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Sunday, November 24, 2024
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कोरोना में मोबाइल के गलत प्रयोग ने निकट दृष्टि रोग को बढ़ाया : डॉ. विनोद शर्मा

‘आओ बात करें नजर की’ एक कार्यक्रम में मंथन आई हेल्थ केयर फाऊंडेशन द्वारा नेत्रदान और निकट दृष्टि रोग निवारण पर डॉ. विनोद शर्मा द्वारा दिए गए टिप्स

फतेहाबाद, 27 सितंबर। यूं तो अनेकों कारण हैं दृष्टिहीनता के किंतु कम से कम उन कारणों के प्रति तो सभी को जागरूक रहना चाहिए, जिन्हें हम अपनी अज्ञानता और लापरवाही के कारण अपने ही शरीर में पनपने का, दृष्टिहीन होने के लिए निमंत्रण दे रहे हैं। सफेद मोतिया, कॉर्नियल ब्लाइंडनेस आदि रोगों का उपचार कर दृष्टि वापस हो सकती है आपरेशन या पुतली बदल कर। किंतु कालामोतिया जैसा दृष्टिहीनता का कारण तो अभी तक निवारण साधन नहीं बन पाया। जो दृष्टि गई वापस नहीं आ पाती। तभी तो इसे नजरों का कातिल कहते हैं। हां यदि समय से रूटीन चैकअप होता रहे, समय से पूर्व ही यह पकड़ लिया जाए तो वहीं और आगे बढऩे से रोका जा सकता है, इसी प्रकार कॉर्नियल ब्लाइंडनेस में भी पुतली जिसे कॉर्निया भी कहते हैं, उसका प्रत्यारोपण कर पुन: दृष्टि प्राप्त की जा सकती है। वस्तुत: इसमें दृष्टि जाती नहीं बस पुतली में सफेदी आ जाने के कारण उसका प्रयोग नहीं हो पाता। समस्या तो यह है कि पुतली बनाई जा नहीं सकती। बाजार में मिलती नहीं, बस एक ही उपाय है मानवता की दृष्टि से मरणोपरांत सब इस पुतली का दान करें। किंतु बहुत भ्रांतियां-कुरीतियां बनकर इस कॉर्निया डोनेशन में बाधा बनी हुई हैं, जिसके लिए मंथन आई हैल्थ केयर की ओर से यह जागरूकता शिविर लगाया जाता है। श्री कृष्णा सेवा समिति द्वारा गीता ज्ञानेश्वर डॉ. स्वामी दिव्यानंद महाराज के मागदर्शन में आयोजित नेत्र जागरूकता शिविर में प्रसिद्ध नेत्र विशेषज्ञ डॉ. विनोद शर्मा ने अपने उद्बोधन में आए समस्त श्रद्धालुओं को मरणोपरांत नेत्रदान का आग्रह किया और मोबाइल के उचित व सीमित प्रयोग की सलाह दी। डॉ. विनोद शर्मा ने कहा कि दूसरा कारण विश्वभर में दृष्टिहीनता का रिफ्रेक्टिव एरर्स हैं, अंाखें कमजोर सिरदर्द होना, जब मायोपिया (निकट दृष्टि रोग) हो जाता है तो ऐसे लक्षण आने लगते हैं। रेटिना पर, पुतली या फिर लैंस की मोटाई या अंदर में साइज बड़ा हो जाने से परदे पर इमेज धुंधली बनने लगती है। तब चश्मा की जरूरत पड़ जाती है। अन्य कारणों के साथ-साथ एक कारण है मोबाइल लैपटॉप आदि साधनों का सही ढंग से प्रयोग न करना। कोरोना जैसी महामारी ने तो मोबाइल के नाम पर मिले वरदान को एक और बीमारी बना डाला। आजकल माता-पिता यह कम पूछते हैं कि चश्मा कैसे उतरे? आजकल तो यह अधिक पूछते हैं कि डॉ.साहब! बच्चों से मोबाइल कैसे छुड़वाएं। सही उपयोग करना सीखें। 20-25 मिनट के बाद 20 सेकेंड के लिए 15-20 बार आंखों की पलकें झपकाएं। 20 सेकेंड के लिए थोड़ा दूर ही देखें। स्वास्थ्यवर्धक संतुलित भोजन करें। समय-समय पर नेत्र विशेषज्ञ की सलाह लेवें। इस अवसर पर आज स्वामी दिव्यानंद ने संस्था की ओर से डॉ.विनोद शर्मा को प्रसाद देकर सम्मानित किया। स्वामी दिव्यानंद ने कहा कि मामला आंखों का हो या धर्म का, कुछ भ्रांतियों ने और लापरवाही के कारण आंख जैसे महत्वपूर्ण अंग को समाप्त कर सुंदर दुनिया के नजारे लेने से हम वंचित हो रहे हैं। इसी प्रकार धर्म के नाम पर भी हम भ्रांतियों के कारण मजहबी-कट्टरवादी बन राष्ट्र को विखंडित कर रहे है। नगर विधायक दुड़ाराम ने भी सरकारी फंड से सामाजिक कार्यों के लिए सभा को सहयोग देने की घोषणा की। दिल्ली और हिसार से पधारे सुभाष चंद्र जग्गा, ज्ञानचंद धमीजा, सूरजभान धमीजा, अनिल असीजा, भीमसेन असीजा, किशोरी लाल नारंग, कंवरभान गिल्होत्रा, अर्जुन जग्गा, अशोक मदान, महेश मेहता, देवराज खन्ना, रमेश गावड़ी, ओमप्रकाश सरदाना ने स्वामी दिव्यानंद से आशीर्वाद लिया। इस अवसर पर धर्मशाला समिति प्रधान राजेंद्र आहुजा, उपप्रधान लीलाकृष्ण मदान, सचिव अनिल सरदाना, अनिल नारंग, पं. चरणजीत शर्मा, अर्जुन देव गोस्वामी, मदन लाल नारंग, जगदीश मुंजाल, विरेंद्र नारंग, सुरेश सरदाना, मदन लाल मदान, कृष्ण लाल सहगल, नरेंद्र कामरा, कंवरभान गिल्होत्रा, डॉ.राकेश बजाज भी मौजूद रहे।

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