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Saturday, November 23, 2024
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चिट्टा कर रहा हरियाणा में जिंदगी तबाह

सांकेतिक तस्वीर

-सिरसा-फतेहाबाद में नशे से लगातार जा रही नौजवान की जान

-तीन महीने में डबवाली में 4 युवाओं की मौत

सांकेतिक तस्वीर

फतेहाबाद/सिरसा: 29 जुलाई। हरियाणा में पंजाब की सीमा से सटे इलाकों में नशा इंसानी नसों में जहर घोल रहा है। नशे के चलते पिछले करीब तीन महीने में सिरसा के डबवाली इलाके में 4 युवाओं की मौत हो चुकी है। यह सरकारी आंकड़ा है। हकीकत इससे भी भयावह है। चिंतनीय बात यह है कि अब स्मैक के अलावा हेराइन यानी चिट्टा, चार्ली, म्याऊं-म्याऊं, सोल्यूशन जैसे ड्रग के अलावा युवा मैडीकल नशा करने लगा है। हरियाणा के सिरसा में करीब तीन महीने में ही नशा ने डबवाली क्षेत्र में चार युवकों को मौत की नींद सुला दिया। नशे से मौत का यह आंकड़ा केवल सरकारी दस्तावेज में दर्ज लोगों के हैं। कई परिवार ऐसे हैं, जो कि बदनामी के डर से हुई मौतों के राज को छुपा लेने में ही अपनी भलाई समझते हैं। इसी कड़ी में गांव जंडवाला बिश्नोई में बुधवार को कथित रूप से युवक की मौत का रहस्य भी पोस्टमार्टम न होने के कारण नहीं खुल सकेगा।
पंजाब से सटे इलाकें में स्थिति चिंतनीय
नारकोटिक्ट्स ब्यूरो के आंकड़ों पर नजर डालें तो साल 2019 में हरियाणा में 143 किलोग्राम अफीम, 149 किलोग्राम चरस, 5502 किलोग्राम गांजा और 10181 किलोग्राम भूक्की बरामद की गई। इसी तरह से साल 2020 में 225 किलोग्राम अफीम, 251 किलोग्राम चरस, 9018 किलोग्राम गांजा व 12,817 किलोग्राम भूक्की बरामद की गई। साल 2021 में नवम्बर तक 11 महीनों में पुलिस ने 8 किलोग्राम स्मैक, 11,666 किलोग्राम गांजा, 140 किलोग्राम चरस, 271 किलोग्राम अफीम, 6931 किलोग्राम भूक्की बरामद की। साल 2021 के आंकड़ों पर नजर डालने पर आपको हरियाणा में नशे के फैलते जाल की भौगोलिक तस्वीर समझने में मदद मिलेगी। सिरसा में सबसे अधिक 397 जबकि गुरुग्राम में 204 केस एनडीपीएस के अंतर्गत दर्ज हुए। इसी तरह से फतेहाबाद में 180, करनाल में 173, रोहतक में 144, हिसार में 130 जबकि कुरुक्षेत्र में 113 केस दर्ज किए गए।
नशा तस्करी बना नेक्सस, अरबों का है गोरखधंधा
अब अगर हम हेराइन यानी चिट्टा के तस्करी के नेटवर्क को देखें तो यह एक ऐसा नेक्सस बन गया है, जिसे तोडऩा अब एक चुनौती है। दरअसल अफीम और हेरोइन का सबसे बड़ा उत्पादक अफगानिस्तान है। अफगानिस्तान में करीब 3 लाख 28 हजार हैक्टेयर में अफीम यानी खसखस की खेती होती है। खसखस से अफीम बनती है और फिर अफीम को रिफाइन करने के बाद स्मैक व चिट्टा आदि बनता है। इंग्लिश अखबार इकॉनोमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2017 में अफगानिस्तान में 9 हजार टन अफीम का उत्पादन हुआ। अफगानिस्तान से ड्रग्स पाकिस्तान में आता है। पाकिस्तान से यह भारत-पाक सीमा पर भारत में तस्करी के जरिए पहुंचता है। पाकिस्तान में एक किलोग्राम हेरोइन की कीमत 2 से 6 लाख रुपए है। सीमा पर यह 20 से 25 लाख हो जाती है। इस कारोबार का आर्थिक जम्प देखिए कि नशे के बड़े मगरमच्छों से होते हुए छोटी मछलियों और फिर नशेडिय़ों तक पहुंचने का इसका दाम 1 करोड़, 2 करोड़ और 5 करोड़ रुपए किलोग्राम तक हो जाता है। चंडीगढ़ और लुधियाना व सिरसा जैसे शहरों में एक ग्राम चिट्टे की कीमत 5 से 8 हजार के बीच है। एक नशेड़ी एक बार 2 हजार रुपए की डोज लेता है। यहीं से चिट्टे का क्राइम कनैक्शन शुरू हो जाता है। चोरी, डकैती, लूट, चेन स्नैङ्क्षचग, अपने ही भाइ-बहन, मां से मारपीट यह अब पंजाब और हरियाणा में सामान्य घटनाएं हैं।
