खेलों में नई दिखा रहा है हरियाणा, दूध-दही के खाणे का दिखा असर

चंडीगढ़, 7 अगस्त: भारतीय महिला हॉकी टीम ने कॉमनवेल्थ गेम्स में कांस्य पदक जीता है। इस टीम में 9 खिलाड़ी हरियाणा से हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भारतीय महिला हॉकी टीम को बधाई दी है। हरियाणा की सविता पूनिया के नेतृत्व में टीम ने कांस्य पदक जीता है। बर्मिंघम में चल रहे कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में भारतीय महिला हॉकी टीम ने ब्रॉन्ज मेडल जीत लिया है। इस मुकाबले में भारत के सामने न्यूजीलैंड की चुनौती थी। मुकाबले के 29वें मिनट में भारत ने पहला गोल किया । यह गोल सलीमा टेटे ने किया। तीसरे क्वार्टर के बाद भारत 1-0 से आगे था। आखिरी मिनट में पहला गोल दागकर न्यूजीलैंड ने बराबरी हासिल कर ली। दोनों टीमों के बीच विजेता का निर्णय पेनल्टी शूटआउट से हुआ। भारत ने पेनल्टी शूटआउट में 2-1 से मुकाबला जीत लिया। भारतीय गोलकीपर सविता ने शूटआउट में चार गोल बचाए।फर्स्ट हाफ की शुरुआत में इंडियन प्लेयर्स में समन्वय की कमी साफ नजर आ रही थी। इसके बाद रफ टैकल करने के लिए न्यूजीलैंड की खिलाड़ी इक्विडोर को 2 मिनट के लिए बाहर कर दिया गया।
हरियाणा ने लगाई पदकों की झड़ी
गौरतलब है कि कॉमनवेल्थ गेम्स में हरियाणा के पहलवानों ने शनिवार को पदकों की झड़ी लगा दी। ओलिंपियन रवि दहिया, विनेश फोगाट सरीखे पहलवानों से तो गोल्ड की उम्मीद थी ही, लेकिन नवीन कुमार मलिक, पूजा गहलावत और दीपक नेहरा जैसे ऐसे पहलवानों ने भी गोल्ड और ब्रॉंज मेडल जीतकर हरियाणा की माटी की महक को विश्वभर में फैला दिया, जो पहली बार इतने बड़े मुकाबलों में उतरे थे। 5 घंटों में ही एक के बाद एक म्हारे पहलवानों ने 3 गोल्ड, 2 ब्रॉन्ज देश की झोली में डाल दिए। इस बीच बॉक्सर अमित पंघाल भी 6वां मेडल पक्का कर गए। पूरे देश ने 2 दिन में खेलों की दुनिया में हरियाणा का जलवा और यहां के दूध दही का दम देख लिया है। पूजा गहलावत और दीपक नेहरा के सेमीफाइनल में ही हारने के बाद लगने लगा था कि अब इनसे किसी मेडल की उम्मीद बेमानी है, लेकिन दोनों ब्रॉन्ज मेडल के लिए मैट पर उतरे और जीते भी।
तीन दिन में 7 गोल्ड समेत 13 मेडल
तीन दिन में हरियाणा के हिस्से 7 गोल्ड, दो सिल्वर (पंघाल समेत) और 4 ब्रॉन्ज मेडल आ चुके हैं। कॉमनवेल्थ में हरियाणा अभी तक विभिन्न गेमों में 25 से ज्यादा मेडल हथिया चुका है। वर्ष 2018 के कॉमनवेल्थ में मेडलों की कुल संख्या 22 थी। पिछला रिकार्ड ध्वस्त कर अभी कई और खिलाड़ी भी मेडल की लाइन में हैं। मेडलों की झोली भरने से खुश हरियाणा सरकार ने भी खिलाडिय़ों को सम्मानित करने का एलान कर दिया है।
टोक्यो ओलम्पिक में किया था कमाल
