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Monday, November 25, 2024
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पति से अलग रहने पर भी तलाक जरूरी नहीं, सिंदूर के सहारे भी जीवन बिता सकती है महिला: सुप्रीम कोर्ट

-18 साल से अलग रहे पति-पत्नी को हाईकोर्ट ने दिया तलाक, तलाक लेने से इंकार पत्नी पहुंची थी सुप्रीम कोर्ट

करीब 18 साल के लंबे समय से अलग रह रहे पति-पत्नी के तलाक के मामले को सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया। पति की याचिका पर हाईकोर्ट ने पति-पत्नी के तलाक को मंजूरी दे दी थी। पति ने याचिका में तर्क दिया कि वो साधु बन गया है। अपनी पत्नी से अलग रहा है, इसलिए अब गृहस्थ जीवन में शामिल नहीं हो सकता। हाईकोर्ट ने पति की याचिका पर तलाक के आदेश दे दिए। महिला ने तलाक लेने से मना करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी। सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक कभी-कभी किसी महिला का शादी होना ज्यादा जरूरी हो जाता है। पति से अलग रहने पर भी वह अपने सिंदूर के सहारे अपना जीवन बिता सकती है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस एस रवींद्र भट्ट की पीठ ने यह भी कहा कि अब 18 साल से अलग रह रहे एक जोड़े के लिए सुलह करना असंभव हो सकता है। पीठ के अनुसार हालांकि, जिस तरह से समाज महिलाओं के साथ व्यवहार करता है और क्योंकि स्वयं महिला के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह विवाहित रहे, युगल का तलाक रद्द कर दिया जाता है। दरअसल मध्यप्रदेश के भिंड की रहनी वाली एक महिला ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। महिला के पति ने पहले फैमिली कोर्ट में तलाक के लिए अर्जी दी। याचिका में दावा किया कि उसकी पत्नी उसे छोडक़र चली गई और उससे अलग रह रही थी। जबकि पत्नी तलाक का विरोध कर रही थी। वर्ष 2008 में फैमिली कोर्ट ने तलाक की अर्जी खारिज कर दी थी। उसके बाद पति मध्य प्रदेश हाई कोर्ट गए। उन्होंने तलाक के लिए ग्वालियर बेंच में याचिका दायर की। हाई कोर्ट ने 2014 में तलाक को मंजूरी दे दी थी। साथ ही पति को पत्नी को 5 लाख रुपए देने का आदेश दिया। पत्नी ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से 2017 में अपने फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा, लेकिन हाईकोर्ट ने दूसरी बार तलाक दे दिया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई की। तलाक के लिए पति का तर्क उनकी ओर से कोर्ट में दिया गया था, जिसमें कहा गया था कि वह अब साधु बन गए हैं। उन्होंने सब कुछ सरेंडर कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, अगर पति साधु बन गया है, तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि शादी रद्द कर दी गई है या बहाल कर दी गई है। इसके अलावा, पीठ ने कहा कि मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के फैसले के बाद पति द्वारा महिला को दी गई राशि उससे नहीं ली जाएगी।

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