तकरीबन सभी का कहना था कि आम आदमी पार्टी भ्रष्टाचार के दलदल में धंस चुकी है

जन सरोकार ब्यूरो
नई दिल्ली, 31 जनवरी। आम आदमी पार्टी से आज इस्तीफा देने वाले सातों विधायकों ने पार्टी मुखिया अरविंद केजरीवाल को ‘दिल्ली का विलेन’ कहने और साबित करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। तकरीबन सभी का कहना था कि आम आदमी पार्टी भ्रष्टाचार के दलदल में धंस चुकी है। आज सबसे पहले
महरौली से विधायक नरेश यादव के इस्तीफे की खबर आई और फिर एक के बाद बाद एक सात विधायक केजरीवाल को छोड़ भागे। नरेश यादव ने अपने इस्तीफे में लिखा कि ‘आम आदमी पार्टी की भ्रष्ट राजनीति को देखते हुए मैं पार्टी को छोडऩा चाहता हूं और इस पार्टी से मैं सभी पदों से अपना इस्तीफा देता हूं।’ विधायक पवन शर्मा ने इस्तीफे में लिखा कि ‘मैं पार्टी की प्राथमिक सदस्यता सहित सभी पदों से इस्तीफा देता हूं। आम आदमी पार्टी जिस विचाधारा पर बनी थी। उस विचारधारा से पार्टी भटक चुकी है। आम आदमी पार्टी की यह दुर्दशा देख कर मन बहुत दुखी है।’
विधायक भूपेंद्र सिंह जून ने लिखा कि ‘जिन मूल्यों और सिद्धांतों पर पार्टी की स्थापना हुई थी, उससे पार्टी भटक गई है। पार्टी ने शुरू में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्तियों को टिकट या सदस्यता देने के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया। हालांकि, अब उसने बिजवासन से एक ऐसे उम्मीदवार को मैदान में उतारने का फैसला किया है, जिसके खिलाफ कई गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। ऐसे ही एक मामले में उन्हें दोषी भी ठहराया जा चुका है। इसके अलावा, इसी साल उनके और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी के लिए एक और एफआईआर दर्ज की गई, जो एक बेहद गंभीर अपराध है। ईमानदार कार्यकर्ताओं और जन प्रतिनिधियों की आवाज़ को अक्सर दरकिनार कर दिया जाता है और महत्वपूर्ण निर्णय बिना परामर्श या आम सहमति के लिए जाते हैं।’
विधायक मदन लाल ने इस्तीफे में लिखा कि ‘मैं आम आदमी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहा हूं क्योंकि आम आदमी पार्टी जनता में अपना विश्वास खो दिया है।’ विधायक भावना गौड़ ने इस्तीफे में लिखा कि ‘मैं आम आदमी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र दे रही हूं। केजरीवाल और पार्टी ने जनता में विश्वास खो दिया है।’
विधायक राजेश ऋषि ने अपने इस्तीफे में लिखा कि ‘पार्टी अन्ना हजारे के सिद्धांतों, ईमानदारी, भ्रष्टाचार रोकने के लिए बनी थी। हालांकि, मुझे यह देखकर दुख होता है कि पार्टी अपने मूल सिद्धांतों को त्याग कर भ्रष्टाचार में डूब गई है। पार्टी भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद का एक कटोरा बन गई है।’ विधायक रोहित कुमार मेहरौलिया ने इस्तीफे में लिखा कि ‘मैं आंदोलन के समय अपनी 15 साल पुरानी नौकरी छोडक़र यह सोचकर आपके साथ जुड़ा था कि हजारों सालों से छुआछूत, भेदभाव और शोषण का दंश झेलते जा रहे मेरे समाज को आप शायद बराबरी का दर्जा व सामाजिक न्याय दिलाकर बाबा साहेब के सपनों की सरकार करेंगे। आपने कई बार सार्वजनिक मंत्रों से यह कहा था कि जब हम सत्ता में आएंगे तो दलित समाज/बाल्मीकि समाज के लोगों को आगे बढ़ाने के लिए काम करेंगे। कुल मिलाकर आपने मेरे समाज के लोगों के साथ होने वाले भेदभाव और शोषण को रोकने के लिए अभी तक कुछ नहीं किया बल्कि आपने अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति के लिए मेरे समाज को केवल वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया है।’