दिल्ली के वोटर ने बीजेपी पर कई वजहों से भरोसा जताया है। हालांकि, इस बात में भी कोई दोराय नहीं कि इन वजहों में ‘फ्री’ बरकरार रखने का वादा भी बड़ी वजह है

जन सरोकार ब्यूरो
नई दिल्ली, 8 फरवरी। दिल्ली में बीजेपी ने आम आदमी पार्टी की ही ‘पॉलिसी’ से उसे मात दी है। ‘फ्री-फ्री’ का खेल खेलते दस साल में आम आदमी पार्टी को लगने लगा था कि इस खेल में उसे कोई मात नहीं दे सकेगा। बेशक, चुनाव प्रचार के दौरान भले ही बीजेपी ने भी ‘फ्री’ का जवाब ‘फ्री’ में दिया, लेकिन केजरीवाल ने दिल्ली को इस बात के लिए ‘डराने’ में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी थी कि बीजेपी सत्ता में आई तो ‘फ्री’ बंद हो जाएगा।
आज आए नतीजे बताते हैं कि दिल्ली के वोटर ने बीजेपी पर कई वजहों से भरोसा जताया है। हालांकि, इस बात में भी कोई दोराय नहीं कि इन वजहों में ‘फ्री’ बरकरार रखने का वादा भी बड़ी वजह है। दरअसल, केजरीवाल को सिर्फ उन वोटरों के आधार पर ही जीत का भरोसा था जो उनकी सरकार की मुफ्त रेवडिय़ों वाली योजनाओं के लाभार्थी थे। बीते दो चुनाव के दौरान केजरीवाल मुफ्त बिजली और पानी के जरिए अपनी राजनीति आगे बढ़ाते रहे। ये लाभार्थी मध्यम एवं निम्न वर्ग से थे। दिल्ली चुनाव से पहले बीजेपी ने इन मतदाताओं को लुभाने की कोशिश की।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जनसभा में और पार्टी का घोषणापत्र जारी करते हुए बीजेपी अध्यक्ष ज पी नड्डा ने सार्वजनिक तौर पर ऐलान कर दिया कि लोगों के लाभ वाली कोई भी योजना बंद नहीं की जाएगी। उधर मध्य वर्ग को साधने के लिए केंद्र सरकार ने आम बजट में 12 लाख रुपए तक की आमदनी को टैक्स फ्री कर दिल्ली के इस बड़े वोटरबेस को साधने में कामयाबी हासिल की। इस चुनाव में बीजेपी को इस बात के लिए खूब मशक्कत करनी पड़ी कि वह वोटर को यह यकीन दिला पाए कि दिल्ली में जो भी ‘फ्री’ चल या मिल रहा है, बीजेपी उसे बंद नहीं करेगी।
चुनाव के अंतिम चरण के आते-आते बीजेपी को भी एक मौका दिए जाने का जब माहौल बनना शुरू हुआ तो बीजेपी ने भी ‘फ्री’ पर खूब फोकस किया। दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद यह कहना गलत नहीं होगा कि दिल्ली में ‘फ्री’ से ‘फ्री’ के मुकाबले में आखिरकार बाजी भारतीय जनता पार्टी की ही लगी है। अब देखना यह होगा कि जिस भरोसे दिल्ली ने बीजेपी को वोट दिया, बीजेपी उस पर कितना खरा उतरती है।