लंग्स को मजबूत बनाए रखने के लिए अपनाएं कुछ इस प्रकार के टिप्स
कोरोना एक घातक बीमारी है। लाखों लोग इसकी चपेट में आने से जान गंवा चुके हैं और लाखों इसकी जद में हैं। कोरोना से निजात पाने वाले कई मरीजों के लिए वायरस को मात देना आधी जंग जीतने जैसा साबित हुआ है। फेफड़ों सहित अन्य अंगों को पहुंचे नुकसान के चलते उन्हें स्वस्थ होने के महीनों बाद भी थकान, कमजोरी और सांस लेने में तकलीफ की शिकायत सताती है।
हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड से जिंदगी की जंग जीतने वाले रोगी सही खानपान अपनाकर, व्यायाम को दैनिक जीवन का हिस्सा बनाकर और वायु प्रदूषण से दूर रहकर फेफड़ों की पुरानी ताकत पा सकते हैं।
इसके लिए आप निम्नलिखित नुस्खे अपनाएं
- श्वास क्रियाओं के अभ्यास से मांसपेशियां हरकत में आएंगी, फेफड़ों में खून और ऑक्सीजन का प्रवाह बढ़ेगा।
- पेट के बल लेटकर गहरी सांस भरें और छोड़ें काफी फायदेमंद रहेगा, प्राणायाम से भी सुधरती है फेफड़ों की सेहत।
- ऑक्सीजन के स्तर में उतार-चढ़ाव का सामना करने वाले व्यायाम के लिए च्रेस्पिरोमीटर्स का भी सहारा ले सकते हैं।
- ब्लड शुगर में वृद्धि के साथ ही फास्ट फूड या तैलीय पकवान आंत में बैक्टीरिया का संतुलन बिगाड़ते हैं शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में गिरावट का भी ये कारण बनते हैं, लिहाजा इनसे दूरी बनाए रखें।
- कोविड-19 से उबरने के बाद एंटी ऑक्सीडेंट से भरपूर लहसुन, हल्दी और ग्रीन-टी का सेवन बढ़ाएं, फेफड़ों की कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए खट्टे फल, गुड़ और काली मिर्च खाएं।
- अपने भोजन में चुकंदर, टमाटर, बादाम, ब्लूबेरी भी शामिल करें, ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर ये सामग्री फेफड़ों में सूजन की शिकायत दूर करती हैं, सांस के संक्रमण से भी बचाती हैं।
इन चीजों से दूर रहें
- डाइटिंग– डायटिंग से शरीर जरूरी मिनरल-विटामिन से वंचित हो सकता है, जबकि संक्रमण से लडऩे और पुरानी मजबूती हासिल करने के लिए ये पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में चाहिए।
- धूम्रपान-तंबाकू उत्पादों का इस्तेमाल फेफड़ों में मौजूद वायु नलिकाओं को नुकसान पहुंचाता है, श्वास प्रणाली को वायरल संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील भी बनाता है।
- विशेषज्ञों के मुताबिक फेफड़ों की कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए टहलना, जॉगिंग करना और साइकिल चलाना बेहद फायदेमंद हो सकता है। हालांकि, घर से बाहर निकलने पर यह सुनिश्चित करें कि आप वायु प्रदूषण के संपर्क में न आएं। प्रदूषण न केवल संक्रमण के दोबारा उभरने का जोखिम बढ़ाता है, बल्कि फेफड़ों में हानिकारक तत्वों के जमने का कारण भी बनता है, जिससे सांस लेना और दूभर हो सकता है। प्रदूषकों के दुष्प्रभाव से बचने के लिए नियमित रूप से भाप लेना और अन्य डिटॉक्स पद्धतियां आजमाना न भूलें।