15 जुलाई 1997 को बना जिला, कभी नाम था इकदार
गुलाबी शहर और चिल्ली नगरी के रूप में भी है पहचान
ऐतिहासिक रूप से खास महत्व है फतेहाबाद शहर का
हरियाणा के प्राचीन शहरों में शुमार है फतेहाबाद। करीब 2520 वर्ग किलोमीटर में फैला फतेहाबाद 15 जुलाई 1997 को हरियाणा के मानचित्र पर जिले के रूप में अस्तित्व में आया। साल 1837 से लेकर 1884 तक फतेहाबाद सिरसा जिला का हिस्सा था। 1885 से लेकर जुलाई 1997 तक हिसार जिले का अंग रहा। कभी इसका नाम इकदार था। इसे गुलाबी श्हर, चिल्ली नगरी के रूप में भी जाना जाता है। साल 1352 में फिरोजशाह तुगलक ने इस शहर को बसाया। इसके पीछे एक रोचक कहानी है। फिरोजशाह तुगलक जंग जीतकर घर पहुंचा। उसके घर बेटे का जन्म हुआ। बेटे का नाम रखा फतेह खां। फतेह खां के नाम पर ही फिरोजशाह ने फतेहाबाद शहर की नींव रखी। फतेहाबाद में आज भी प्राचीन चिल्ली झील और फिरोजशाह की लाट मौजूद है। ऐतिहासिक रूप से फतेहाबाद का खास महत्व है। फतेहाबाद के महत्वपूर्ण शहर टोहाना का जिक्र तो महर्षि पाणिनी की पुस्तक अष्टाध्यायी में भी मिलता है। फतेहाबाद की अनूठी और ऐतिहासिक कहानी पर एक नजर
आर्यों ने सबसे पहले नदियों के किनारे बसना शुरू किया। सरस्वती और दृष्टावती नदियों पर बसने के बाद हिसार और फतेहाबाद तक विस्तार किया। यह पूरा क्षेत्र शायद पांडवों और उनके उत्तराधिकारियों के राज्य में शामिल था। इतिहास में क्षेत्र के बहुत सारे कस्बों का उल्लेख है -ऐसुकरी, ताशान्य (टोहाना) और रोड़ी, जिन्हें हिसार, टोहाना और रोड़ी के साथ पहचान लिया गया है। पुराणों के अनुसार, फतेहाबाद जिले के क्षेत्र नंद साम्राज्य का हिस्सा बने रहे। हिसार और फतेहाबाद में अशोक स्तंभों की खोज से पता चलता है कि जिले का क्षेत्र मौर्य साम्राज्य का हिस्सा रहा। 1798 तक, जॉर्ज थॉमस के नियंत्रण में अग्रो और तोहाना महत्वपूर्ण परगना थे। कहा जाता है कि टोहाना और हिसार के शहरों को फिर से बनाया था। बाद में ये इलाके हांसी के एक मुगल उत्कर्ष इलियास बेग के प्रभारी थे। 1803 में सुरजी अंजगांव की संधि के साथ, ब्रिटिश इस क्षेत्र के शासक बने और मराठों को हमेशा के लिए पराजित किया गया। नवंबर 1884, सिरसा जिले को समाप्त कर दिया गया और गांवों के वितरण के बाद सिरसा तहसील का गठन किया गया। 1898 में, 15 गांवों को एक अलग ब्लॉक जिसे बुढ़लाड़ा कहा जाता है, का स्थान कैथल तहसील को फतेहाबाद तहसील के रूप में भेजा गया था। पुराने समय में फतेहाबाद नंद साम्राज्य का हिस्सा रहा था और बाद में मौर्य साम्राज्य के अंतर्गत शामिल हो गया। फिरोजशाह तुगलक ने फतेहाबाद में एक महल का निर्माण भी करवाया, जिसे हरियाणा की सबसे पुरानी हेवली के रूप में जाना जाता था।
इसके अलावा सुलतान फिरोजशाह तुगलक ने शहर में अनेक मस्जिदों व भव्य इमारतो का निर्माण करवाया। फतेहाबाद किले के ऊपरी हिस्से में एक ईदगाह अपने प्रागण के बिल्कुल मध्य में एक गोलाकार स्त भ लिए हुए हैं। बलुआ मिट्टी, लाल, सफेद पत्थर व लोहे के मिश्रण से बनी इस लाट पर तुगलक वंश से संबंधित जानकारी अंकित है। इतिहासकार इस लाट को सम्राट अशोक का कीर्ति स्तम्भ मानते हैं। पुराने समय में इस क्षेत्र में भील जाति के लोग बसा करते थे और यह क्षेत्र उदयानगरी के नाम से जाना जाता था। इस क्षेत्र में घने जंगल होने के कारण यहा जगली जानवर काफी मात्रा में पाए जाते थे। शिकार के शौकीन बादशाह फिरोजशाह तुगलक भी इस स्थान के प्रति आकर्षित हुए बिना न रह सका। 