उपचुनाव में थम चुका प्रचार, हर बार बिना वोट मांगे जीतते आए कुलदीप बिश्नोई को रुठों को मनाने में एड़ी से चोटी तक आ रहे पसीने, फिर भी कम नहीं हो रही परेशानी

जन सरोकार ब्यूरो।
आदमपुर।
बेहद रोमांचक हो चुके आदमपुर उपचुनाव में प्रचार का शोर थम चुका है तथा वोटिंग शुरू होने में मात्र एक दिन और 2 रातें बाकी है। चुनाव प्रचार के अंतिम दिन आज भाजपा प्रत्याशी भव्य बिश्नोई के पक्ष में मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने रैली कर लोगों से वोटों की अपील की। मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा आदमपुर की जनता को कांग्रेस द्वारा चौधरी भजनलाल के साथ किया गया धोखा याद दिलाने तथा भव्य को चुनाव जितवाने पर खुद विकास की जिम्मेदारी लेने के बाद कुलदीप बिश्नोई को थोड़ी बहुत राहत मिली है लेकिन अभी चुनाव में उनकी हालत खराब बनी हुई है, क्योंकि पहले दिन से अति आत्मविश्वास में चल रहे कुलदीप बिश्नोई को पिछले दो-चार दिन में काफी ऐसी चीजों का अहसास हुआ है जो उन्हें कई दिन पहले ठीक कर लेनी चाहिए थी। लेकिन अब समय जा चुका है, अब यदि समय बचा भी है तो वह है पिछले 10 दिन में हुए नुकसान की थोड़ी बहुत भरपाई करने का, जो मुमकिन दिख नहीं रही। कुलदीप बिश्नोई को अपनी मिस मैनेजमेंट का काफी हद तक अहसास हुआ है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि ना सिर्फ कुलदीप बिश्नोई बल्कि उनके बेटे भव्य बिश्नोई ने भी रैली में मंच से संबोधन करते हुए हाथ जोड़कर आदमपुर की जनता से भूल-चूक के लिए माफी मांगी। इस उपचुनाव में कुलदीप के सामने जो चुनौती पहले दिन से थी, उस पर ध्यान नहीं देने के कारण आज जब वोटिंग में कुछ घंटों का समय बाकी है तब भी वही चुनौतियां हैं।
कुलदीप बिश्नोई और उनके परिवार के सदस्य आदमपुर से हर बार बिना वोट मांगे ही जीतते रहे हैं, लेकिन इस बार लोग उनसे यह हिसाब मांग रहे हैं कि पिछले 26 साल में उन्होंने क्या किया, खास कर चौधरी भजनलाल के जाने के बाद। लेकिन अफसोस की बात है कि पूरे चुनाव के दौरान कुलदीप बिश्नोई पिछले 26 साल का जिक्र भी नहीं करते। कुलदीप यदि अपनी जनसभाओं में जिक्र करते हैं तो सिर्फ भजनलाल के समय में हुए कार्यों का और भाजपा में शामिल होने के बाद मंजूर हुई कुछ ग्रांट का। यही कारण है कि कुलदीप बिश्नोई ना ही तो अब तक रुठों को मना पाए हैं और ना ही नये लोगों को जोड़ पाए हैं। साढ़े 12 साल तक हरियाणा पर राज करने वाले चौधरी भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई की आज आदमपुर उपचुनाव में हालत यह है कि कभी बिना वोट मांगे यहां से जीतते थे लेकिन अब ना सिर्फ झोली फैलानी पड़ रही है बल्कि एड़ी से चोटी तक पसीने भी आ रहे हैं। वोटिंग में बाकी बचे कुछ घंटों में अब देखना होगा कि कुलदीप बिश्नोई सीएम के आने से मिली थोड़ी सी राहत को कितना भुना पाते हैं और कितना उसे वोटों में तबदील करवा पाते हैं। ऐसे में तब जब कांग्रेस पार्टी और हुड्डा पिता-पुत्र कांग्रेस में सेंधमारी का उन्हें कोई मौका नहीं दे रहे हैं।