पूरे प्रदेश को एक नजर से देखने और समान विकास के दावे करने वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार के पास भी बताने को कुछ खास नहीं कि उन्होंने 8 साल के राज में आदमपुर को क्या दिया!

जन सरोकार ब्यूरो |
आदमपुर
आगामी 3 नवंबर को होने वाला उपचुनाव किसी भी राजनीतिक दल से अधिक महत्वपूर्ण यदि किसी के लिए है तो वह है आदमपुर का आम नागरिक। जिसे राजसुख लिए 26 साल गुजर चुके हैं। सन 1996 में आदमपुर से भिवानी गई सीएम की कुर्सी सिरसा और रोहतक होते हुए करनाल पहुंच गई लेकिन आदमपुर की कभी राज में हिस्सेदारी नहीं बन पाई। अब जब भाजपा-2 के मात्र दो साल बचे हैं, कुलदीप बिश्नोई को एकाएक आदमपुर की बदहाल सूरत नजर भी आ गई और उनके मन में विकास करवाने का जुनून भी जाग उठा। आखिर ऐसा क्या हुआ कि आमचुनाव से दो साल पहले कुलदीप की राजनीतिक समझ इतनी बढ़ गई कि उन्हें आदमपुर का विकास याद आ गया।
आदमपुर की आम जनता इसे कुलदीप का निजी स्वार्थ बता रही है। वहीं, इस चुनाव में दो बातें इतनी कंट्राडिक्ट्री हैं जिनका ना ही तो कोई राजनीतिक दल अब तक जिक्र कर रहा है और ना ही आदमपुर के लोग कुछ पूछने की हिम्मत जुटा पा रहे हैं। पहली बात शुरू होती है कुलदीप बिश्नोई से… कुलदीप इस समय भाजपा उम्मीदवार अपने बेटे भव्य बिश्नोई के लिए प्रचार कर रहे हैं और आदमपुर के लोगों से कह रहे हैं कि पिछले लंबे समय से सत्ता में नहीं रहे इसलिए विकास नहीं हो पाया, अब राज में हिस्सेदारी होगी तो चौधरी भजनलाल वाला दौर आ जाएगा। यह बात ठीक है कि सत्ता में हिस्सेदारी नहीं थी लेकिन विधायक तो भजनलाल परिवार के ही सदस्य बनते रहे हैं।
अब सवाल यह उठता है कि क्या विपक्ष में रहने वाले विधायकों के काम नहीं होते? एक उदहारण है ऐलनाबाद विधानसभा। यहां भी पिछले 17 साल से विपक्ष में है, लेकिन अभय सिंह चौटाला हर जगह कहते हैं कि वे अपने हलके की आवाज उठाते हैं और काम भी करवाते हैं। अभय सिंह ने तो यहां तक आरोप लगाए है कुलदीप बिश्नोई के साथ पिछले तीन साल में विधानसभा में उनकी 40 सीटिंग हुई जिनमें से 22 बार कुलदीप गैर हाजिर था, आरोप यह भी है कि कुलदीप ने कभी आदमपुर के लिए कोई काम मांगा ही नहीं। ऐसे में यदि यह कहा जाए की कुलदीप बिश्नोई सत्ता में नहीं होने का बहाना लगा आदमपुर की जनता को बरगला रहे हैं तो गलत नहीं होगा।
अब बात करते हैं दूसरी बात की… पिछले 8 साल से प्रदेश में भाजपा की सरकार है तथा मनोहर लाल मुख्यमंत्री हैं। मुख्यमंत्री ही नहीं पूरी भाजपा इस बात का गुणगान करते हुए नहीं थकती कि उन्होंने पूरे हरियाणा में एक समान विकास करवाया है, हरियाणा एक हरियाणवी एक के नारे लगाए जाते हैं। यदि ऐसा है तो आज भाजपा के पास 8 साल के राज के बाद भी आदमपुर में क्या किया, यह बताने के लिए कुछ भी क्यों नहीं है। पिछले 8 साल में आदमपुर में विकास नहीं होना सरकार के समान विकास करवाने के दावे की पोल खोलता है। लेकिन इस बात का भी यदि भाजपा को जवाब देना पड़े तो उनके लिए उत्तर देना बहुत आसान है जो कुलदीप बिश्नोई के कांग्रेस के होने के समय भाजपा नेता देते कि आदमपुर के विधायक ने यहां के लिए कभी कुछ मांगा ही नहीं।
अगर ब्रीफ में इसे कन्क्लूड करें तो ले दे कर आदमपुर को विकास के मामले में पिछाड़ने का ठीकरा कुलदीप बिश्नोई के सिर ही फूटता है। अब देखना है कि पिछले 26 साल से विकास और सीएम की कुर्सी के नाम पर इमोशनल होकर वोट देने वाली आदमपुर की जनता 3 नवंबर को क्या निर्णय करती है।