इलाज और पुनर्वास के नहीं हैं इंतजाम
पर अब चिट्टे और नशे को रोकने के लिए सरकारी इंतजामों का हाल देखिए। नशा रोकने के लिए हरियाणा में 9 नशा मुक्ति केंद्र है। कोई पुनर्वास केंद्र नहीं है। मल्टीस्पैशलिटी अस्पताल नहीं है। पूरे हरियाणा में करीब साढ़े 4 लाख से अधिक युवा नशे के आदी हैं। नशा रोकने के लिए बजट ऊंट के मुंह में जीरे के जैसा है। साल 2018-19 में बजट 157 लाख था। 2019-20 में 166 लाख जबकि 2020-21 मं यह 247 लाख था। नशे के इस बढ़ते जाल के बाद हम अगर तस्करी के नेटवर्क और कानून के नजरिए से बात करें तो पुलिस की जांच भी सवालों के घेरे में आ जाती है। राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में रखी गई एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2019 में हरियाणा में एनडीपीएस के अंतर्गत 2677, 2018 में 2587, 2017 में 2200 केस दर्ज हुए। 2015 में कुल 1661 केस दर्ज करते हुए 2241 लोगां को गिरफ्तार किया गया, इनमें से 704 को सजा हुई। इसी तरह से 2016 में 2032 केस दर्र्ज किए गए और 2678 लोगों को तस्करी के आरोपम ें पकड़ा गया। इनमें से 610 को अदालत ने सजा सुनाई। यानी पुलिस की ओर से जांच को भी अंजाम तक पहुंचाया नहीं जाता है।
लड़कियां भी बनीं तस्कर
वहीं आरकेस्ट्रा में काम करने वाली लड़कियां भी रात भर डांस करने के लिए ड्रग्स का सहारा लेने लगे। आरकेस्ट्रा जैसे धंधे में काम करनी वाली बहुत सी लड़कियां मैडीकल नशे से लेकर स्मैक और चिट्टे जैसा नशा लेती हैं। यही नहीं पंजाब और राजस्थान से सटे सिरसा जिला में दिल्ली, पंजाब, राजस्थान की बहुत सी महिलाएं नशे के गोरखधंधे से जुड़ी हैं। पुलिस की ओर से ही 2016 से लेकर इस 2020 तक मादक पदार्थ तस्करी के अंतर्गत 120 से अधिक महिला तस्करों को पकडक़र इनसे भारी मात्रा में चिट्टा, स्मैक व अफीम बरामद की है। अकेले सिरसा जिला में पुलिस की ओर से मादक पदार्थ अधिनियम के अंतर्गत 2016 में 9, 2017 में 9, 2018 में 16, 2019 में 42 व इस साल 2020 में 30 महिलाओं को काबू किया गया। इससे पहले साल 2008 में पुलिस ने नशा तस्करी में 45, 2009 में 15 व 2010 में 15 महिलाओं को काबू किया गया।
सिरसा व फतेहाबाद में स्थिति भयावह
पंजाब व हरियाणा में सरकारी आंकड़ों के अनुसार ही पिछले दस साल में 1578 लोगों की नशे की ओवरडोज से मौत हो चुकी है। खास बात यह है कि नशे से होने वाली मौतों का यह केवल सरकारी आंकड़ा है। नशे से होने वाली मौत के 70 प्रतिशत से अधिक मामले पुलिस के पास नहीं पहुंचते हैं। बिना पुलिस को सूचना किए ही संस्कार कर दिया जाता है। ऐसे में नशों से होने वाली मौत का असली आंकड़ा भयावह है। पंजाब के साथ सटे सिरसा एवं फतेहाबाद जिले नशे से सबसे अधिक प्रभावित हैं। यही वजह है कि यहां की न्यायपालिका ने भी नशे के खिलाफ अभियान चलाने का निर्णय लिया है।

