डेरा सच्चा सौदा की साध्वियों से बलात्कार करने और पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या में सजायाफ्ता डेरा चीफ गुरमीत लगभग हर चुनाव के वक्त जेल से बाहर रहा है, अब 12वीं बार उसे मिली है 30 दिन की पैरोल

जन सरोकार ब्यूरो
नई दिल्ली, 28 जनवरी। अपने डेर की साध्वियों से बलात्कार करने और उसके कारनामें अखबार में छापने वाले सिरसा के पत्रकार रामचंद्र छत्रपति के कत्ल में दोषी सजायाफ्ता डेरा सच्चा सौदा चीफ गुरमीत को आज फिर रोहतक की सुनारिया जेल से छोड़ दिया गया। गुरमीत को 30 दिन की पैरोल मिली है। इनमें से 10 दिन वह डेरा के हेडक्वार्टर सिरसा में रहेगा और बाकी के दिन संभवत: यूपी के बागपत डेरे में। इससे पहले सुरक्षा कारणों का हवाला दे कर गुरमीत को कभी भी सिरसा नहीं जाने दिया गया था। यानी, डेरा चीफ करीब साढ़े सात साल बाद सिरसा डेर में पहुंचा है। यह 12वां मौका है जब गुरमीत जेल से बाहर आया है।
सबसे पहले डेरा की साध्वियों से बलात्कार केस में गुरमीत को सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने 2९ अगस्त 2017 को 20 साल की सजा काटने रोहतक की सुनारिया जेल भेज दिया था। वह तभी से जेल में बंद है। इसके बाद उसे 17 जनवरी 2019 को पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या के मामले में डेरा चीफ गुरमीत को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। रामचंद्र छत्रपति ने डेरे में साध्वियों से बलात्कार मामले को को लेकर तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को भेजी चिट्ठी को अपने स्थानीय अखबार ‘पूरा सच’ में छापा था। उसके बाद डेरा के शूटरों ने उनके घर के दरवाजे पर उन्हें गोलियों से भून दिया था।
हालांकि, पैरोल और फरलो में वह काफी वक्त जेल से बाहर रहा है। फिर 2021 में डेरा के ही मैनेजर रहे रणजीत सिंह की हत्या में भी डेरा चीफ गुरमीत सहित पांच लोगों को उम्रकैद की सजा दी गई थी। हालांकि, 2024 में 28 मई को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट से सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया लेकिन इस मामले में सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर रखी है।
गुरमीत लगभग हर बार उस वक्त जेल से बाहर आया है या कहें कि लाया गया है, जब हरियाणा, पंजाब या राजस्थान में चुनाव थे। इनमें लोकसभा चुनाव, विधानसभा चुनाव, निकाय चुनाव और उपचुनाव सब शामिल हैं। अब भी जब गुरमीत को पैरोल मिली है तो दिल्ली चुनाव के ऐन बीच में मिली है। इतना ही नहीं, फरवरी में हरियाणा में नगर निगमों सहित कुछ पालिकाओं के चुनाव होने की भी संभावना है। पिछली बार 2024 में तो डेरा चीफ गुरमीत को हरियाणा विधानसभा चुनाव से महज चार दिन पहले ही जेल से बाहर ले आया गया था। सजायाफ्ता गुरमीत का जेल से बाहर आना और चुनाव का वक्त होना इत्तेफाक कतई नहीं है।
ऐसा माना जाता है कि बीजेपी सरकार हर चुनाव में डेरा चीफ के जरिए वोटों को बटोरने की मंशा रखती है। इस संदर्भ में अलग-अलग मंचों और संगठनों की ओर से बीजेपी पर खुलेआम आरोप लगते रहे हैं। दिल्ली चुनाव को डेरा चीफ का जेल से बाहर कितना ‘प्रभावित’ कर पाएगा, यह अलग बात है लेकिन हर चुनाव में उसे जेल से बाहर लाने वालों की मंशा पर सवालिया निशान उठना लाजिमी है। डेरा सच्चा सौदा के शूटरों की गोलियां का निशान बने शहीद पत्रकार रामचंद्र छत्रपति के बेटे अंशुल छत्रपति, जिन्होंने डेरा चीफ को जेल भिजवाने में एक लंबी लड़ाई लड़ी, हमेशा कहते रहे हैं कि डेरा चीफ का जेल से बाहर आना उनके और केस से जुड़े सभी गवाहों की जान पर खतरा पैदा होने जैसा है। अंशुल की बात इसलिए भी वजन रखती है कि 2017 में जब डेरा चीफ गुरमीत को साध्वियों के बलात्कार के केस में सजा सुनाई गई थी, तब पंचकुला में हजारों की तादाद में इक्ट्ठे हुए डेरा के लोगों ने जमकर उत्पात मचाया था और उस हिंसा मं 36 लोगों की मौत हो गई थी और 200 से ज्यादा लोग जख्मी हो गए थे। गौरतलब है कि डेरा के ही साधुओं को नपुंसक बनाने के केस का ट्रायल भी चल रहा है। जिसमें आरोप है कि डेरा चीफ के आदेश पर डेरा के ही करीब 400 साधुओं को नपुंसक बना दिया गया।