23 अगस्त 1351 को तुगलक के घर पुत्र का जन्म हुआ। पुत्र की खुशी व जंग में फतेह पर वहां एक नगर बसाया जिसका नाम फतेहाबाद रखा और नवजात शिशु का नाम फतेह खां रखा। टोहाना जिला की प्रमुख तहसील है। हरियाणा के जिला हिसार में हासी के पश्चात टोहाना का किला ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इस किले पर 38 बार विदेशी आक्रमण हुए जिससे इसकी महत्ता और आवश्यकता का अनुमान लगाया जा सकता है। सिंधु सभ्यता काल में टोहाना एक विकसित नगर रहा है। सरस्वती नदी के किनारे बसे इस नगर की चर्चा अष्टाध्यायी के प्रसिद्ध व्याकरणशास्त्री पाणिनि ने भी की है। किले और बावडी के मध्य एक सरोवर बनवाया जिसके स बन्ध में प्रसिद्ध है कि इसकी सीढिय़ा काच की थी। यह सरोवर आज भी अनंगसागर के नाम से जाना जाता है। उसने इस आबादी का नाम अपने वंश तोमर के नाम तुराना रखा जो कालान्तर में तुराना से टोहाना हो गया। जाखल यहां का एक और पुराना शहर है घग्घर नदी के दायें पर जाक्खू द्वारा बसाई गई बस्ती को ही जाखल मंडी के रुप में जानते हैं। सन 1892 में यहां रेल लाइन बिछाई गई और कुछ समय बाद जींद-नरवाना-टोहाना-बठिंडा रेल लाइन डाली गई। फतेहाबाद के गांव कुणाल में स्थित अशोक स्तम्भ को फिरोजशाह तुगलक उखाडक़र अपने महल में ले आया इसे ही आज फिरोजशाह लाट के नाम से जाना जाता है।
यहां के गांव बनवाली में 8 हजार साल पुरानी हड़प्पा संस्कृति के अवशेष मिल चुके हैं। 1973 में यहां पर भारतीय पुरातत्व सर्वे ने उत्खनन का काम शुरू किया। फतेहाबाद में मीर शाह की मजार के अलावा टोहाना का पुराना किला भी है। बनावाली के अलावा भिरडाना और कुणाल गांवों में भी हड़प्पा सभ्यता के मोती, खेत जोतने वाले हल, बैलगाड़ी का पहिया सहित कई अवशेष मिले हैं। यह पूरा इलाका खेती पर आधारित है। फतेहाबाद में मुख्य रूप से नरमा, गेहूं, धान के अलावा सरसों, सब्जियों व फलों की खेती होती है। यहां पर कपास के रिकॉर्ड उत्पादन होने के चलते ही साल 1892 में अंग्रेजों ने फतेहाबाद के कस्बे जाखल में रेलवे लाइन बिछवाई। जाखल आज एक बड़ा रेलवे जंक्शन है। यह बात दूसरी है कि फतेहाबाद मुख्यालय आज भी रेल लाइन को तरस रहा है। कॉटन के उत्पादन के चलते ही फतेहाबाद में साल 1963 में पहली सूती मिल की स्थापना की गई। समय के साथ यहां पर कारखाने बंद होते चले गए। फतेहाबाद में बड़े पैमाने पर अमरुद की खेती होती है। यही वजह है कि भूना में अमरुद प्रजनन केंद्र बनाया गया है। संगीत की दुनिया में अलग पहचान बनाने वाले पंडित जसराज फतेहाबाद के गांव पीली मंदौरी से ताल्लुक रखते थे। फतेहाबाद शहर पर कई बार आक्रामण हुआ। 1398 में तैमूर ने आक्रामण किया। टोहाना शहर पर 38 बार आक्रमण हुआ। राजस्थान कैनाल की कल्पना को साकार करने और भाखड़ा डैम के प्रोजेक्ट को पूरा करने वाले इंजीनियर कंवर पाल सेन टोहाना के रहने वाले थे। रामायण महाकाव्य को रामलीला मंचन के लिए आधुनिक रूप देने वाले यशवंत टोहानवी भी यहीं से थे। हरियाण के पहले अर्जुन अवाडी्र पहलवान उदयचंद फतेहाबाद से ताल्लुक रखते थे। फतेहाबाद के नवदीप वाजिया, मनीषा ने माऊंट एवरेस्ट की चोटी फतेह की तो हरियाणा की पहली कमॢशयल पायलेट प्रियंका भी फतेहाबाद के गांव सूलीखेड़ा की रहने वाली हैंं। फतेहाबाद के साथ कुछ रोचक तथ्य जुड़े हैं। ङ्क्षलगानुपात के मामले में फतेहाबाद मेवात के बाद हरियाणा में दूसरे स्थान पर है। फतेहाबाद में कुछ समय के लिए हुमांयू ने भी प्रवास किया और यहां पर एक मस्जिद बनवाई। फतेहाबाद के टोहाना को नगरों की नगरी कहा जाता है। यहां से हरियाणा में भाखड़ा नहर तथा घग्घर नदी प्रवेश करती है। हरियाणा का पहला और एकमात्र परमाणु बिजली तापघर गोरखपुर गांव में है। अभी इस पर काम चल रहा है। शिक्षा की बात करें तो फतेहाबाद पिछड़ा हुआ जिला है। यहां पर कोई भी यूनिवर्सिटी या बड़ा शैक्षणिक संस्थान नहीं है। भोडिय़ाखेड़ा और रतिया में राजकीय महिला कालेज के अलावा रतिया, भूना, टोहाना और भट्टू कलां में सरकारी महाविद्यालय हैं। फतेहाबाद शहर में मनोहर मैमोरियल कालेज एक एडेड कालेज है। इसके अलावा तीन प्राइवेज महाविद्यालय हैं। 257 ग्राम पंचायतों वाला फतेहाबाद जिला सियासी लिहाज से भी असर नहीं दिखा सका है। फतेहाबाद, टोहाना और रतिया तीन विधानसभा क्षेत्र हैं। कभी फतेहाबाद से संयुक्त पंजाब के समय चौधरी देवीलाल भी फतेहाबाद से विधायक रहे। मनीराम बागड़ी यहां से एक कद्दावर लीडर रहे।