12 जुलाई 2006 को करौंथा के सतलोक आश्रम के बाहर भीड़ एकत्रित हो गई। तनाव के बीच गोली लगने से झज्जर जिले के गांव बाघपुर के युवक सोनू की मौत हो गई थी, जबकि 59 लोग घायल हुए
रोहतक, 20 दिसंबर। रोहतक में करौंथा कांड को लेकर सोमवार को अदालत में गवाही की प्रक्रिया पूरी होने के बाद मंगलवार को फैसला आ गया है। फैसले में तीन को दोषी करार दिया गया है, जबकि रामपाल सहित बाकी को बरी कर दिया गया है। बता दें कि मामले में सतलोक आश्रम करौंथा के संचालक रामपाल सहित 33 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज था। मामले के अनुसार रामपाल के बंदी छोड़ भक्ति मुक्ति ट्रस्ट ने करौंथा में सतलोक आश्रम खोला था, लेकिन स्वामी दयानंद द्वारा लिखित पुस्तक सत्यार्थ प्रकाश पर कथित टिप्पणी के चलते आर्य समाजियों व आसपास के ग्रामीणों ने विरोध किया। 12 जुलाई 2006 को करौंथा के सतलोक आश्रम के बाहर भीड़ एकत्रित हो गई। तनाव के बीच गोली लगने से झज्जर जिले के गांव बाघपुर के युवक सोनू की मौत हो गई थी, जबकि 59 लोग घायल हुए। पुलिस ने रामपाल सहित अन्य को हिरासत में लेकर आश्रम को सील कर कब्जे में ले लिया था। हालांकि, हाईकोर्ट से रामपाल को दो साल बाद जमानत मिल गई। 2013 में आश्रम को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बंदी छोड़ भक्ति मुक्ति ट्रस्ट को दे दिया गया। इसी बीच रामपाल समर्थकों ने बरवाला में भी आश्रम बना लिया। करौंथा में दोबारा हुई हिंसा के बाद रामपाल बरवाला में शिफ्ट हो गए। नवंबर 2014 में करौंथा कांड की सीबीआई से जांच कराने की मांग उठी। हाईकोर्ट ने रामपाल की जमानत रद्द कर दी और अदालत में पेश होने के लिए कहा। रामपाल हाईकोर्ट में पेश नहीं हुआ, इसके चलते कोर्ट ने उसे गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करने के लिए पुलिस प्रशासन को आदेश दिए। जब पुलिस उसे गिरफ्तार करने पहुंची तो बरवाला में हिंसा हो गई। रामपाल को बरवाला के एक केस में सजा हुई है, जबकि रोहतक के करौंथा कांड में रामपाल को बरी कर दिया गया है।