है कि गढ़ और विरासत की बात से लोगों को कुलदीप के “प्रिंस” होने और खुद के “गुलाम” होने की फीलिंग आ रही है, जिसके चलते लोगों में कुलदीप बिश्नोई के प्रति नाराजगी लगातार बढ़ती जा रही है, जिसका खामियाजा उन्हें इस उपचुनाव में भुगतना पड़ सकता है। आदमपुर के लोगों का कहना है कि उन्होंने इतने साल इस परिवार को अपने इलाके का विकास करवाने के लिए वोट दिए थे ना कि वे इनके गुलाम हैं। इतना ही नहीं लोगों का यह भी कहना है कि विकास के नाम पर दिए वोट को गढ़ समझकर इन्होंने कभी आदमपुर की आवाज उठाने और यहां विकास करवाने का काम नहीं किया। अब देखना होगा कि आदमपुर की जनता में कुलदीप बिश्नोई के प्रति बढ़ते इस विरोध को कुलदीप बिश्नोई किस प्रकार रोकेंगे और कैसे विरोध में खड़े लोगों को अपना बनाएंगे, क्योंकि उपचुनाव की वोटिंग में मात्र कुछ घंटे ही बाकी बचे हैं। वहीं, देखना होगा कि विकास के मामले में हुई अनदेखी का आदमपुर की जनता किस रूप में जवाब देती है।