तीन अगस्त को विधानसभा के अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता से मिलेंगे, आदमपुर सीट से दे सकते हैं इस्तीफा
चंडीगढ़, 2 अगस्त (जन सरोकार एक्सक्लूसिव): आदमुपर से विधायक कुलदीप बिश्रोई अब अपनी नई राजनीतिक पारी खेलने जा रहे हैं। कुलदीप बिश्रोई ने तीन अगस्त को हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता से मिलने का समय मांगा है। ऐसा माना जा रहा है कि कुलदीप बिश्रोई विधानसभा अध्यक्ष को विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा दे सकते हैं। इसके बाद कुलदीप विधिवध रूप से भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो सकते हैं। ऐसे में आदपमुर में छह माह की अवधि में उपचुनाव हो सकता है।
दरअसल कुलदीप बिश्रोई ने अपने पिता चौधरी भजनलाल के साथ मिलकर लंबे समय तक कांग्रेस में रहकर राजनीति की। कांग्रेस से अलग होकर 2007 में हरियाणा जनहित कांग्रेस का गठन किया था और बाद में 2016 में हजकां का विलय कांग्रेस में कर दिया था। लाल परिवारों में चौधरी बंसीलाल के बाद चौधरी भजनलाल ने अपना क्षेत्रीय दल बनाया और बाद में बंसीलाल की तरह अपने दल का कांग्रेस में विलय कर दिया था। अब कांग्रेस और हजकां के बाद कुलदीप भाजपा के बैनर तले अपनी नई सियासी पारी का आगाज करेंगे। कुलदीप बिश्रोई चार बार आदमपुर से विधायक रहने के अलावा भिवानी और हिसार से लोकसभा के सदस्य रह चुके हैं। राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा है कि आदमुपर सीट से त्यागपत्र देने के बाद कुलदीप बिश्रोई अपने बेटे भव्य बिश्रोई को आदमपुर विधानसभा उपचुनाव से मैदान में उतार सकते हैं। भव्य पिछले कुछ दिनों से लंदन थे और अब कुलदीप ने उन्हें लंदन से वापस बुला लिया है।
2 दिसंबर 2007 को किया था हजकां का गठन
साल 2005 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने ऐतिहासिक प्रदर्शन किया। 90 में से 67 सीटों पर जीत दर्ज की। भजनलाल की अगुवाई में लड़े गए इस चुनाव के बाद कांग्रेस हाईकमान ने भूपेंद्र ङ्क्षसह हुड्डा को मुख्यमंत्री बना दिया। इसके बाद कुलदीप बिश्रोई ने अपने पिता के साथ मिलकर 2 दिसम्बर 2007 को हरियाणा जनहित कांग्रेस का गठन किया। हजकां को अपने पहले ही चुनाव में साल 2009 में 6 सीटों पर जीत मिल गई। हजकां ने दो संसदीय जबकि दो विधानसभा चुनाव लड़े। साल 2009 में कुलदीप ने आदमपुर विधानसभा सीट से करीब 48 हजार वोट लेते हुए कांग्रेस के जयप्रकाश को 6 हजार वोटों से हराया। साल 2011 में हिसार संसदीय सीट पर उपचुनाव हुआ। कुलदीप बिश्रोई ने इनैलो के अजय सिंह चौटाला को करीब 31 हजार वोटों के अंतर से पराजित किया।
तीन बार मुख्यमंत्री रहे हैं भजनलाल
