हरियाणा से भी है खास नाता, सतनाली में है ससुराल
दिल्ली, 11 अगस्त : राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के उम्मीदवार जगदीप धनखड़ आज भारत के 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ले ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें राष्ट्रपति भवन में शपथ दिलाई। बता दें कि धनखड़ को छह अगस्त को उपराष्ट्रपति के रूप में चुना गया था। धनखड़ विपक्ष की मार्गरेट अल्वा को हराकर विजेता के रूप में उभरे थे। गौरतलब है की 6 अगस्त को हुए चुनाव में जगदीप धनखड़ ने यूपीए की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को हराया था। मतदान के बाद आए नतीजों में उन्होंने विपक्ष की उम्मीदवार मारग्रेट अल्वा को 346 वोटों के बड़े अंतर से हराया। धनखड़ को 528 जबकि अल्वा को महज 182 वोट हासिल हुए थे। पश्चिम बंगाल में राज्यपाल रहते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ उनका सियासी घमासान खूब चर्चित रहा। शपथग्रहण समारोह में पीएम मोदी, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह समेत कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे।
1987 में आये देवीलाल के संपर्क में
जगदीप धनखड़ साल 1987 में चौधरी देवीलाल के संपर्क में आए चौधरी देवी लाल के साथ उनके संबंध मधुर बने चौधरी देवीलाल के आशीर्वाद और प्रेरणा के बाद ही जगदीप धनखड़ राजनीति में आए जहां जगदीप धनखड़ चौधरी देवी लाल के राजनीतिक सिद्धांतों और आदर्शों के कायल रहे, वहीं खुद चौधरी देवीलाल भी नौजवान धनखड़ की राजनीतिक कौशल का वाकपटुता से काफी प्रभावित रहे थे। गौरतलब है कि चौधरी देवी लाल साल 1987 में दूसरी बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने थे, उस समय चौधरी देवीलाल केंद्र की राजनीति में भी लगातार अपना प्रभाव छोड़ रहे थे । इसी दौरान 36 साल के नौजवान जगदीप धनखड़ चौधरी देवीलाल के संपर्क में आए। साल 1988 में चौधरी देवीलाल ने समूचे विपक्ष को एकजुट करने की कवायद के चलते दिल्ली के बोट क्लब में विजय रैली का आयोजन किया था इस रैली में जगदीप धनखड़ ने भी झुंझुनू से अपने हजारों समर्थकों के साथ रैली में शिरकत की थी।
1989 में देवीलाल ने झुंझुनू से दिया टिकट, बने थे सांसद
चौधरी देवी लाल ऊर्जावान कुशल योग्य नौजवान जगदीप धनखड़ से काफी प्रभावित हुए। साल 1989 में देश में लोकसभा के चुनाव हुए उस समय चौधरी देवीलाल जनता दल के संसदीय बोर्ड के चेयरमैन थे। चौधरी देवीलाल ने राजस्थान के झुंझुनू लोकसभा क्षेत्र से 38 साल के नौजवान जगदीप धनखड़ को चुनावी मैदान में उतारा। जगदीप धनखड़ ने को चुनाव जीत लिया। इसके बाद वीपी सिंह देश के प्रधानमंत्री बने और चौधरी देवीलाल उपप्रधानमंत्री बन गए। चौधरी देवीलाल ने ही चंद्रशेखर की कैबिनेट में जगदीप धनखड़ को भी मंत्री बनवाया। बाद में चौधरी देवीलाल के वी पी सिंह के साथ मतभेद हो गए और बी पी सिंह ने अपने मंत्रिमंडल से चौधरी देवीलाल को बर्खास्त कर दिया। राजनीति में चौधरी देवीलाल को आदर्श मानने वाले जगदीप धनखड़ ने इस दौरान गजब का हौसला दिखाते हुए चौधरी देवीलाल का साथ दिया और इसी कड़ी में उन्होंने केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया। कुछ समय बाद वीपी सिंह की सरकार गिर गई और चंद्रशेखर प्रधानमंत्री बने। चंद्रशेखर की सरकार में जब चौधरी देवीलाल फिर से प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने फिर से जगदीप धनखड़ को केंद्र में मंत्री बनवा दिया। उल्लेखनीय है कि जगदीप धनखड़ ने साल 1977 में वकालत में कदम रखा हुए राजस्थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे। राजस्थान में जाटों को आरक्षण दिलाने में धनखड़ की खास भूमिका रही पर, विशेष पहलू यह है कि चौधरी देवीलाल की राजनीतिक पाठशाला में सियासत का पाठ सीख कर जगदीप धनखड़ ने राजनीति में खास मुकाम हासिल किए। एक विशेष बात यह भी है कि पिछले 35 वर्ष से चौधरी देवीलाल परिवार के साथ जगदीप धनखड़ के घनिष्ठ और मधुर रिश्ते रहे हैं। यह रिश्ते आज भी बरकरार हैं। पिछले दिनों जगदीप धनखड़ ने इंडियन नेशनल लोक दल के सुप्रीमो और चौधरी देवी लाल के बड़े बेटे ओमप्रकाश चौटाला के साथ भी मुलाकात की थी। इससे पहले ऐलनाबाद के विधायक अभय सिंह चौटाला ने भी जगदीप धनखड़ के साथ शिष्टाचार भेंट की थी।
जगदीप धनखड़ का राजनीतिक सफर
धनखड़ ने अपनी राजनीति की शुरुआत जनता दल से की थी। धनखड़ 1989 में झुंझनुं से सांसद बने। पहली बार सांसद चुने जाने पर ही उन्हें बड़ा इनाम मिला। 1989 से 1991 तक वीपी सिंह और चंद्रशेखर की सरकार में उन्हें केंद्रीय मंत्री भी बनाया गया था। हालांकि, जब 1991 में हुए लोकसभा चुनावों में जनता दल ने जगदीप धनखड़ का टिकट काट दिया तो वह पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए और अजमेर के किशनगढ से कांग्रेस पार्टी के टिकट पर 1993 में चुनाव लड़ा और विधायक बने। 2003 में उनका कांग्रेस से मोहभंग हुआ और वे कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए। 2019 में जगदीप धनखड़ को पश्चिम बंगाल का राज्यपाल बनाया गया।
जगदीप धनखड़ का बचपन और पढ़ाई
जगदीप धनखड़ का जन्म 18 मई 1951 को राजस्थान के झुंझनू जिले के किठाना में हुआ था। पिता का नाम गोकल चंद और मां का नाम केसरी देवी है। जगदीप अपने चार भाई-बहनों में दूसरे नंबर पर आते हैं। शुरुआती पढ़ाई गांव किठाना के ही सरकारी माध्यमिक विद्यालय से हुई। गांव से पांचवीं तक की पढ़ाई के बाद उनका दाखिला गरधाना के सरकारी मिडिल स्कूल में हुआ। इसके बाद उन्होंने चित्तौड़गढ़ के सैनिक स्कूल में भी पढ़ाई की।
12वीं के बाद उन्होंने भौतिकी में स्नातक किया। इसके बाद राजस्थान विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई पूरी की। 12वीं के बाद धनखड़ का चयन आईआईटी और फिर एनडीए के लिए भी हुआ था, लेकिन नहीं गए। स्नातक के बाद उन्होंने देश की सबसे बड़ी सिविल सर्विसेज परीक्षा भी पास कर ली थी। हालांकि, आईएएस बनने की बजाय उन्होंने वकालत का पेशा चुना। उन्होंने अपनी वकालत की शुरुआत भी राजस्थान हाईकोर्ट से की थी। वे राजस्थान बार काउसिंल के चेयरमैन भी रहे थे।