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Friday, November 22, 2024
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कामनवेल्थ में हरियाणा के खिलाडियों की धाक

हरियाणा के धाकड़ छोरे-छोरियों से इस बार भी राष्ट्रमंडल खेलों में शानदार प्रदर्शन की उम्मीद है। इंग्लैंड के बर्मिंघम में 28 जुलाई से शुरू हुए राष्ट्रमंडल खेलों में देश के 213 खिलाड़ी भाग ले रहे हैं, जिनमें अकेले हरियाणा से 43 खिलाड़ी शामिल हैं। इनमें ज्यादातर पदक के दावेदार हैं। ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में हुए राष्ट्रमंडल खेलों के पांच पदकवीर बर्मिंघम में फिर पताका फहराने को तैयार हैं। हॉकी में बेटियां 16 साल बाद पदक जीतने को उतरेंगी तो बेटे भी पहली बार सोना जीतने को लालायित हैं। 

राष्ट्रमंडल खेलों में प्रदेश के खिलाड़ियों का इतिहास शानदार रहा है। वर्ष 2018 में गोल्ड कोस्ट में देश के खिलाड़ियों ने 66 पदक जीते थे। जिसमें हरियाणा के खिलाड़ियों ने नौ स्वर्ण सहित 22 पदक देश की झोली में डाले थे। प्रतियोगिता में देश तीसरे स्थान पर था। इससे पहले स्कॉटलैंड के ग्लासगो में वर्ष 2014 में देश को 64 पदक मिले थे, जिसमें हरियाणा के खिलाड़ियों ने 19 पदक जीते थे। देश को पांचवां स्थान मिला था।

वहीं नई दिल्ली में वर्ष 2010 में हुए खेलों में देश को अब तक के सबसे अधिक 101 पदक मिले थे। जिसमें हरियाणा के खिलाड़ियों ने 27 पदक जीते थे। मेजबान होते हुए देश दूसरे स्थान पर रहा था। बर्मिंघम में प्रदेश के 43 खिलाड़ी भाग लेंगे। इनमें 11 पहलवान, 11 हॉकी खिलाड़ी, 6 मुक्केबाज, पांच एथलीट समेत अन्य खिलाड़ी शामिल हैं। जिनसे इस बार पुराने रिकॉर्ड टूटने की उम्मीद है।

इनमें रवि दहिया, बजरंग पूनिया, दीपक पूनिया, विनेश, सीमा आंतिल, सुमित कुंडू, अमित पंघाल समेत कई खिलाड़ी पदक के प्रबल दावेदार हैं। हालांकि नीरज चोपड़ा के चोटिल होने से खेल प्रेमियों को झटका लगा है। नीरज वर्तमान प्रदर्शन के आधार पर स्वर्ण के सबसे प्रबल दावेदार थे। साथ ही निशानेबाजी को इस बार राष्ट्रमंडल से बाहर किए जाने का असर भी पदक तालिका को प्रभावित कर सकता है। पिछले राष्ट्रमंडल में हरियाणा के ही पांच खिलाड़ियों ने तीन स्वर्ण, एक रजत व एक कांस्य जीता था। 

ऐसे खेलों में आगे बढ़ रहा हरियाणा
दरअसल खेलों में हरियाणा ने पिछले एक दशक से अभूतपूर्व तरक्की की है। इस तरक्की के पीछे सरकार की ओर से खेलों को लेकर किए गए अनूठे और लाजवाब प्रयोग भी हैं। मुख्यमंत्री की दूरदर्शी सोच के बाद ही हरियाणा के गांवों में व्यायामशालाएं खोले जानी की पहल की गई है। यह बात दीगर है कि पंजाब, दिल्ली और राजस्थान सरीखे पड़ौसी प्रदेशों से भी हरियाणा खेलों में काफी आगे निकल गया है और अब इन राज्यों के खिलाड़ी भी हरियाणा जैसी सुविधाओं की आवाज उठाने लगे हैं। क्षेत्रफल और जनसंख्या के हिसाब से छोटे से राज्य हरियाणा के खिलाडिय़ों ने टोक्यो ओलम्पिक देश के आधे से पदक जीते। खिलाडिय़ों पर सरकार ने भी खूब मेहरबानी दिखाई। स्वर्ण पदक विजेता को 6 करोड़, रजत पदक विजेता को 4 करोड़ रुपए और कांस्य पदक विजेता को अढ़ाई करोड़ रुपए सरकार की ओर से दिए जाते हैं। पदक विजेताओं को प्लाट और सरकारी नौकरी भी जाती है। यह पूरे देश में एक मिसाल है।

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