आदमपुर उपचुनाव : प्रो. संपत की आज होगी कांग्रेस में वापसी
चंडीगढ़ (जन सरोकार ब्यूरो) : हरियाणा की राजनीति कभी खासी धमक रखने वाले प्रो. संपत सिंंह आज एक बार फिर कांग्रेस में शामिल हाेंगे। उनके साथ प्रो. रामभगत शर्मा और राधेश्याम शर्मा भी कांग्रेस में शामिल होंगे। यह लगभग तय माना जा रहा है कि प्रो. संपत सिंह आदमपुर सीट के उपचुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार के तौर पर भजनलाल परिवार को चुनौती देंगे। इस तरह पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा खेमा आदमपुर के रण में प्रो. संपत सिंह के सहारे ताल ठाेकेगा।
दरअसल हरियाणा के हिसार जिले की आदमपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव कुलदीप बिश्नोई के इस्तीफे के कारण होगा। कुलदीप ने कांग्रेस छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने से पहले हरियाणा विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके सांसद बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने आदमपुर सीट के उपचुनाव के लिए तैयारी आरंभ कर दी है।
2019 में कांग्रेस ने नहीं दी टिकट, किया था किनारा
2014 में वे नलवा से इनैलो के रणबीर गंगवा से हार गए, जबकि 2019 में उन्हें कांग्रेस ने टिकट ही नहीं दिया। संपत्त सिंह साल 2019 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए थे। संपत्त सिंह हरियाणा के अनुभवी राजनेता हैं। इनैलो में उन्हें थिंक टैंक के नाम से जाना जाता था। यही वजह है कि इनैलो की सरकार में ओमप्रकाश चौटाला के बाद संपत्त सिंह ही सबसे वरिष्ठ मंत्री रहे। भाजपा में फिलहाल वे हाशिए पर ही रहे। जब संपत्त सिंह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए तो राजनीतिक पर्यवेक्षकों के यह कयास थे कि भाजपा इस नेता को कोई बड़ी जिम्मेदारी देगी। पर ऐसा नहीं हुआ और उन्हें कोई पद नहीं दिया गया। जून 2021 जब भाजपा की कार्यकारिणी के सदस्य बनने की बात आई तो संपत्त सिंह ने साफ इंकार कर दिया। प्रो. संपत्त सिंह संगठन का भी लंबा अनुभव रहा है। संपत्त सिंह लोकदल की युवा इकाई के प्रदेश प्रमुख रहने के अलावा हिसार जिला से पार्टी के प्रधान रहे। चौधरी देवीलाल की ओर से बनाई गई संघर्ष समिति के सदस्य रहने के अलावा इनैलो के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव रहे। चौधरी देवीलाल के नेतृत्व वाली सोशल जस्टिस पार्टी के अध्यक्ष रहे। इसके साथ ही संपत्त सिंह खुद भी लिखने के शौकीन हैं। हरियाणा की राजनीति और आर्थिक स्थिति पर उनके कई तथ्यपरक आलेख समाचार पत्रों में प्रकाशित होते रहे हैं।
चौटाला सरकार में रहे सीनियर मंत्री
प्रो. संपत्त सिंह अपने 45 वर्ष के सियासी कॅरियर में छह बार विधायक चुने गए। साल 1982 में पहली बार भट्टू से आजाद विधायक चुने गए। इसके बाद 1997, 1991, साल 2000 में भट्टू से जबकि 1998 में फतेहाबाद और 2009 में नलवा से विधायक रहे। अपने जीवन में प्रो. संपत्त सिंह को कई चुनावों में हार का सामना करना पड़ा। 1980 में भट्टू कलां से उपचुनाव में हारे। इसी तरह से 1996 में फतेहाबाद से हविपा के मनीराम गोदारा से जबकि 2008 में आदमपुर के उपचुनाव में हार का सामना करना पड़ा। साल 2009 में हिसार संसदीय सीट से जबकि 2014 में नलवा से चुनाव हारे।