चार लाख युवा नशे की चपेट में
हरियाणा में नौजवानी को निगोड़ा नशा उजाड़ रहा है। दूध-दही के खाणे के प्रदेश में अब भूक्की, अफीम, स्मैक, चिट्टा, चरस, आयोडैक्स से लेकर नशीले इंजैक्शन, दवाइयां तमाम तरह के नशों में युवा वर्ग धंसता जा रहा है। अभी हाल में आई एक रिपोर्ट के अनुसार ही हरियाणा में साढ़े 4 लाख से अधिक लोग नशे की जकड़ में है। कोढ़ में खाज यह है कि नशे पर अंकुश लगाने के लिए महज 8 ही सरकारी नशा मुक्ति केंद्र हैं और इनमें भी पर्याप्त सुविधाएं व संसाधन नहीं है। नैशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार ही 2009 से लेकर 2018 में नशे की वजह से हरियाणा में 856 जबकि पंजाब में 722 लोगों की मौत हो चुकी हैं। यह सरकारी आंकड़ा है। नशे से होने वाली मौत के 70 प्रतिशत से अधिक मामले पुलिस के पास नहीं पहुंचते हैं। बिना पुलिस को सूचना किए ही संस्कार कर दिया जाता है। ऐसे में नशों से होने वाली मौत का असली आंकड़ा भयावह है।

पंक्चर में इस्तेमाल होने वाले सोल्यूशन का नशा कर रहे किशोर
कालांवाली के नशा मुक्ति केंद्र में अभी कुछ समय पहले 10 से 12 साल के कुछ बच्चों को उनके परिजनों ने इलाज के लिए भर्ती करवाया। ये बच्चे वाहनों के टॉयरों के पंक्चर लगाने में इस्तेमाल होने वाले सोल्यूशन फ्लूड का नशा करते थे। नशे के इतने आदी हो चुके थे कि जवानी देखने से पहले इनका शरीर ढलने लगा था। दरअसल पंजाब के साथ सटे सिरसा जिले में युवा चूरापोस्त, अफीम, स्मैक, हेरोइन, नशीली दवाइयों व इंजैक्शन के बाद अब आयोडैक्स, सोल्यूशन, चरस, हशीश जैसा नशा भी करने लगे हैं। पर कोढ़ में खाज यह है कि नशे की दलदल में धंसे नौजवानों को इससे बाहर निकालने के लिए सिरसा में कोई बड़ा सरकारी नशा मुक्ति केंद्र नहीं है। यहां के सिविल अस्पताल में एक नशा मुक्ति केंद्र है, तो पंजाब के साथ सटी कालांवाली मंडी में एक नशा मुक्ति केंद्र है। कालांवाली के केंद्र में तो कोई विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं है, वहीं सिविल अस्पताल के केंद्र में भी स्टाफ की कमी है। ऐसे में अपने बच्चों को नशे से मुक्ति दिलाने के लिए यहां के अभिभावकों को जयपुर, गंगानगर, भटिंडा, दिल्ली, रोहतक सरीखे शहरों की सडक़ें नापनी पड़ती हैं।

सिरसा में कुछ वर्षों में दर्ज केस व गिरफ्तार आरोपी
साल केस गिरफ्तार
1975 282 285
1980 329 334
1990 223 226
2000 152 157
2006 513 576
2014 208 290
2015 311 423
2016 231 335
2017 200 353
2018 403 689
2019 587 994
2020 418 736

हरियाणा व पंजाब में नशे से हुई मौतें
वर्ष मौतें (हरियाणा) पंजाब
2009 46 59
2010 51 59
2011 85 110
2012 72 91
2013 100 66
2014 86 38
2015 54 49
2016 86 48
2017 139 53
2018 137 55
कुल 856 722

