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Sunday, November 24, 2024
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ताऊ देवीलाल की राजनीतिक नर्सरी की पौध हैं जगदीप धनखड़

-1989 में ताऊ ने झुंझुनू लोकसभा से लड़वाया था चुनाव

-वीपी  सरकार में बनाया था मंत्री, ताऊ को राजनीति में आदर्श मानते रहे हैं उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जगदीप धनखड़

ताऊ देवीलाल के साथ जगदीप धनकड़ का फाइल फोटो, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है

फतेहाबाद, 18 जुलाई। उपराष्ट्रपति पद के लिए भारतीय जनता पार्टी की ओर से पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को उम्मीदवार बनाया गया है। मतदान प्रक्रिया जारी है। धनखड़ का हरियाणा से भी नाता रहा है। हरियाणा से उनका नाता चौधरी देवीलाल घराने की वजह से रहा है। उपराष्ट्रपति पद के लिए जैसे ही धनखड़ का नाम सामने आया, चौधरी देवीलाल के साथ जुड़े उनके किस्से-कहानियां और पुराने फोटो सोशल मीडिया पर वायरल होने लगे हैं। ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर धनखड़ का देवीलाल के साथ कैसा नाता रहा। दरअसल ताऊ ही धनखड़ को राजनीति में लेकर आए। ताऊ ने पहले युवा धनखड़ को लोकसभा का सदस्य बनाया। फिर उन्हें केंद्र में मंत्री बनवा दिया। जब वीपी ङ्क्षसह ने ताऊ देवीलाल को उपप्रधानमंत्री पद से बर्खास्त किया तब धनखड़ ने भी केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। दरअसल ताऊ देवीलाल दूसरी बार 1987 में हरियाणा के मुख्यमंत्री बने थे। राजस्थान के झुंझुनूं के रहने वाले धनखड़ उन दिनों हाईकोर्ट में वकालत करते थे। उसी दौरान वे देवीलाल के संपर्क में आए। देवीलाल ने विपक्ष को एकजुट करने के मकसद से दिल्ली के बोट क्लब में विजय रैली की। रैली में भारी भीड़ के साथ जगदीप धनखड़ भी पहुंचे। ताऊ उनसे प्रभावित हुए। उसके बाद उन्हें ताऊ सक्रिय राजनीति में ले आए। 1989 के चुनाव में ताऊ ने धनखड़ को झुंझुनू से लोकसभा का टिकट दिया। धनखड़ चुनाव जीत गए। ताऊ वीपी ङ्क्षसह की सरकार में उपप्रधानमंत्री बने और उन्होंने जगदीप धनखड़ को केंद्रीय उपमंत्री बनवाया। बाद में चौधरी देवीलाल के वी पी सिंह के साथ मतभेद हो गए और वीपी सिंह ने अपने मंत्रिमंडल से चौधरी देवीलाल को बर्खास्त कर दिया । राजनीति में चौधरी देवीलाल को आदर्श मानने वाले जगदीप धनखड़ ने इस दौरान चौधरी देवीलाल का साथ दिया और इसी कड़ी में उन्होंने केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया । कुछ समय बाद वीपी सिंह की सरकार गिर गई और चंद्रशेखर प्रधानमंत्री बने चंद्रशेखर की सरकार में जब चौधरी देवीलाल फिर से प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने फिर से जगदीप धनखड़ को केंद्र में मंत्री बनवा दिया । उल्लेखनीय है कि जगदीप धनखड़ ने साल 1977 में वकालत में कदम रखा हुए राजस्थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे राजस्थान में जाटों को आरक्षण दिलाने में धनखड़ की खास भूमिका रही, पर विशेष पहलू यह है कि चौधरी देवीलाल की राजनीतिक पाठशाला में सियासत का पाठ सीख कर जगदीप धनखड़ ने राजनीति में खास मुकाम हासिल किए एक विशेष बात यह भी है कि पिछले 35 वर्ष से चौधरी देवीलाल परिवार के साथ जगदीप धनखड़ के घनिष्ठ और मधुर रिश्ते रहे हैं यह रिश्ते आज भी बरकरार हैं । पिछले दिनों जगदीप धनखड़ ने इंडियन नेशनल लोक दल के सुप्रीमो और चौधरी देवी लाल के बड़े बेटे ओमप्रकाश चौटाला के साथ भी मुलाकात की थी इससे पहले ऐलनाबाद के विधायक अभय सिंह चौटाला ने भी जगदीप धनखड़ के साथ शिष्टाचार भेंट की थी ।

धनखड़ के बारे में यह खास बातें और तथ्य जानना भी जरूरी

— अभी भी उनका गांव में मकान है और अक्सर आते—जाते रहते है

— जगदीप धनखड़ का जन्म 18 मई 1951 को हुआ

— जगदीप धनखड़ के पिता चौधरी गोकुलचंद धनखड़ खेती बाड़ी करते थे

— जगदीप धनखड़ चित्तौडग़ढ़ सैनिक स्कूल में पढे हुए है

— जगदीप धनखड़ ने ग्रेजुएशन राजस्थान यूनिवर्सिटी जयपुर से की

— जगदीप धनखड़ ने 1977 में उन्होंने राजस्थान हाईकोर्ट में वकालत की

— जगदीप धनखड़ ने 1986 में मात्र 35 साल की उम्र में हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष बने

— जगदीप धनखड़ बार कौंसिल के भी सदस्य रहे है

— जगदीप धनखड़ सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील रह चुके है

— जगदीप धनखड़ इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन पेरिस के सदस्य रह चुके है

— राजस्थान में जाटों को आरक्षण दिलाने में महत्ती भूमिका रही है

— 1989 से 1991 नौंवी लोकसभा में झुंझुनूं से सांसद और केंद्र में मंत्री रहे

— वीपी सिंह की सरकार में संसदीय कार्य मंत्रालय में उप मंत्री बने

— अजमेर के किशनगढ़ से विधायक रह चुके है।

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