दिल्ली की करीब 1700 झुग्गियों में रहने वाले तकरीबन 15 लाख लोगों का भरोसा जीतने में बीजेपी और आम आदमी पार्टी ने पूरी ताकत झोंक रखी है, माना जाता है कि ये वोट 18 सीटों के नतीजे बदल डालने में सक्षम हैं!

जन सरोकार ब्यूरो/आरके सेठी
नई दिल्ली, 27 जनवरी। दिल्ली की झुग्गी-झोपडिय़ों में इन दिनों लीडरों की चहलकदमी खूब बढ़ गई है। लीडर बीजेपी के हों, आम आदमी पार्टी या कांग्रेस के, सभी को मालूम है कि सत्ता का रास्ता इन्हीं झुग्गियों की तंग और बेहाल गलियों से ही निकलता है। हालांकि, दिल्ली में झुग्गियों की तादाद और उनमें रहने वाले लोगों की तादाद का कोई आधिकारिक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। माना जाता है कि दिल्ली में झुग्गी-झोपडिय़ां, जेजे कलस्टर या कहें कि अवैध कॉलोनियां, इनकी तादाद 1700 है और यहां करीब 15-16 लाख बसते हैं। शहरी आश्रय सुधार बोर्ड के अनुसार दिल्ली में 675 झुग्गी-झोपड़ी कलस्टर हैं, जिनमें करीब साढ़े 15 लाख लोग रहते हैं। दिल्ली की राजनीति की समझ रखने वाले वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि यह वोटर दिल्ली की करीब 18 विधानसभा सीटों के नतीजे प्रभावित करने में सक्षम हैं। इसलिए हर पार्टी की निगाह इस वोट बैंक पर टिकी रहती है।
हर चुनाव में दिल्ली का यह ‘झुग्गी वोटर’ अपना अहम रोल अदा करता है। किसी जमाने में यह वोटर कांग्रेस का ‘पक्का साथी’ था, लेकिन जब कांग्रेस ने परवाह करनी बंद कर दी तो इस वोटर ने भी कांग्रेस को छोड़ दिया। 2013 में दिल्ली में जब पहली बार आम आदमी पार्टी की सरकार बनी तो यह वोटर बड़ी तादाद में ‘आप’ के साथ चला गया और फिर 2015 और 2020 में भी आम आदमी पार्टी के साथ ही टिका रहा है।
अब 2025 के इन चुनावों में आम आदमी को पटखनी देने के लिए तैयार बीजेपी की रणनीति इसी वोटर को अपनी पाले में लाने की है। इसके लिए पार्टी ने बहुत समय से बकायदा ‘युद्ध स्तर’ पर काम किया है। इस बात में कोई दोराय नहीं कि झुग्गी-झोपडिय़ों में बीजेपी ने ‘घुसपैठ’ जबरदस्त तरीके से की है। अब वहां बीजेपी के झंडे और पोस्टर भी खूब दिख रहे हैं और बूथ लेवल तक बीजेपी के वर्कर मुस्तैद भी दिखते हैं। ऐसा नहीं कि आम आदमी पार्टी की कोशिशें कोई कम हैं। यहां के वोटर को रिझाने के लिए बिजली-पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य और पुनर्वास के वादों की भरमार है। मुफ्त बिजली-पानी की वजह से यहां का बड़ा वोट बैंक आम आदमी पार्टी के साथ जुड़ा रहा है। लेकिन इस बार झुग्गी वालों को पक्के मकान देने का बीजेपी का वादा असर करता दिख रहा है। माना जाता है कि यह ‘झुग्गी वोटर’ आमतौर पर एक ही पार्टी की तरह रूझान रखता है। जब कांग्रेस के साथ थे, तो पूरी तरह से साथ थे। फिर आम आदमी पार्टी पर भरोसा किया तो पूरा साथ निभाया। इस बार देखना दिलचस्प होगी कि बीजेपी इस वोटर को कैसे और कितना खुद की तरफ कर पाती है।
उत्तर-पूर्वी दिल्ली, पूर्वी दिल्ली और दक्षिण दिल्ली के कुछ विधानसभा क्षेत्रों के हरेक पार्टी के प्रत्याशी इन ‘झुग्गी वोटर’ के सामने नतमस्तक हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि सभी पार्टियां यहां पैसे का खेल भी खुल कर खेलती हैं। इन चुनाव में माना जा रहा है कि आम आदमी पार्टी और बीजेपी, दोनों ही ‘झुग्गी वोटर’ को किसी भी ‘कीमत’ पर खुद के साथ खड़ा देखने को बेकरार हैं।