चिट्टे से जंडवाला में युवक की मौत
गांव जंडवाला बिश्नोई के ग्रामीणों ने बताया कि युवक करीब तीन वर्ष से नशीला पदार्थ लेता था। इसी दौरान उसे चिट्टे की लत लग गई। इतना ही नहीं वह इंजेक्शन से नशा शरीर में चढ़ाने लगा। ऐसे में दो दिन पहले वह खेत में सुनसान जगह पर जाकर अपने हाथ में चिट्टे का इंजेक्शन लगाया। इसके बाद उसके हाथ में सूजन आनी शुरू हो गई। ऐसे में उसने बुधवार को भी इंजेक्शन लगा लिया। इससे उसकी तबीयत अधिक खराब हो गई। उसके परिजन उसे हनुमानगढ़ के निजी अस्पताल में लेकर पहुंचे। जांच के बाद डॉक्टरों ने उसे मृतघोषित कर दिया। इसके बाद परिजन शव को लेकर घर पर वापस आ गए। वीरवार को पुलिस को बिना सूचना दिए ही अंतिम संस्कार कर दिया।

सरकारी रिपोर्ट में 10 जिले हैं प्रभावित
देश के 272 नशा प्रभावित जिलों में हरियाणा के 10 जिले शामिल हैं। इनमें सिरसा, रोहतक, हिसार, फतेहाबाद, करनाल, नूंह, अंबाला, कुरुक्षेत्र, पानीपत व सोनीपत जिले पूरी तरह से नशे की चपेट में आ चुके हैं। यानी आधा हरियाणा नशे की गिरफ्त में आ चुका है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के साथ हरियाणा सरकार ने नशा प्रभावित इन जिलों में युवाओं को नशे के मकड़जाल से बाहर निकालने व नशा तस्करों पर लगाम कसने के लिए एक्शन प्लान तैयार किया है। हरियाणा सरकार ने नशे से निपटने के लिए ग्राम स्तर पर समितियां बनाने का निर्णय लिया है। नशे के शिकार लोगों की काउंसलिंग के साथ ही उनके पुनर्वास पर सरकार काम करेगी और इसमें सामाजिक लोगों का सहयोग रहेगा। 2021 में 19 हजार स्थानों पर छापामारी कर नशे के अवैध कारोबार में शामिल 5379 लोगों को पकड़ा जा चुका है। इस दौरान 4879 मामले दर्ज किए गए। नशा तस्करी में शामिल लोगों की संपत्ति अटैच करने का सरकार ने अहम फैसला लिया है। तमाम पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बताया कि पिछले दिनों इस मुद्दे पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठक हुई थी। राज्य सरकार ने 2018 में ही नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो का गठन किया था। मधुबन में इसका मुख्यालय है। उत्तर भारत के सात राज्यों पंजाब, चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, नई दिल्ली व जम्मू-कश्मीर ने साथ मिलकर पंचकूला में एंटी-ड्रग सेंटर स्थापित किया है। अब नशा विरोधी मुहिम को तेजी के साथ आगे बढ़ाया जाएगा।
हरियाणा स्टेट नारकोटिक्स ब्यूरो ने नशा मुक्त हरियाणा मिशन की शुरुआत की
वहीँ, सरकार ने प्रदेश को नशा मुक्त बनाने के लिए हरियाणा स्टेट नारकोटिक्स ब्यूरो के जरिए नशा मुक्त हरियाणा मिशन की शुरुआत की है. जिला, रेंज और राज्य स्तर पर एंटी नारकोटिक्स सेल्स स्थापित किए गए हैं। ये सेल्स मादक पदार्थों की सप्लाई चेन की पहचान करने के लिए देश-विदेश की मादक पदार्थ नियंत्रण एजेंसियों के साथ समन्वय करते हैं। ये सेल नशा तस्करों, उनके प्रमुख वित्त पोषकों और मादक पदार्थों के मामलों में गिरफ्तार अपराधियों का डाटाबेस बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। ये उन प्रमुख दवा निर्माताओं का रिकॉर्ड रखते हैं, जिनकी दवाओं का उपयोग नशे के लिए किया जा सकता है। हरियाणा राज्य नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो द्वारा ‘हॉक’ सॉफ्टवेयर और मोबाइल ऐप ‘प्रयास’ के माध्यम से तस्करों, तस्करी में संलिप्त लोगों का डाटा बैंक तैयार किया जा रहा है। जिससे किसी संबंधित तस्कर के बारे में कोई भी सूचना तुरंत प्राप्त कर बिना किसी देरी के कार्रवाई की जा सकेगी। नारकोटिक्स ब्यूरो द्वारा राज्य में नशे की स्थिति एवं कारणों पर विश्ववविद्यालयों के सहयोग से विस्तृत वैज्ञानिक, सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक अध्ययन करवाया जा रहा है।

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