चौधरी भजनलाल 1979 से 1982, 1982 से 1986 और 1991 से 1996 तक तीन बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे। विभाजन के बाद भजनलाल का परिवार हिसार जिले के मोहम्मदपुर रोही में आकर बस गया। साल 1952 में वे ग्राम पंचायत के सदस्य निर्वाचित हुए। 1968 में पहली बार आदमपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए। इसके बाद भजनलाल 1968, 1972, 1977, 1982, 1991, 1996, 2000, 2008 में आदमपुर विधानसभा से विधायक रहे। 1989 में हिसार से, 1998 में करनाल से जबकि 2009 में हिसार से सांसद बने। 1986 से लेकर 1991 तक राज्यसभा के सदस्य रहे और केंद्र में कृषि मंत्री रहे।
67 सीटों पर मिली जीत, हाईकमान ने हुड्डा को बना दिया था मुख्यमंत्री
फरवरी 2005 में हुए विधानसभा भजनलाल की अगुवाई में कांग्रेस ने 42.46 प्रतिशत वोट प्राप्त करते हुए 67 सीटों पर जीत दर्ज की थी। तीन बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रह चुके भजनलाल की अगुवाई में कांग्रेस ने इस चुनाव में अपना अब तक का श्रेष्ठ प्रदर्शन किया। भाजपा को 10.36 फीसदी वोट जरूर मिले, पर वो 2 सीटों पर ही जीत दर्ज कर सकी। इनैलो 26.77 प्रतिशत मतों के साथ 9 सीटों पर सिमट गई। 10 आजाद विधायक भी चुने गए। सियासी गलियारों में भजनलाल के चौथी बार मुख्यमंत्री बनने की चर्चाएं थीं। इसी बीच कांग्रेस हाईकमान की ओर से भूपेंद्र सिंह हुड्डा को मुख्यमंत्री का चेहरा बना दिया। हुड्डा ने मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। खास बात यह है कि 27 फरवरी 2005 को विधानसभा चुनाव के परिणाम आए, उस समय हुड्डा विधायक भी नहीं थे। वे रोहतक से लोकसभा सदस्य थे।
भजनलाल और कुलदीप ने किया था हजकां का गठन
भूपेंद्र सिंह ह हुड्डा को मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद चौधरी भजनलाल कांग्रेस में घुटन महसूस करने लगे। दिसम्बर 2007 में उन्होंने अपने बेटे कुलदीप बिश्रोई के साथ मिलकर हजकां का गठन किया। कांग्रेस से किनारा करने के बाद भजनलाल साल 2008 में आदमपुर से विधायक बने तो 2009 में हिसार से सांसद निर्वाचित हुए। जून 2011 में राजनीति के चाणक्य भजनलाल का निधन हो गया। इसके बाद 2014 में कुलदीप ने हजकां के बैनर तले लोकसभा और विधानसभा के चुनाव लड़े और 2016 में कांग्रेस में आ गए। 2019 में कुलदीप बिश्रोई आदमपुर से विधायक बने जबकि उससे पहले मई 2019 के लोकसभा चुनाव में कुलदीप के बेटे भव्य बिश्रोई हिसार संसदीय सीट से कांग्रेस की टिकट पर लोकसभा का चुनाव हार गए।
1998 में आदपमुर से की थी सक्रिय राजनीति में एंट्री
कुलदीप बिश्रेाई का जन्म 22 सितम्बर 1968 को हुआ। उन्होंने साल 1987 में सियासत में कदम रखा। अपने पिता चौधरी भजनलाल से राजनीति का ककहरा सीखा। 1998 में आदमुपर उपचुनाव के जरिए सक्रिय सियासत में एंट्री की और पहली बार विधायक बने। साल 2004 का भिवानी का लोकसभा चुनाव ऐतिहासिक था। हरियाणा की सियासत में लालों की परम्परा के वाहक रहे देवीलाल, भजनलाल एवं बंसीलाल के घरानों की पौध इस चुनाव में आमने-सामने थी। इस चुनाव में चौधरी देवीलाल के पौते अजय सिंह चौटाला और चौधरी बंसीलाल के बेटे सुरेंद्र सिंह मैदान में थे। 36 बरस के कुलदीप ने करीब 2 लाख 90 हजार वोट लेते हुए सुरेंद्र सिंह को करीब 58 हजार वोटों के अंतर से पराजित किया और पहली बार सांसद बने।