दरअसल, हरियाणा में एक लंबे वक्त से खिलाडय़िों को जितनी सुविधाएं दी जा रही हैं उतनी किसी अन्य राज्य में उपलब्ध नहीं हैं। पिछले साल जुलाई में हुए टोक्यो ओलंपिक में भारत के खिलाडिय़ों के 127 सदस्यीय दल में 31 प्लेयर्स हरियाणा से थे। सिर्फ हरियाणा से ही महिला हॉकी के 9, कुश्ती के 7, बॉक्सिंग के 4 और शूटिंग के 4 प्लेयर्स टोक्यो ओलंपिक में हिस्सा लेने गए थे। बड़ी बात ये कि ओलंपिक में सेलेक्ट होने वाले ऐसे हर प्लेयर को सिर्फ उसकी तैयारियों के लिए 5 लाख रुपये की आर्थिक मदद दी जाती है। टोक्यो ओलम्पिक में एथलीट नीरज चोपड़ा ने स्वर्ण पदक जीता जबकि हरियाणा के खिलाडिय़ों ने देश को तीन मैडल दिलवाए थे।
2 प्रतिशत आबादी, खेलों में मिसाल बना हरियाणा
देश के छोटे राज्यों में शुमार हरियाणा खेलों में नजीर पेश कर रहा है। खेलों में हरियाणा अंतर्राष्ट्रीय मानचित्र पर अपनी पहचान बनाने में सफल हुआ है। यही वजह रही कि पिछले साल जुलाई में टोक्यो ओलम्पिक में हरियाणा के खिलाड़ी नीरज चोपड़ा ने जैवलीन थ्रो में गोल्ड जीता। स्वर्ण पुत्र नीरज चोपड़ा पानीपत के रहने वाले हैं। करीब 125 साल बाद एथलेटिक्स में गोल्ड जीतकर नीरज ने इतिहास रच दिया। इसके साथ ही बजरंग पूनिया ने कांस्य जबकि रवि दहिया ने रजत पदक जीता था। दरअसल खेलों में हरियाणा ने पिछले एक दशक से अभूतपूर्व तरक्की की है। इस तरक्की के पीछे सरकार की ओर से खेलों को लेकर किए गए अनूठे और लाजवाब प्रयोग भी हैं। हरियाणा के गांवों में व्यायामशालाएं खोले जानी की पहल की गई है। हालांकि पंजाब, दिल्ली और राजस्थान सरीखे पड़ौसी प्रदेशों से भी हरियाणा खेलों में काफी आगे निकल गया है और अब इन राज्यों के खिलाड़ी भी हरियाणा जैसी सुविधाओं की आवाज उठाने लगे हैं। खास पहलू यह है कि इन राज्यों के बहुत से खिलाड़ी हरियाणा में ही आकर अपना हुनर निखार रहे हैं। क्षेत्रफल और जनसंख्या के हिसाब से छोटे से राज्य हरियाणा के खिलाडिय़ों ने टोक्यो ओलम्पिक देश के आधे से पदक जीते।
खिलाडिय़ों पर सरकार भी मेहरबान
खिलाडिय़ों पर सरकार ने भी खूब मेहरबानी दिखाई। ओलम्पिक में स्वर्ण पदक विजेता को 6 करोड़, रजत पदक विजेता को 4 करोड़ रुपए और कांस्य पदक विजेता को अढ़ाई करोड़ रुपए सरकार की ओर से दिए जाते हैं। पदक विजेताओं को प्लाट और सरकारी नौकरी भी जाती है। यह पूरे देश में एक मिसाल है। पिछले करीब सात वर्ष में 12 हजार पदक विजेता खिलाडिय़ों को 366 करोड़ रुपए के ईनाम दे चुकी है जो पूरे हरियाणा सर्वाधिक है। िखिलाडिय़ों की प्रतिभा निखारने के लिए अर्जुन, द्रोणाचार्य व ध्यानचंद पुरस्कार विजेता कोच को 20 हजार रुपए का मासिक मानदेय सरकार ने शुरू किया। तेनङ्क्षजग नोर्गे अवार्ड विजेताओं को 20 हजार रुपए व भीम पुरस्कार विजेताओं को 5 हजार रुपए का मासिक मानदेय सरकार की ओर से दिया जा रहा है। पर्वतारोहियों को 5 लाख रुपए का नगद पुरस्कार और ग्रेड सी खेल श्रेणी प्रमाण पत्र दिया जा रहा है। खास बात यह है कि सरकार स्कूली लेवल से खेलों का आधारभूत ढांचा मजबूत कर रही है। इस कड़ी में हरियाणा खेलकूद विश्वविद्यालय की स्थापना की पहल हरियाणा के सोनीपत के राई में की गई है।