
-बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार, प्रकाश सिंह बादल, फारुख अब्दूला, जयंत चौधरी के आने की संभावना

तीसरे मोर्चे पर अभय के वार पर हुड्डा का पलटवार


चंडीगढ़, 12 अगस्त (जन सरोकार ब्यूरो): इनैलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला और पार्टी के प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला की ओर से तीसरे मोर्चे की कवायद के बीच अब प्रदेश का सियासी पारा लगातार ऊपर चढ़ रहा है। चौटाला इन दिनों लगातार जनसंपर्क अभियान चला रहे हैं। वहीं विधानसभा के सेशन में जोरदार तरीके से मुद्दे उठाने के बाद अभय ने भी भाजपा पर बड़ा हमला बोला। बिहार में हाल में हुए राजनीतिक बदलाव को लेकर अभय ने बड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भाजपा ने सबको ठगा है। उन्होंने नीतिश कुमार को नई पारी के लिए बधाई देते हुए इसे देश की सियासत के लिए एक अच्छा कदम बताया। अभय के इस बयान के बाद पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस विधायक दल के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी पलटवार कर दिया। दरअसल देश में तीसरे मोर्चे के गठन पर अभय चौटाला और भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बीच राजनीतिक तल्खियां देखने को मिलीं। गौरतलब है कि प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला ने दावा किया कि 2024 के चुनाव से पहले देश में तीसरा मोर्चा बनकर रहेगा। बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसकी शुरुआत कर दी है। अभय चौटाला के इस दावे के विपरीत पूर्व मुख्यमंत्री एवं विधानसभा में विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि देश में तीसरे मोर्चे की कोई जरूरत नहीं है। देश और प्रदेश दोनों स्थानों पर कांग्रेस ही भारतीय जनता पार्टी का विकल्प है। खैर अब यह कयास लगाए जा रहे हैं चौटाला पिता-पुत्र की जोड़ी अगले महीने चौधरी देवीलाल के जन्मदिवस पर फतेहाबाद में होने वाली रैली में बिहार के आठवीं बार मुख्यमंत्री बने नीतिश कुमार को बुलाएगी। नीतिश के अलावा इस रैली में जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दूला, पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, शरद यादव, केसी त्यागी और जयंत चौधरी जैसे नेता शिरकत कर सकते हैं। लंबे अंतराल के बाद अपने गृह जनपद में इनैलो की यह रैली होगी। इससे पहले देवीलाल के जन्मदिन पर इनैलो की ओर से रोहतक, जींद, झज्जर जैसी बेल्ट में रैलियां की जाती रही हैं। 2016 में इनैलो ने करनाल, 2017 में 2018 में पार्टी ने 7 अक्तूबर को सोनीपत के गोहाना में रैली की, जबकि 2019 में कैथल, 2021 में जींद में रैली की थी।
-तीसरे मोर्चे की कवायद में जुटी चौटाला पिता-पुत्र की जोड़ी

खैर इंडियन नैशनल लोकदल की ओर से 25 सितम्बर को फतेहाबाद में की जाने वाली रैली के कई मायने में हैं। यह देखना रोचक होगा कि इनैलो की इस रैली में अभय चौटाला कितनी भीड़ जुटा पाते हैं ? गौरतलब है कि 7 अक्तूबर 2018 को गोहाना में हुई रैली में पार्टी में दरार की नींव पड़ी। इसके बाद इनैलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला ने अजय ङ्क्षसह, दुष्यंत चौटाला व दिग्विजय चौटाला को पार्टी से निष्कासित कर दिया। 9 दिसम्बर 2018 को अजय चौटाला और दुष्यंत चौटाला ने जननायक जनता पार्टी बना ली। इसी बीच इनैलो से करीब डेढ़ दर्जन विधायक दूसरे दलों के पाले में चले गए। विघटन के बाद इनैलो को 2019 के संसदीय चुनाव में जबरदस्त हार का सामना करना पड़ा, जबकि विधानसभा चुनाव में महज एक सीट पर जीत मिली।
फतेहाबाद को इसलिए चुना
फतेहाबाद में लंबे अंतराल के बाद इनैलो की ओर से कोई बड़ी रैली का आयोजन किया जाएगा। फतेहाबाद जिला की तीन विधानसभा सीटें रतिया, फतेहाबाद और टोहाना सिरसा संसदीय क्षेत्र का हिस्सा हैं और सिरसा इनैलो का गृह क्षेत्र है। सिरसा जनपद में एक तरह से इनैलो का अपना एक खास जनाधार रहा है। पर पिछले कुछ समय से पार्टी का ग्राफ लगातार नीचे जा रहा है और अब इस कड़ी में एक बार फिर से इनैलो के प्रधान महासचिव और ऐलनाबाद के विधायक अभय ङ्क्षसह चौटाला पार्टी संगठन को मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि पहले की तरह इनैलो की इस रैली में भी तीसरे मोर्चे के पैरोकार रहे कई बड़े राजनेता शिरकत कर सकते हैं।
फतेहाबाद में है रहा है ताऊ का प्रभाव
गौरतलब है कि फतेहाबाद में इनैलो का अपना एक खास प्रभाव रहा है। 2014 के लोकसभा चुनाव में इनैलो को हिसार और सिरसा दो सीटों पर जीत मिली थी। इसी प्रकार से 2014 के विधानसभा चुनाव में भी इनैलो फतेहाबाद के रतिया और फतेहाबाद विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज करने में सफल रही थी। खुद चौधरी देवीलाल भी साल 1962 में पहली बार कांग्रेस से बागी होकर फतेहाबाद से आजाद विधायक चुने गए थे।
लगातार गिरता गया मत प्रतिशत
इनैलो का मत प्रतिशत पिछले लोकसभा चुनाव व विधानसभा से गिर रहा है। 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में पार्टी को महज 1.89 प्रतिशत मत मिले। जबकि अक्तूबर 2019 के विधानसभा चुनाव में इनैलो को 2.44 फीसदी वोट मिले और महज 1 ही सीट पर जीत मिली। हालांकि पार्टी का मत प्रतिशत घटने, पार्टी के दोफाड़ होने के बावजूद अभय ङ्क्षसह ने हिम्मत नहीं हारी और अकेले ही रण में डटे रहे। अभय सिंह चौटाला ने साल 2014 से 2019 तक एक दमदार विपक्षी नेता की भूमिका निभाई। किसान आंदोलन में भी अभय की भूमिका सबसे प्रभावी रही। वे इकलौते ऐसे विधायक रहे जिन्होंने किसान आंदोलन के समर्थन में अपने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया। बाद में अक्तूबर 2021 में हुए ऐलनाबाद उपचुनाव में अभय चौटाला ने जीत दर्ज की।