Saturday, April 12, 2025
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जगदीप धनखड़ के ससुराल सतनाली में जश्न

हरियाणा के सतनाली में 1979 में हुई थी शादी

महेंद्रगढ़: भाजपा व एनडीए के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जगदीप धनखड़ को विजयी घोषित करने के बाद शनिवार शाम को उनकी सुसराल सतनाली में खुशी का माहौल रहा। वहां लोगों ने एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर खुशी का इजहार किया। उपराष्ट्रपति पद पर विजयी घोषित जगदीप धनखड़ महेंद्रगढ़ जिला के साथ लगते राजस्थान प्रदेश के झुंझुनूं जिले के किठाना गांव के रहने वाले हैं। उनका विवाह हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिला के सतनाली के स्व. चौधरी होशियार सिंह व भगवती देवी की इकलौती पुत्री डा. सुदेश धनखड़ के साथ एक फरवरी 1979 को हुआ था। चौधरी होशियार सिंह की चार संतानों में तीन बेटे व एक बेटी है। उनकी तीसरे नंबर की बेटी डा. सुदेश धनखड़ है। जिनका देश के उपराष्ट्रपति बने जगदीप धनखड़ से विवाह हुआ। देश के उपराष्ट्रपति चुने गए जगदीप धनखड़ के सबसे छोटे साले प्रवीण बलवदा ने बताया कि उनके जीजा जगदीप धनखड़ ने 1979 में वकालत की शुरुआत की और 35 साल की उम्र में सबसे युवा राजस्थान हाई कोर्ट बार के अध्यक्ष बने। सबसे युवा सीनियर एडवोकेट बनने का नाम भी उन्हीं का दर्ज है। 1990 में वे वरिष्ठ अधिवक्ता हो गए थे और बार काउंसिल आफ राजस्थान के सदस्य भी निर्वाचित हुए। उन्होंने वकालत को राजनीति के साथ अपना पेशा रखा। वे ­झुंझुनूं लोकसभा क्षेत्र से सांसद रहे और केंद्र सरकार में मंत्री भी रहे है। उन्होंने बताया कि उनकी बहन डा. सुदेश धनखड़ ने भी माधोगढ़ सीनियर सेकेंडरी से ही मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण की थी। उन्हें बड़ी खुशी हो रही है कि आज उनका बहनोई उपराष्ट्रपति पद के लिए चुना गया है।

ताऊ लेकर आये थे राजनीति में
दरअसल ताऊ ही धनखड़ को राजनीति में लेकर आए। ताऊ ने पहले युवा धनखड़ को लोकसभा का सदस्य बनाया। फिर उन्हें केंद्र में मंत्री बनवा दिया। जब वीपी सिंह ने ताऊ देवीलाल को उपप्रधानमंत्री पद से बर्खास्त किया तब धनखड़ ने भी केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। दरअसल ताऊ देवीलाल दूसरी बार 1987 में हरियाणा के मुख्यमंत्री बने थे। राजस्थान के झुंझुनूं के रहने वाले धनखड़ उन दिनों हाईकोर्ट में वकालत करते थे। उसी दौरान वे देवीलाल के संपर्क में आए। देवीलाल ने विपक्ष को एकजुट करने के मकसद से दिल्ली के बोट क्लब में विजय रैली की। रैली में भारी भीड़ के साथ जगदीप धनखड़ भी पहुंचे। ताऊ उनसे प्रभावित हुए। उसके बाद उन्हें ताऊ सक्रिय राजनीति में ले आए। 1989 के चुनाव में ताऊ ने धनखड़ को झुंझुनू से लोकसभा का टिकट दिया। धनखड़ चुनाव जीत गए। ताऊ वीपी सिंह की सरकार में उपप्रधानमंत्री बने और उन्होंने जगदीप धनखड़ को केंद्रीय उपमंत्री बनवाया। बाद में चौधरी देवीलाल के वी पी सिंह के साथ मतभेद हो गए और वीपी सिंह ने अपने मंत्रिमंडल से चौधरी देवीलाल को बर्खास्त कर दिया । राजनीति में चौधरी देवीलाल को आदर्श मानने वाले जगदीप धनखड़ ने इस दौरान चौधरी देवीलाल का साथ दिया और इसी कड़ी में उन्होंने केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया । कुछ समय बाद वीपी सिंह की सरकार गिर गई और चंद्रशेखर प्रधानमंत्री बने चंद्रशेखर की सरकार में जब चौधरी देवीलाल फिर से प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने फिर से जगदीप धनखड़ को केंद्र में मंत्री बनवा दिया । उल्लेखनीय है कि जगदीप धनखड़ ने साल 1977 में वकालत में कदम रखा हुए राजस्थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे राजस्थान में जाटों को आरक्षण दिलाने में धनखड़ की खास भूमिका रही, पर विशेष पहलू यह है कि चौधरी देवीलाल की राजनीतिक पाठशाला में सियासत का पाठ सीख कर जगदीप धनखड़ ने राजनीति में खास मुकाम हासिल किए एक

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