Wednesday, March 12, 2025
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कांग्रेस ने 14 सीटों पर ‘आप’ को हरवाया, दोनों अपनी-अपनी होशियारी में डूबे!

अगर आप और कांग्रेस का गठबंधन होता, तो दिल्ली में गठबंधन की सीटें 37 हो जातीं और बीजेपी 34 सीटों पर सिमट सकती थी

जन सरोकार ब्यूरो

नई दिल्ली, 8 फरवरी। राहुल गांधी की कांग्रेस दिल्ली में जीरो थीं, जीरो ही रही। लेकिन आम आदमी पार्टी को जरूर हरवा दिया। 14 सीटों पर आम आदमी पार्टी की हार का अंतर, कांग्रेस को मिले वोटों से कम है। यानी अगर आप और कांग्रेस का गठबंधन होता, तो दिल्ली में गठबंधन की सीटें 37 हो जातीं और बीजेपी 34 सीटों पर सिमट सकती थी। दिल्ली में 14 सीटें ऐसी हैं जहां कांग्रेस ने ‘आप’ का खेल बिगाड़ दिया। इनमें- तिमारपुर, बादली, नांगलोई जाट, मादीपुर, राजेंद्र नगर, नई दिल्ली, जंगपुरा, कस्तूरबा नगर, मालवीय नगर, महरौली, छतरपुर, संगम विहार, ग्रेटर कैलाश, त्रिलोकपुरी शामिल हैं।

आम आदमी पार्टी से हारने वालों में अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, सौरभ भारद्वाज, सोमनाथ भारती और दुर्गेश पाठक जैसे टॉप लीडर्स हैं। दिल्ली में परंपरागत तौर पर आप और कांग्रेस एक-दूसरे को टक्कर देते रहे हैं। यहां कांग्रेस को एंटी बीजेपी वोट मिलता रहा, लेकिन 2013 में आप की एंट्री हुई और कांग्रेस के एंटी-बीजेपी वोट पर कब्जा कर लिया। 2013 में आप को 30 प्रतिशत वोट मिले, जो 2020 में बढक़र 54 प्रतिशत हो गए। वहीं 2013 में कांग्रेस को 25त्न वोट मिले थे, जो 2020 में घटकर 4 प्रतिशत हो गए। जबकि बीजेपी के अपने करीब 35 प्रतिशत वोट बरकरार हैं। यानी ये माना जा सकता है कि कांग्रेस और आप के वोटर कमोबेश एक जैसे हैं।

राजनीति विश्लेषक कहते हैं कि ‘अगर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी एक साथ लड़ते तो आज आंकड़े अलग हो सकते थे। आप को जो नुकसान हुआ है, वह कांग्रेस की ही देन है।’ लोकसभा चुनाव के बाद आप नेता गोपाल राय और कांग्रेस के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने कहा था कि गठबंधन सिर्फ लोकसभा चुनाव के लिए था, दिल्ली विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेंगे। कांग्रेस 5 से 10 सीटें चाहती थी, लेकिन एक दिसंबर 2024 को केजरीवाल ने साफ कर दिया कि वह कांग्रेस से गठबंधन नहीं करेंगे। इस समय कांग्रेस दिल्ली में आप के कुशासन के खिलाफ पदयात्रा निकाल रही थी। कांग्रेस नेता अजय माकन ने केजरीवाल को ‘देशद्रोही और फर्जी’ कह चुके थे। आप सरकार के कथित शराब घोटाले के विरोध में कांग्रेस की रैलियों में नारे लिखे हुए शराबनुमा गुब्बारे उड़ाए जा रहे थे।

राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि ‘अखिलेश यादव, ममता बनर्जी जैसे नेताओं ने केजरीवाल को समर्थन दे दिया तो कांग्रेस अकेले पड़ गई। केजरीवाल के इनकार के बाद कांग्रेस को बड़ा झटका लगा। इसके बाद कांग्रेस ने भी अलग चुनाव लडऩे का ऐलान कर दिया। और दोनों तरफ से आक्रामक बयानबाजी शुरू हो गई।’ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ‘कांग्रेस को लग रहा था कि हरियाणा चुनाव में उसकी हार की वजह आप के साथ गठबंधन न करना था। केजरीवाल के गठबंधन से इनकार करने के बाद कांग्रेस के पास दिल्ली में अपना अस्तित्व बचाने की चुनौती थी, पार्टी के पास दिल्ली में सिर्फ 4 प्रतिशत वोट शेयर था, कई नेता पार्टी छोउऩे को तैयार थे। ऐसे में उसके पास चुनाव लडऩे का ही विकल्प बचा।’

RK Sethi
RK Sethi
Editor, Daily Jan Sarokar 📞98131-94910
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